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लेडी जज को एडवोकेट ने दी थी कोर्ट रूम में गाली, SC ने ऐसे सिखाया सबक

वकील ने दया की गुहार लगाते हुए कहा कि उसके माता पिता उम्रदराज हैं। उसके ऊपर छोटे-छोटे बच्चों का जिम्मा भी है। उसकी सजा को घटाकर छह माह कर दिया जाए पर सुप्रीम कोर्ट ने उसकी दलीलों को सुनने से भी इन्कार कर दिया।

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Shailendra Gautam
supreme court

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कःदिल्ली की एक जज को कोर्टरूम में गाली देने वाले एडवोकेट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषी वकील को काफी ज्यादा राहत दे डाली थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट किसी भी दलील को मानने के लिए तैयार नहीं हुआ। टाप कोर्ट का कहना था कि दिल्ली में बहुत सारी महिला अफसर हैं। अगर वकील को हल्के में छोड़ दिया तो ऐसी अफसरों का काम करना भी मुश्किल हो जाएगा। 

महिला जज ने दर्ज कराया था केस, मिली थी 18 महीने की सजा

मामले के अनुसार संजय राठौड़ नाम के एक वकील ने महिला जज के साथ कोर्टरूम में बदसलूकी की थी। वकील किसी चालान के सिलसिले में कोर्ट में गया था। जज ने तारीख दे दी। तो उसने वहीं पर पहले जज को धमकाने वाली भाषा इस्तेमाल की और आखिर में गालियां निकाल दीं। महिला जज ने पुलिस को शिकायत देकर वकील के खिलाफ केस दर्ज कराया था। उसके बाद ट्रायल हुआ और कोर्ट ने वकील को 18 महीने की साधारण सजा दी। Judiciary | Indian Judiciary | judiciary of india 

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला बरकरार रखा पर दे थी कुछ राहत

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एडवोकेट ने दिल्ली हाईकोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील की तो उसकी सजा तो बरकरार रखी गई पर हाईकर्ट ने अपने फैसले से वकील को राहत दे डाली। हाईकोर्ट का कहना था कि वकील को अलग-अलग धाराओं में दी गई सजा एक साथ चलेंगी। पीड़ित पार्टी ने फैसले को सुप्रीम कोट में चुनौती दी। जस्टिस पीके मिश्रा और मनमोहन की बेंच ने मामले को सुना और तल्ख लहजे में कहा कि इस वकील को सख्त सजा मिलनी ही चाहिए। ये महिला के साथ बदसलूकी का मामला है। हम इसे सस्ते में छोड़ देंगे तो दिल्ली में काम कर रही तमाम महिला अफसर हतोत्साहित हो जाएंगी। 

वकील ने लगाई गुहार पर नहीं माना सुप्रीम कोर्ट

हालांकि वकील ने दया की गुहार लगाते हुए कहा कि उसके माता पिता उम्रदराज हैं। उसके ऊपर छोटे-छोटे बच्चों का जिम्मा भी है। बार काउंसिल आफ इंडिया ने भी उसके खिलाफ एक्शन ले लिया है। ऐसे में उसकी सजा को घटाकर छह माह कर दिया जाए पर सुप्रीम कोर्ट ने उसकी दलीलों को सुनने से भी इन्कार कर दिया। बेंच का कहना था कि ये सरासर गलत होगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि नाइंसाफी जज के साथ हुई है। अब हम इंसाफ करेंगे।

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SANJAY RATHORE Versus STATE, ADVOCATE SANJAY RATHORE, ABUSE TO FEMALE JUDGE, SUPREME COURT 

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