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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत-पाकिस्तान के बीच अचानक शेयर बाजार में उछाल आया है। शुरुआती कारोबार में शेयर बाजारों में बढ़त देखी गई। आज सुबह हरे निशान पर खुले शेयर बाजार में तेजी आने लगी है। सेंसेक्स 1,793.73 अंक उछलकर 81,248.20 पर आ गया, ऐसे ही निफ्टी 553.25 अंक बढ़कर 24,561.25 पर पहुंचा।
भारतीय शेयर बाजार में हाल के दिनों में उतार-चढ़ाव का माहौल देखने को मिला है। बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी जैसे प्रमुख सूचकांकों में लगातार बदलाव ने निवेशकों के बीच उत्सुकता और सतर्कता दोनों बढ़ा दी है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य, घरेलू नीतिगत फैसले और कॉरपोरेट आय जैसे कारक इस अस्थिरता के पीछे प्रमुख कारण हैं।
पिछले कुछ कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स ने जहां एक ओर मजबूत शुरुआत की, वहीं दूसरी ओर कुछ क्षेत्रों में मुनाफावसूली के कारण इसमें गिरावट भी देखी गई। निफ्टी ने भी समान रुझान दिखाया, जिसमें बैंकिंग, आईटी और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों ने मिला-जुला प्रदर्शन किया। विशेष रूप से, बैंकिंग शेयरों में तेजी देखी गई, जबकि फार्मा और मेटल सेक्टर में कमजोरी का रुख रहा।
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों में संभावित वृद्धि ने निवेशकों की चिंता बढ़ाई है। इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली ने भी बाजार पर दबाव बनाया है। हालांकि, घरेलू निवेशकों ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए चुनिंदा शेयरों में निवेश बढ़ाया है, जिससे बाजार में कुछ हद तक संतुलन बना हुआ है।
विशेषज्ञों का बड़ा दावा
विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को मौजूदा समय में सतर्कता बरतनी चाहिए। दीर्घकालिक निवेश के लिए मजबूत फंडामेंटल्स वाले शेयरों पर ध्यान देना बेहतर रणनीति हो सकती है। इसके साथ ही, अल्पकालिक व्यापारियों को बाजार की दिशा पर नजर रखते हुए त्वरित निर्णय लेने की आवश्यकता है।
कुछ प्रमुख कंपनियों के तिमाही नतीजों ने भी बाजार की गतिशीलता को प्रभावित किया है। जहां कुछ कंपनियों ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया, वहीं कुछ ने निराश किया, जिसका असर उनके शेयरों की कीमतों पर पड़ा। उदाहरण के लिए, आईटी क्षेत्र की कुछ दिग्गज कंपनियों ने वैश्विक मांग में कमी की बात कही, जिससे उनके शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। दूसरी ओर, बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों ने बेहतर नतीजों के दम पर निवेशकों का भरोसा जीता।
आगामी दिनों में बाजार की दिशा काफी हद तक वैश्विक और घरेलू आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर करेगी। विशेष रूप से, मुद्रास्फीति, जीडीपी वृद्धि दर और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक नीति पर निवेशकों की नजर रहेगी। इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतें और भू-राजनीतिक घटनाक्रम भी बाजार के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
निवेशकों को सलाह
निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाएं और जोखिम प्रबंधन पर ध्यान दें। बाजार में अस्थिरता के बावजूद, विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद और दीर्घकालिक विकास की संभावनाएं निवेशकों के लिए आशा की किरण बनी हुई हैं।
इस समय बाजार में निवेश के अवसरों की तलाश कर रहे लोगों के लिए यह समझना जरूरी है कि सही समय पर सही निर्णय ही सफलता की कुंजी है। जैसे-जैसे आर्थिक परिदृश्य स्पष्ट होगा, बाजार भी स्थिरता की ओर बढ़ सकता है। तब तक, धैर्य और सूझबूझ ही निवेशकों के सबसे बड़े हथियार हैं।
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