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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने रियल एस्टेट क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सुपरटेक लिमिटेड के नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) में चल रहे प्रोजेक्ट्स की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश दिए हैं।
यह आदेश बिल्डरों और बैंकों के बीच कथित गठजोड़ की गहन जांच के लिए दिया गया है, जिसके कारण हजारों होमबायर्स को आर्थिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि प्रभावित लोगों को न्याय मिले और रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़े।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश और जांच का दायरा
सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल 2025 को अपने आदेश में सीबीआई को सुपरटेक के एनसीआर क्षेत्र में प्रोजेक्ट्स की प्रारंभिक जांच शुरू करने का निर्देश दिया। इस जांच का मुख्य उद्देश्य बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों के बीच संभावित अनुचित संबंधों का पता लगाना है।
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पुलिस महानिदेशकों को भी आदेश दिया कि वे सीबीआई के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन में सहयोग करें। इसके लिए डीएसपी, इंस्पेक्टर और कांस्टेबल जैसे अधिकारियों की सूची सौंपने को कहा गया है। यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि जांच में किसी भी तरह की बाधा न आए और सभी पक्षों की जिम्मेदारी तय की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में होमबायर्स की शिकायतों को विशेष रूप से ध्यान में रखा। कई होमबायर्स ने आरोप लगाया है कि सुपरटेक और अन्य बिल्डरों ने बैंकों के साथ मिलकर सबवेंशन स्कीम के तहत लोन स्वीकृत किए, लेकिन प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे नहीं किए गए। इसके बावजूद, बैंकों ने होमबायर्स से ईएमआई की वसूली शुरू कर दी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो गई। कोर्ट ने इसे "अनैतिक गठजोड़" करार देते हुए इसकी गहराई से जांच की आवश्यकता पर बल दिया।
होमबायर्स की परेशानियां और कोर्ट का रुख
एनसीआर में सुपरटेक के प्रोजेक्ट्स, खासकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम जैसे क्षेत्रों में, लंबे समय से विवादों में हैं। हजारों होमबायर्स ने अपनी मेहनत की कमाई इन प्रोजेक्ट्स में निवेश की, लेकिन उन्हें न तो समय पर फ्लैट्स का पजेशन मिला और न ही उनकी शिकायतों का समाधान हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने इस स्थिति को "होमबायर्स की आंसुओं की कहानी" करार देते हुए कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है, जिसे समयबद्ध तरीके से हल करना जरूरी है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। हालांकि, जिन बैंकों या संस्थानों ने नियमों का पालन किया है, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने सीबीआई से दो सप्ताह के भीतर जांच की रूपरेखा प्रस्तुत करने को कहा है, जिसमें यह बताया जाए कि जांच प्रोजेक्ट-विशिष्ट होगी या क्षेत्र-विशिष्ट। इस कदम से रियल एस्टेट क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ने की उम्मीद है।
सुपरटेक का इतिहास और वित्तीय संकट
सुपरटेक लिमिटेड एक प्रमुख रियल एस्टेट कंपनी है, जो नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम और बेंगलुरु जैसे शहरों में कई आवासीय परियोजनाओं में शामिल रही है। हालांकि, कंपनी पिछले कुछ वर्षों से वित्तीय संकट का सामना कर रही है।
मार्च 2021 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने सुपरटेक के खिलाफ 431 करोड़ रुपये से अधिक के दावे के साथ दिवालिया कार्यवाही शुरू की थी। इसके अलावा, कंपनी के कई प्रोजेक्ट्स अधूरे पड़े हैं, जिसके कारण होमबायर्स और अन्य हितधारकों में असंतोष बढ़ता गया।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी सुपरटेक के प्रोजेक्ट्स को लेकर कई आदेश दिए हैं। उदाहरण के लिए, मई 2023 में कोर्ट ने प्रोजेक्ट-वाइज रिजॉल्यूशन प्रक्रिया की अनुमति दी थी, जिसके तहत एक अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) की निगरानी में निर्माण कार्य शुरू करने की बात कही गई थी। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद, प्रोजेक्ट्स में प्रगति धीमी रही, जिसने कोर्ट को और सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर किया।
भविष्य की संभावनाएं और प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न केवल सुपरटेक बल्कि पूरे रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। यह कदम बिल्डरों और बैंकों को जवाबदेह बनाने के साथ-साथ होमबायर्स के हितों की रक्षा करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। सीबीआई जांच से यह स्पष्ट हो सकता है कि किन परिस्थितियों में बैंकों ने बिना पर्याप्त जांच के बिल्डरों को बड़े पैमाने पर लोन स्वीकृत किए और इसका होमबायर्स पर क्या प्रभाव पड़ा।
इसके अलावा, यह जांच रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और विश्वास बहाल करने में मदद कर सकती है। होमबायर्स, जो लंबे समय से अपने सपनों के घर के लिए संघर्ष कर रहे हैं, को इस फैसले से उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है। हालांकि, जांच का परिणाम और उसका प्रभाव अभी भविष्य के गर्भ में है।
सुप्रीम कोर्ट का सुपरटेक के प्रोजेक्ट्स की सीबीआई जांच का आदेश रियल एस्टेट क्षेत्र में एक नई शुरुआत की ओर इशारा करता है। यह न केवल होमबायर्स के लिए न्याय की उम्मीद जगाता है, बल्कि बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों को भी यह संदेश देता है कि अनैतिक प्रथाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आने वाले समय में इस जांच के परिणाम न केवल सुपरटेक बल्कि पूरे रियल एस्टेट सेक्टर के लिए एक मिसाल कायम कर सकते हैं। Noida | Noida Authority | supreme court | bank |