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इन दिनों कैरोलिन डायर अपने एक पुराने बयान को लेकर चर्चा में हैं, जो 2019 के चैनल 4 के एक वृत्तचित्र का हिस्सा था, लेकिन हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इस वीडियो में कैरोलिन डायर, राज कोहली से मिलती हुई दिखाई दे रही हैं, जिनके परदादा बलवंत सिंह जलियांवाला बाग हत्याकांड में छिपकर बचने में कामयाब रहे थे। इस मुलाकात के दौरान, जब राज कोहली अपने परदादा के अनुभवों के बारे में बता रहे थे, तो कैरोलिन डायर ने चौंकाने वाला और असंवेदनशील बयान दिया। उन्होंने बलवंत सिंह को "लुटेरा" (looter) कह दिया। उनका यह बयान सुनकर राज कोहली भी हैरान रह गए और उन्होंने कैरोलिन डायर के इस विचार का विरोध किया कि उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन जलियांवाला बाग में इकट्ठा हुए लोग उपद्रवी थे।
यह घटना एक बार फिर जलियांवाला बाग हत्याकांड की पीड़ा और ऐतिहासिक घावों को सामने ले आई है। कैरोलिन डायर का बयान न केवल पीड़ितों के परिवारों को ठेस पहुंचाता है, बल्कि उस औपनिवेशिक मानसिकता को भी दर्शाता है जो कुछ लोगों में आज भी मौजूद है। इस बयान की व्यापक निंदा इस बात का प्रमाण है कि यह घटना भारतीय इतिहास में एक गहरा और दर्दनाक अध्याय बनी हुई है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
कैरोलिन का बयान सोशल मीडिया पर वायरल
कैरोलिन डायर ने आगे कहा, "मुझे लगता है कि इतिहास इतिहास है और आपको इसे स्वीकार करना होगा और इसमें डूबे नहीं रहना चाहिए।" उन्होंने अपने परदादा का बचाव करते हुए कहा कि जनरल डायर एक "बहुत ही सम्मानित व्यक्ति" थे और भारतीयों द्वारा बहुत पसंद किए जाते थे, जो तीन या चार भारतीय भाषाएं बोलते थे, जो बहुत कम लोग करते थे। कैरोलिन डायर का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और इसकी कड़ी आलोचना हो रही है। कई लोगों ने इसे पीड़ितों का अपमान और एक दर्दनाक ऐतिहासिक घटना के प्रति असंवेदनशीलता बताया है।
निर्माता करण जौहर की कड़ी प्रतिक्रिया
हाल ही में, बॉलीवुड फिल्म निर्माता करण जौहर ने भी इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अपनी आगामी फिल्म "केसरी चैप्टर 2" के प्रचार कार्यक्रम के दौरान, जब उनसे इस वीडियो के बारे में पूछा गया, तो करण जौहर ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कैरोलिन डायर के बयान को "हास्यास्पद" और "बेशर्मी भरा" बताया। करण जौहर ने कहा कि यह सुनकर उनका खून खौल गया कि कैरोलिन डायर ने हजारों निर्दोष लोगों को लुटेरा कहा, जो बैसाखी के शुभ दिन पर शांतिपूर्वक इकट्ठा हुए थे। उन्होंने कहा कि यह बयान न केवल असंवेदनशील है, बल्कि मानवता के स्तर पर भी अस्वीकार्य है।
कैरोलिन का बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए
करण जौहर ने आगे कहा कि जनरल डायर ने खुद स्वीकार किया था कि उन्होंने गोलियां तब तक चलवाईं जब तक कि उनकी गोलियां खत्म नहीं हो गईं। उन्होंने कैरोलिन डायर द्वारा अपने परदादा के भारत के प्रति प्रेम और उन्हें एक दयालु व्यक्ति बताने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जब किसी के कर्म नफरत से भरे हों तो उसके दिल में प्यार कैसे हो सकता है। करण जौहर ने मांग की कि कैरोलिन डायर को अपने इस घृणित बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह बयान जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसे सबसे बड़े नरसंहारों में से एक के प्रति उनकी तिरस्कारपूर्ण भावना को दर्शाता है।
फिर उबरे नरसंहार के घाव
यह घटना एक बार फिर जलियांवाला बाग नरसंहार की पीड़ा और ऐतिहासिक घावों को सामने ले आई है। कैरोलिन डायर का बयान न केवल पीड़ितों के परिवारों को ठेस पहुंचाता है, बल्कि उस औपनिवेशिक मानसिकता को भी दर्शाता है जो कुछ लोगों में आज भी मौजूद है। इस बयान की व्यापक निंदा इस बात का प्रमाण है कि यह घटना भारतीय इतिहास में एक गहरा और दर्दनाक अध्याय बनी हुई है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
जनरल डायर की परपोती कैरोलिन डायर: एक परिचय
जनरल रेजिनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर, ब्रिटिश भारतीय सेना के वह अधिकारी थे जिन्हें 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए कुख्यात माना जाता है। उनकी परपोती, कैरोलिन डायर, हाल के दिनों में अपने एक विवादास्पद बयान को लेकर चर्चा में आई हैं। कैरोलिन डायर एक शिक्षाविद और शोधकर्ता हैं। उनकी विशेषज्ञता सामाजिक समावेश, शिक्षा नीति और विकास के क्षेत्रों में है। वह विशेष रूप से खानाबदोश समुदायों और हाशिए पर रहने वाले समूहों की शिक्षा पर काम करती रही हैं। वर्तमान में वह लीड्स विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।
उनकी शैक्षणिक प्रोफाइल से पता चलता है कि उन्होंने भारत, केन्या, अफगानिस्तान और इथियोपिया जैसे देशों में शिक्षा समावेश पर महत्वपूर्ण शोध किया है। यूनेस्को की समावेशी नीति प्रयोगशाला की वेबसाइट पर भी उन्हें एक विशेषज्ञ के तौर पर सूचीबद्ध किया गया है। कैरोलिन डायर, जनरल रेजिनाल्ड डायर की परपोती हैं। जनरल डायर वह ब्रिटिश अधिकारी था जिसने 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग नरसंहार में निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए थे।