नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः दिल्ली हाईकोर्ट में एक अनोखा मामला सामने आया जिसने जज को भी हैरत में डाल दिया। मामले की तह में जाकर पड़ताल की गई तो अदालत को पता चला कि एक महिला एडवोकेट जज की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रही थी। अदालत का पारा चढ़ा और वकील को फटकार लगाकर 50 हजार रुपये का जुर्माना ठोक दिया गया। Judiciary | Indian Judiciary
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर थे केवल वकील के दस्तखत
मधु गुप्ता बनाम म्यूनिसिपल कारपोरेशन आफ दिल्ली के मामले में एडवोकेट की ये धोखाधड़ी सामने आई। जालसाजी का पता तब चला जब अदालत ने अवैध निर्माण से जुड़ी एक याचिका को देखा। कोर्ट ने देखा कि याचिका पर याचिकाकर्ता के दस्तखत नहीं थे। दिल्ली डेवलपमेंट अथारिटी (डीडीए) के वकील ने कोर्ट को बताया कि याचिका में याचिकाकर्ता का नंबर, उसकी मेल आईडी भी नहीं दर्ज है। डीडीए के वकील का कहना था कि स्पेशल टास्क फोर्स के पास जो शिकायत पहली दफा दी गई थी वो वकील की तरफ से थी। उसमें भी याचिका दाखिल करने वाले शख्स का कोई जिक्र नहीं था। अदालत ने पड़ताल की तो पता चला कि एसटीएफ को दी गई शिकायत में नाम पता सब कुछ एडवोकेट का था। जबकि होना याचिकाकर्ता का चाहिए था।
जालसाजी का पता लगते ही हत्थे से उखड़ीं जस्टिस
जस्टिस मिनी पुष्करना ने इस हरकत को नाकाबिले बर्दाश्त बताते हुए कहा कि शुरू से लेकर कोर्ट में दाखिल दस्तावेज की पड़ताल करने से साफ होता है कि महिला एडवोकेट ने जालसाजी की। उसे अवैध निर्माण के खिलाफ केस दाखिल करना था। उसने जालसाजी करके खुद को याचिकाकर्ता का वकील बता दिया। जबकि हकीकत में शिकायत करने वाली वो खुद ही थी।
वकील ने माफी मांगी पर कोर्ट नहीं मानी, लगाया जुर्माना
हाईकोर्ट की जस्टिस ने उनकी हरकत पर फटकार लगाते हुए कहा कि वो एक जिम्मेदार पेशे से जुड़ी हैं। कम से कम उन्हें इस बात का ख्याल तो रखना था कि कोर्ट से जालसाजी न करें। हालांकि एडवोकेट ने कोर्ट से माफी की गुहार लगाई पर जस्टिस पुष्करना का कहना था कि ये हरकत माफी के लायक नहीं है। उन्होंने एडवोकेट पर 50 हजार का जुर्माना लगा दिया।
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