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World Asteroid Day: अंतरिक्ष में मंडराते इन 'दैत्यों' से पृथ्वी को बचाना बड़ी चुनौती, 10 लाख से ज्यादा क्षुद्रग्रह

अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस 30 जून को वर्ष 1908 में हुई तुंगुस्का घटना (Tunguska Event) की स्मृति में मनाया जाता है और इसका उद्देश्य क्षुद्रग्रहों के प्रभाव के खतरे के बारे में दुनिया में जागरूकता बढ़ाना है।

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Mukesh Pandit
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अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस प्रतिवर्ष 30 जून को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य क्षुद्रग्रहों (Asteroids) के पृथ्वी पर संभावित प्रभावों और उनसे उत्पन्न होने वाले खतरों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन लोगों को क्षुद्रग्रहों के वैज्ञानिक महत्व, उनके संसाधनों के उपयोग और पृथ्वी की रक्षा के लिए आवश्यक उपायों के बारे में शिक्षित करने के लिए समर्पित है। यह वैश्विक स्तर पर संकट संचार और ग्रह रक्षा रणनीतियों को प्रोत्साहित करता है, ताकि भविष्य में किसी विनाशकारी क्षुद्रग्रह प्रभाव से बचा जा सके।

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क्षुद्रग्रह दिवस फाउंडेशन की पहल पर हुई शुरुआत

इस दिवस की स्थापना का प्रस्ताव क्षुद्रग्रह दिवस फाउंडेशन द्वारा दिया गया था, जिसकी सह-स्थापना खगोल भौतिकीविद् और क्वीन बैंड के गिटारवादक डॉ. ब्रायन मे, अपोलो 9 अंतरिक्ष यात्री रस्टी श्वीकार्ट, फिल्म निर्माता ग्रिग रिक्टर्स और B612 फाउंडेशन की अध्यक्ष डैनिका रेमी ने की थी। दिसंबर 2016 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव को अपनाकर 30 जून को अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस के रूप में घोषित किया। यह तारीख 1908 में हुई तुंगुस्का घटना की वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए चुनी गई, जो मानव इतिहास में दर्ज सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह प्रभाव है।

तुंगुस्का घटना क्या है?

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स्पेसडॉककाम की रिपोर्ट के अनुसार तुंगुस्का घटना 30 जून, 1908 को रूस के साइबेरिया में तुंगुस्का नदी के पास हुई एक विनाशकारी घटना थी। यह मानव इतिहास में दर्ज सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह प्रभाव माना जाता है। माना जाता है कि एक 50-100 मीटर व्यास का क्षुद्रग्रह या धूमकेतु पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय विघटित हो गया और इसमें सतह से 5-10 किलोमीटर ऊपर भयंकर विस्फोट हो गया। इस विस्फोट की तीव्रता लगभग 10-15 मेगाटन TNT के बराबर थी, जो हिरोशिमा परमाणु बम से हजार गुना अधिक शक्तिशाली थी।

वैज्ञानिकों के लिए रहस्य है

इस घटना में कोई क्रेटर नहीं बना, क्योंकि क्षुद्रग्रह साबुत ही सतह तक नहीं पहुंचा। फिर भी, इसने 2,150 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में लगभग 80 मिलियन पेड़ों को नष्ट कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों ने एक तेज नीले प्रकाश का स्तंभ और तोपखाने की तरह की आवाजें सुनीं। इस विस्फोट की ऊर्जा इतनी तीव्र थी कि यह सैकड़ों किलोमीटर दूर तक महसूस की गई। वैज्ञानिक आज भी इस घटना के रहस्यों का अध्ययन कर रहे हैं, क्योंकि इसकी सटीक प्रकृति अभी भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है

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क्षुद्रग्रह क्या हैं और प्रमुख क्षुद्रग्रह

