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कोर्ट से खिलवाड़ कर रहे थे मुलजिम, जज को आया गुस्सा तो दी ऐसी सजा

दिल्ली की एक अदालत ने समय बर्बाद करने के लिए कुछ मुलजिमों को एक अनोखी सजा सुनाई। उनकी सजा थी- अदालत चलने तक हाथ ऊपर करके खड़े रहना। अदालत ने ऐसा फैसला इस वजह से भी किया ताकि दूसरे लोगों को भी सबक मिल सके।

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Shailendra Gautam
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कोर्ट की डीएम को चेतावनी Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः अदालत में सुनवाई का नंबर लगना अपने आप में एक बड़ी सौगात है। लोग अरसे तक इसी इंतजार में रहते हैं कि उनके केस की सुनवाई हो जाए। अदालतों के पास केसों का अंबार इस कदर लगा हुआ है कि हर केस की समय पर सुनवाई मुमकिन नहीं हो पाती। हालांकि कुछ मामलों में इस देरी के लिए केस से जुड़े लोग भी जिम्मेदार होते हैं। कुछ मामलों में लोग ही अदालत की कार्यावाही को लंबा खींचने लग जाते हैं। दिल्ली की एक अदालत ने समय बर्बाद करने के लिए कुछ मुलजिमों को जज एक अनोखी सजा सुनाई। उनकी सजा थी- अदालत चलने तक हाथ ऊपर करके खड़े रहना। अदालत में मुलजिमों को हाथ ऊपर करके इस वजह से भी खड़ा किया गया जिससे उनके साथ दूसरे लोगों को भी सबक मिल सके। 

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कोर्ट के आदेश के बावजूद बेल बांड जमा नहीं करा सके मुलजिम

द्वारका कोर्ट के फर्स्ट क्लास जूडिशियल मजिस्ट्रेट सौरभ गोयल एक केस पर विचार कर रहे थे, तभी उन्होंने पाया कि मामले की सुनवाई दो बार हुई, फिर भी मुलजिम समय पर बेल बांड जमा नहीं कर पाए। जज ने कहा कि पिछली तारीख पर उन्हें ये बांड जमा करने का आदेश दिया गया था, इसलिए देरी और आरोपी की हरकत अदालत की अवमानना के समान है। अदालत ने कहा कि सुबह 10:00 बजे से लेकर 11:40 बजे तक दो बार उन्होंने बांड के जमा होने की प्रतीक्षा की। दो बार मामले की सुनवाई करने के बावजूद मुलजिमों ने बेल बांड जमा नहीं किए। अदालत ने इसको लेकर पिछली सुनवाई पर ही आदेश दिया था। जज ने गुस्से में लाल पीला होते हुए आरोपियों को अदालती कार्यवाही की अवमानना का दोषी ठहरा दिया। मजिस्ट्रेट सौरभ गोयल ने उन्हें आईपीसी की धारा 228 के तहत अपराध का दोषी ठहराया। उन्हें आदेश दिया गया कि अदालत उठने तक वो अपने हाथ हवा में उठाकर खड़े रहें।

अवमानना पर कुलदीप नामके मुलजिम को भेजा गया जेल

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मजिस्ट्रेट सौरभ गोयल ने कहा कि सुबह 11:40 बजे तक भी कुलदीप नाम के एक आरोपी ने बेल बांड जमा नहीं किया था। इसलिए, उसे दो हफ्ते की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। हालांकि, उसके वकीलों ने दोपहर लगभग 1 बजे इस मामले का जिक्र करते हुए कहा कि उसके बेल बांड उपलब्ध हैं। इसके बाद अदालत ने उसे जमानत पर रिहा कर दिया। मजिस्ट्रेट का कहना था कि बेल बांड की कवायद पूरी करने में सारा दिन निकल गया। गलती मुलजिमों की थी लेकिन सजा उन लोगों को भुगतनी पड़ रही है जिनके केस उनके बाद सुनवाई के लिए लगे थे। 

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