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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः हिमाचल प्रदेश में फिलहाल बिजली कारपोरेशन के एक चीफ इंजीनियर की खुदकुशी सूबे की कांग्रेस सरकार के गले की फांस बनी हुई है। मामले में सीबीआई की एंट्री होने के बाद से सीएम सुखविंदर सिंह उर्फ सुक्खू की जान पर भी बन आई है। डर है कि कहीं सीएम दफ्तर चपेट में न आ जाए। वैसे इस सारे फसाद की जड़ में एक ऐसा पुलिस अफसर है जो सीएम की आंख का तारा माना जाता था। फिलहाल उनकी आंखों की किरकिरी बन गया है। सीएम उससे इतना आजिज आ चुके हैं कि अब उसकी शक्ल देखने तक को तैयार नहीं हैं।
हिमाचल के नौकरशाहों में पहली बार दिखी ऐसी खुली जंग
हिमाचल की नौकरशाही में इस तरह की खुली जंग शायद ही कभी देखी गई हो। इसके केंद्र में शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी हैं, जिनको सुक्खू का चहेता माना जाता हैं। वो हिमाचल प्रदेश पुलिस सेवा में थे। 2017 में आईपीएस में पदोन्नत किए गए। गांधी वो अधिकारी हैं, जिन्हें राज्य सरकार ने कई संवेदनशील मामलों की जांच के लिए चुना था। हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की आत्महत्या भी उनमें से एक है। गांधी की वजह से ये मामला बवंडर बन चुका है। इतना कि सरकार भी परेशान है।
चीफ इंजीनियर की खुदकुशी ने जंग को किया बेपर्दा
विमल नेगी की पत्नी ने एचपीपीसीएल के शीर्ष अधिकारियों पर उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था। 24 मई को हिमाचल हाईकोर्ट ने आत्महत्या की जांच सीबीआई को सौंपी थी। एजेंसी को निर्देश दिया गया था कि सभी राज्य पुलिस अधिकारियों को एसआईटी से बाहर रखा जाए। मामले ने तब तूल पकड़ा जब गांधी ने डीजीपी अतुल वर्मा पर अदालत में गलत हलफनामा पेश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कोर्ट में यह भी याचिका दायर की कि मामले को सीबीआई के पास न भेजा जाए। इस मामले में संजीव गांधी ने चीफ सेक्रेट्री दफ्तर के कामकाज पर सवाल उठाए, पर उनका नाम नहीं लिया। सीएम अपने चहेते अफसर से इतने आजिज आ गए कि 27 मई को उन्होंने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए तीनों अफसरों डीजीपी वर्मा, एसपी गांधी और चीफ सेक्रेट्री ओंकार शर्मा को छुट्टी पर भेज दिया। इससे पहले गांधी ने डीजीपी दफ्तर पर ड्रग सिंडिकेट्स को पालने और समोसा कंट्रोवर्सी की रिपोर्ट को लीक करने का भी आरोप लगाया था। उन्होंने एक अन्य डीजीपी (अब रिटायर्ड) पर जुलाई 2023 के एक साधारण गैस रिसाव विस्फोट मामले को आतंकवादी हमले की तरह दिखाने के लिए आरडीएक्स प्लांट करने का भी आरोप जड़ा था। ये सारे मामले दिखाते हैं कि गांधी कितने क्रांतिकारी हैं।
सीएम सुक्खू के चहेते अफसर माने जाते हैं संजीव गांधी
सूत्रों का कहना है कि दिसंबर 2022 में हिमाचल में कांग्रेस सरकार बनी तो सुक्खू ने शिमला एसपी के रूप में गांधी की नियुक्ति की जो एक आश्चर्यजनक बात थी। वह उस समय हिमाचल प्रदेश सशस्त्र पुलिस के कमांडेंट थे। यह एक लो-प्रोफाइल पोस्टिंग थी। फरवरी 2024 में हिमाचल में राज्यसभा चुनावों के दौरान क्रॉस-वोटिंग का मामला सामने आया। जिसमें भाजपा के टिकट पर एक कांग्रेसी दलबदलू जीत गया। कहा जाता है कि सारे खेल में पैसे का लेनदेन हुआ था। सरकार ने गांधी को जांच करने के लिए नियुक्त किया। इस मामले में एक भाजपा विधायक और एक पूर्व नौकरशाह के साथ एक कांग्रेस विधायक के पिता की भूमिका की भी जांच की जा रही है। भाजपा ने गांधी पर जांच के दौरान उसके नेताओं को परेशान करने का आरोप लगाया है। अगस्त 2024 में पूर्व भाजपा सीएम जय राम ठाकुर ने गांधी पर विधानसभा सत्र के दौरान ड्रोन के जरिये जासूसी करने का आरोप लगाया। गांधी का बचाव खुद सीएम ने किया। उनका कहना था कि शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड ने जीआईएस मैपिंग के लिए ड्रोन तैनात किए थे। ये पहला मामला नहीं था जब गांधी ने अपने क्रांतिकारी तेवर दिखाए। 2021-22 में पुलिस भर्ती के दौरान विसंगतियों को उजागर करने, 2023 में एक व्यवसायी से जुड़े पालमपुर मामले में उन्होंने एक पूर्व डीजीपी के खिलाफ रिपोर्ट पेश की। अब चीफ इंजीनियर की आत्महत्या का विवाद है।
फिलहाल सीएम ने किया किनारा, अब संकट में गांधी
सोलन के रहे वाले गांधी वकीलों के परिवार से हैं। उनके पिता मसूरी में कानून के प्रोफेसर थे। गांधी ने 1999 में राज्य पुलिस सेवा में शामिल होने से पहले हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में वकालत की थी। उनकी पत्नी निशा ठाकुर भी एक वकील हैं। कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि गांधी को शिमला एसपी की पोस्टिंग मिलने के पीछे उनका ट्रैक रिकॉर्ड था। खासकर ड्रग्स के खिलाफ उनका काम सराहनीय था। लेकिन गांधी ने अपनी कारगुजारियों से खुद को एक कोने में धकेल दिया है। उन्होंने एक प्रेस मीटिंग में अपने वरिष्ठों पर हमला करके खुद को नुकसान पहुंचाया। अब आलम ये है कि उनके सबसे बड़े पैरोकार सीएम सुक्खू भी उनसे किनारा कर चुके हैं।
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