नासा के अनुसार, अब तक लगभग 1,097,106 क्षुद्रग्रहों की खोज की जा चुकी है। क्षुद्रग्रह, जिन्हें लघु ग्रह भी कहा जाता है, सूर्य की परिक्रमा करने वाले छोटे चट्टानी पिंड हैं। ये हमारे सौरमंडल के निर्माण के समय, लगभग 4.6 अरब वर्ष पहले, बने अवशेष हैं। ये आकार में छोटे कणों से लेकर सैकड़ों किलोमीटर व्यास तक हो सकते हैं। अधिकांश क्षुद्रग्रह मंगल और बृहस्पति के बीच क्षुद्रग्रह बेल्ट (Asteroid Belt) में पाए जाते हैं। 

प्रमुख क्षुद्रग्रह:

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सेरेस (Ceres): यह क्षुद्रग्रह बेल्ट में सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह है, जिसका व्यास लगभग 940 किलोमीटर है। इसे बौना ग्रह भी माना जाता है।
वेस्टा (Vesta): लगभग 525 किलोमीटर व्यास के साथ, यह दूसरा सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह है और इसकी सतह चट्टानी है
पैलास (Pallas): यह तीसरा सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह है, जिसका व्यास लगभग 512 किलोमीटर है।
एपोफिस (Apophis): यह एक नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट (NEO) है, जो अपनी पृथ्वी के निकट कक्षा के कारण चर्चा में रहता है। यह 370 मीटर व्यास का है और भविष्य में पृथ्वी के लिए संभावित खतरा हो सकता है।
बेन्नू (Bennu): नासा के OSIRIS-REx मिशन का लक्ष्य, यह क्षुद्रग्रह लगभग 490 मीटर व्यास का है और इसमें कार्बनयुक्त सामग्री है।

नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स (NEOs) वे क्षुद्रग्रह या धूमकेतु हैं, जो पृथ्वी की कक्षा के करीब से गुजरते हैं। इनमें से कुछ, जिन्हें "अर्थ-क्रॉसर्स" कहा जाता है, पृथ्वी की कक्षा को पार करते हैं और संभावित खतरा पैदा कर सकते हैं। नासा के सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज के अनुसार, 16,000 से अधिक NEOs की खोज हो चुकी है।

पृथ्वी पर क्षुद्रग्रहों का प्रभाव

चिक्सुलब क्रेटर (Chicxulub Crater): मेक्सिको में 65 मिलियन वर्ष पहले एक 10-15 किलोमीटर व्यास के क्षुद्रग्रह के प्रभाव से बना यह क्रेटर डायनासोर और पृथ्वी की 75% प्रजातियों के विलुप्त होने का कारण माना जाता है।
चेल्याबिंस्क घटना (2013): रूस में एक 20 मीटर व्यास का क्षुद्रग्रह वायुमंडल में विस्फोटित हुआ, जिससे 1,500 लोग घायल हुए और हजारों इमारतों को नुकसान पहुंचा।

नासा के अनुसार, नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स का पृथ्वी से टकराव एकमात्र प्राकृतिक आपदा है, जिसे मानव तकनीक से रोका जा सकता है। इसके लिए कई पहल की गई हैं, जैसे:डार्ट मिशन (Double Asteroid Redirection Test): नासा का यह मिशन क्षुद्रग्रह की दिशा बदलने की तकनीक का परीक्षण करता है।अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह चेतावनी नेटवर्क (IAWN): यह सरकारों को क्षुद्रग्रह प्रभाव के खतरों का विश्लेषण और शमन रणनीतियों के लिए समर्थन प्रदान करता है। अंतरिक्ष मिशन योजना सलाहकार समूह (SMPAG): यह ग्रह रक्षा उपायों के लिए प्रौद्योगिकियों की पहचान करता है।
अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस हमें क्षुद्रग्रहों के वैज्ञानिक महत्व और उनके संभावित खतरों की याद दिलाता है। तुंगुस्का घटना जैसे ऐतिहासिक उदाहरण और चिक्सुलब क्रेटर जैसे प्राचीन प्रभाव पृथ्वी पर क्षुद्रग्रहों के विनाशकारी प्रभाव को दर्शाते हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, जैसे IAWN और DART मिशन, के माध्यम से हम इन खतरों को कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं। यह दिवस न केवल जागरूकता बढ़ाता है, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए पृथ्वी की सुरक्षा के लिए सामूहिक कार्रवाई को प्रोत्साहित करता है।

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