नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर विवादों के भंवर में फंसी नजर आ रही है। नोबेल विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस ने पहले इस्तीफा देने का नाटक किया और अब उनके समर्थक बिना चुनाव के पांच साल तक सत्ता देने की मांग कर रहे हैं। इस मांग ने विपक्ष और नागरिकों में आक्रोश पैदा कर दिया है। क्या यह लोकतंत्र के साथ मज़ाक है या एक नई राजनीतिक चाल?
बांग्लादेश की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। नोबेल पुरस्कार विजेता और सामाजिक उद्यमिता के पोस्टर बॉय माने जाने वाले डॉ. मुहम्मद यूनुस फिर से चर्चा में हैं- और इस बार वजह है उनकी राजनीति में दोहरी चाल।
पहले उन्होंने इस्तीफे का ऐलान कर पूरे देश को चौंका दिया, अब उनके समर्थकों की मांग है कि यूनुस को अगले पांच साल तक बिना चुनाव सत्ता सौंपी जाए।
क्यों उठ रही है सत्ता की ऐसी अजीब मांग?
यूनुस समर्थकों का तर्क है कि देश को स्थिर नेतृत्व की जरूरत है और चुनाव एक "विलासिता" है जो बांग्लादेश अभी नहीं झेल सकता। इस आधार पर वे चाहते हैं कि यूनुस को सीधे सत्ता दी जाए, जिससे देश में "अशांति और खर्च" को रोका जा सके।
लेकिन यह तर्क लोकतांत्रिक ढांचे पर सीधा हमला माना जा रहा है। विपक्षी दलों से लेकर आम नागरिकों तक, सभी इस मांग को खारिज कर रहे हैं।
लोकतंत्र या सत्ता की लालसा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यूनुस की ये रणनीति जनता की भावनाओं से खेलने वाली है। पहले 'त्याग' की छवि बनाना और फिर सत्ता की मांग - ये सब एक सुनियोजित योजना का हिस्सा लगते हैं।
कुछ विशेषज्ञों ने तो इसे "तख्तापलट की सॉफ्ट नीति" तक कह दिया है।
विपक्ष और जनता का गुस्सा
देशभर में यूनुस समर्थकों की मांग के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों ने कहा- "बिना चुनाव कोई भी सत्ता पर कैसे काबिज हो सकता है? क्या हम फिर किसी तानाशाही दौर में लौट रहे हैं?"
इस पूरे घटनाक्रम ने बांग्लादेश के लोकतंत्र की साख और स्थिरता दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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