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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को फिर से बढ़ा दिया है। 22 अप्रैल को हुए इस हमले के बाद पाकिस्तानी वायुसेना पूरी रात सतर्क रही। उसे भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई का डर सता रहा था। इस बीच, भारत ने कड़े कदम उठाए, जिसमें पाकिस्तानी राजनयिक को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' घोषित करना और 65 साल पुराने सिंधु जल समझौते को रोकना शामिल है। आइए, इस घटना और इसके प्रभावों को विस्तार से समझते हैं।
पहलगाम में आतंकी हमला: क्या हुआ?
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया। शुरुआती जांच के अनुसार, चार आतंकवादी सेना जैसी वर्दी (कैमोफ्लाज ड्रेस) में बैसरन घाटी पहुंचे। उनके पास अमेरिकी M4 कार्बाइन राइफल और AK-47 जैसे घातक हथियार थे।
हमले में आतंकियों ने पहले पर्यटकों को हथियार दिखाकर रोका, फिर महिलाओं और बच्चों को अलग किया। इसके बाद, उन्होंने लोगों की पहचान पूछी और नजदीक से गोलीबारी शुरू कर दी। बाद में अंधाधुंध फायरिंग की गई। घटनास्थल से 50 से 70 कारतूस बरामद हुए हैं।
इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। भारत सरकार ने तुरंत कड़े कदम उठाने शुरू किए, जिसने पाकिस्तान को भी सतर्क कर दिया।
पाकिस्तान की बेचैनी: रातभर अलर्ट रही पाक वायुसेना
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई का डर सता रहा था। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने 22 अप्रैल की शाम को तीनों सेनाओं के कमांडरों के साथ आपात बैठक की। इस बैठक में भारत से लगी सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने का फैसला लिया गया।
पाकिस्तान ने कराची एयरबेस से 18 फाइटर जेट लाहौर और रावलपिंडी के एयरबेस पर भेजे। ये सभी जेट चीन निर्मित जेएफ-17 हैं। इसके अलावा, नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भी सैनिकों की तैनाती बढ़ाई गई। लगभग 740 किलोमीटर लंबी इस सीमा पर पाकिस्तान ने अपनी सैन्य गतिविधियां तेज कर दी हैं।
पाकिस्तानी सेना को डर है कि भारत पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) में लश्कर-ए-तैयबा के लॉन्च पैड्स पर हमला कर सकता है। इसके चलते पाकिस्तान ने अपने सभी 20 कॉम्बैट फाइटर जेट स्क्वाड्रन को हाई अलर्ट पर रखा है। साथ ही, अरब सागर में फायरिंग अभ्यास भी शुरू किया गया है। हालांकि, पाकिस्तान का मानना है कि भारत अभी जमीनी कार्रवाई नहीं करेगा।
जनरल मुनीर ने 23 अप्रैल को भी कमांडरों के साथ एक और बैठक की, जिसमें स्थिति की समीक्षा की गई।
भारत की सख्त प्रतिक्रिया: CCS बैठक और बड़े फैसले
पहलगाम हमले के बाद भारत ने तुरंत सख्त कदम उठाए। 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCS) की ढाई घंटे की बैठक हुई। इस बैठक में हमले की गंभीरता को देखते हुए पांच बड़े फैसले लिए गए। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि ये फैसले आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाते हैं।
24 अप्रैल को केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को शामिल होने के लिए कहा गया। इस बैठक में हमले के बाद की स्थिति और भारत की रणनीति पर चर्चा होनी है।
पाकिस्तानी राजनयिक को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' का नोटिस
भारत ने 23 अप्रैल की देर रात पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक साद अहमद वराइच को दिल्ली में तलब किया। उन्हें भारत सरकार की ओर से 'पर्सोना नॉन ग्राटा' का आधिकारिक नोटिस सौंपा गया। इसका मतलब है कि उन्हें एक हफ्ते के अंदर भारत छोड़ना होगा।
'पर्सोना नॉन ग्राटा' एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ 'अस्वीकार्य व्यक्ति' होता है। यह राजनयिक मामलों में तब इस्तेमाल किया जाता है, जब किसी देश को लगता है कि विदेशी राजनयिक की गतिविधियां उसके हितों के खिलाफ हैं। भारत का यह कदम पाकिस्तान को साफ संदेश देता है कि वह आतंकवाद के मुद्दे पर कोई नरमी नहीं बरतेगा।
सिंधु जल समझौता रद्द: 65 साल बाद बड़ा कदम
पहलगाम हमले के बाद भारत ने एक और बड़ा कदम उठाया। उसने 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को रोक दिया। यह समझौता भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हुआ था। इसके तहत सिंधु बेसिन की छह नदियों को दो हिस्सों में बांटा गया था...
पूर्वी नदियां: रावी, ब्यास, और सतलुज, जिन पर भारत का पूरा नियंत्रण है।
पश्चिमी नदियां: सिंधु, चिनाब, और झेलम, जिनका 20% पानी भारत रोक सकता है।
65 साल बाद इस समझौते को रोकना भारत का पाकिस्तान को कड़ा संदेश है। इससे पाकिस्तान की कृषि और जल आपूर्ति पर असर पड़ सकता है।
हमले की जांच: आतंकियों के हथियार और रणनीति
पहलगाम हमले की जांच में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। आतंकी सेना जैसी वर्दी में थे और उनके पास M4 कार्बाइन और AK-47 जैसे हथियार थे। ये हथियार आमतौर पर नियमित सेनाओं के पास होते हैं, जिससे हमले की गंभीरता और बढ़ जाती है।
चश्मदीदों के अनुसार, आतंकियों ने पहले पर्यटकों को डराया, फिर उनकी जाति और धर्म की पहचान पूछी। इसके बाद, उन्होंने नजदीक से गोलीबारी शुरू की और फिर अंधाधुंध फायरिंग की। इस हमले ने स्थानीय लोगों और पर्यटकों में दहशत फैला दी।
भारत-पाक तनाव का इतिहास
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का लंबा इतिहास रहा है। कश्मीर मुद्दा और सीमा पर आतंकी गतिविधियां दोनों देशों के रिश्तों को तनावपूर्ण बनाती रही हैं। पहले भी बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019) और सर्जिकल स्ट्राइक (2016) जैसे मौके आए, जब भारत ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की थी। पहलगाम हमला एक बार फिर दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ा सकता है।
आगे की क्या है तैयारी ?
पहलगाम हमले के बाद भारत ने साफ कर दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाएगा। पाकिस्तानी राजनयिक को निष्कासित करना, सिंधु जल समझौता रोकना, और CCS के पांच बड़े फैसले इस दिशा में मजबूत कदम हैं। दूसरी ओर, पाकिस्तान की सैन्य तैयारियां और हाई अलर्ट स्थिति बताती है कि वह भी किसी जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है।
भारत की सर्वदलीय बैठक में सभी दलों के बीच एकजुटता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा होगी। यह बैठक भारत की अगली रणनीति को और स्पष्ट कर सकती है। indian army | pakistan | India Pakistan Relations |
पहलगाम हमला न केवल जम्मू-कश्मीर के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए एक गंभीर चुनौती है। भारत ने इस हमले का जवाब राजनयिक, सैन्य, और कूटनीतिक स्तर पर दिया है। दूसरी ओर, पाकिस्तान की सैन्य तैयारियां और बेचैनी स्थिति की गंभीरता को दर्शाती हैं। आने वाले दिन दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि यह तनाव क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।