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कोर्ट की डीएम को चेतावनी Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सावदी को 12 साल की मशक्कत के बाद राहत मिली है। कोर्ट ने आठ मीडिया समूहों को ऐसी कोई भी अश्लील सामग्री प्रकाशित करने से रोक दिया गया है जिससे उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचे। यह आदेश 30 जून को बेंगलुरु के एडिशनल सेशन जज की तरफ से पारित किया गया। खास बात है कि इंसाफ पाने के लिए एक विधायक को भी 12 साल लग गए। उसे हर बार की पेशी पर तारीख ही दी जाती रही।
विधानसभा में पोर्न देखते हुए पाए गए थे बीजेपी के तत्कालीन विधायक
सावदी 2012 में विधानसभा में पोर्न देखते हुए पाए गए थे। तब वो बीजेपी में थे। जब वीडियो सामने आया तो सावदी ने कहा कि मैं रेव पार्टी के बारे में पता लगाने के लिए वीडियो देख रहा था। हालांकि इसके बाद जब इस मामले में हंगामा बढ़ा तो लक्ष्मण के साथ साथ सीसी पाटिल और कृष्णा पालेमर को कर्नाटक के मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने तो सावदी उप मुख्यमंत्री बना दिए गए। वो भी तब जब वे न तो विधायक थे और न एमएलसी। दरअसल लक्ष्मण सावदी का नाम कर्नाटक के मजबूत लिंगायत नेताओं में आता है। वो बेलगावी जिले की अथानी विधानसभा से चार बार विधायक रहे हैं। 2023 में वो कांग्रेस में चले गए।
12 साल से लड़ रहे थे केस, अब कोर्ट ने माना कि वो सही थे
सावदी ने अपनी दलीलों में कहा था कि कुछ लोगों ने उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के इरादे से एक फर्जी वीडियो बनाया। इसमें उन्हें विधानसभा के अंदर अश्लील वीडियो देखते हुए दिखाया गया था। उन्होंने कहा कि इनमें से एक समूह कस्तूरी न्यूज ने उन दृश्यों को बार-बार प्रसारित किया जिन्हें उनकी छवि खराब करने के लिए ग्राफिक डिजाइन करके बनाया गया था। अदालत ने कहा कि मीडिया समूहों ने गवाह से जिरह नहीं की और न ही शिकायत को गलत साबित करने के लिए सबूत दिए। कोर्ट ने कहा कि यह अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रतिवादी गलत और झूठे हैं। उन्होंने शिकायतकर्ता के मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्यों को चुनौती तक नहीं दी है। इसलिए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सावदी ने अपना मामला साबित कर दिया है। लिहाजा अदालत उनके पक्ष में ये आदेश जारी करती है।
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