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अमेरिका और चीन के बीच चल रही ट्रेड वॉर ने अब एक नया और दिलचस्प रंग ले लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीनी सामान पर भारी-भरकम 145% टैरिफ थोपा, तो चीन ने भी 125% टैरिफ के साथ करारा जवाब दिया।
लेकिन, चीन ने यहीं नहीं रुका। उसने टिकटॉक को हथियार बनाकर ऐसा दांव चला कि गुच्ची, डायर और वर्साचे जैसे बड़े लग्जरी ब्रांड्स की नींद हराम हो गई। चीनी टिकटॉक यूजर्स अब वीडियो बनाकर खुलासा कर रहे हैं कि ये महंगे ब्रांड्स के प्रोडक्ट्स असल में चीन की फैक्ट्रियों में बनते हैं। इतना ही नहीं, ये लोग अब इनके सस्ते वर्जन, यानी “फर्स्ट कॉपी” प्रोडक्ट्स, सीधे ग्राहकों को बेचने की बात कर रहे हैं।
टिकटॉक बना हथियार, खुल रही फैक्ट्रियों की सच्चाई
China TikTok is so messy rn Because now that the Chinese government legalize Counterfeit products of all American goods because of the tariffs their now exposing a lot of Big brands and how their stuff is manufactured and encourages you to buy them in House China for cheaper pic.twitter.com/GLftzEnF3y
— Klair-O-Spinach ( Saint Era) (@ClairoSpinach) April 12, 2025
china news | china news today : टिकटॉक पर वायरल हो रहे वीडियो में चीनी यूजर्स खुलकर बता रहे हैं कि लग्जरी ब्रांड्स के प्रोडक्ट्स बनाने वाली फैक्ट्रियाँ पिछले कई सालों से चीन में हैं। एक वीडियो में एक शख्स ने कहा, “हमारी फैक्ट्रियां दशकों से इन ब्रांड्स के लिए बैग, कपड़े और जूते बनाती हैं।
लेकिन, मुनाफा तो ये ब्रांड्स ले जाते हैं, हमें सिर्फ मेहनत का पैसा मिलता है।” उसने दावा किया कि चीनी फैक्ट्रियाँ चमड़ा, जिपर और बाकी सामान इतनी तेजी और क्वालिटी के साथ तैयार करती हैं कि दुनिया में कहीं और ऐसा मुमकिन नहीं है। उसने हँसते हुए कहा, “कई ब्रांड्स ने चीन छोड़ने की कोशिश की, लेकिन वो वापस लौट आए। अब सीधे हमसे सस्ता सामान लो!”
Like their just Airing it out out there now they don’t give af anymore 😭 pic.twitter.com/QAPKudv64y
— Klair-O-Spinach ( Saint Era) (@ClairoSpinach) April 12, 2025
डायर से वर्साचे तक, सप्लाई चेन की पोल खुली
एक अन्य टिकटॉक यूजर ने डायर की सप्लाई चेन का खुलासा किया। उसने बताया कि डायर के स्वेटर और कार्डिगन हांगझोउ की एक फैक्ट्री से आते हैं, जो वर्साचे और दूसरे बड़े ब्रांड्स को भी सप्लाई करती है। एक और वीडियो में कॉस्मेटिक्स की बात सामने आई, जिसमें दावा किया गया कि डायर, लैंकोम और लॉरियल जैसे ब्रांड्स के प्रोडक्ट्स भी चीन की फैक्ट्रियों में तैयार होते हैं।
Like it just keeps going pic.twitter.com/BhIHBTpLpG
— Klair-O-Spinach ( Saint Era) (@ClairoSpinach) April 12, 2025
ये वीडियो सिर्फ सच्चाई उजागर करने तक सीमित नहीं हैं। चीनी यूजर्स बता रहे हैं कि “फर्स्ट कॉपी” प्रोडक्ट्स, जो बिल्कुल ओरिजिनल जैसे दिखते हैं, बेहद सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। ये कॉपियाँ वही मटेरियल और मशीनों से बनती हैं, जो लग्जरी ब्रांड्स के लिए इस्तेमाल होती हैं। एक यूजर ने तो यहाँ तक कहा, “लग्जरी ब्रांड्स को मेरी बात बुरी लगेगी, लेकिन सच सामने आ चुका है।”
ट्रेड वॉर ने बदला खेल
पहले ये बात कोई राज नहीं थी कि चीन सस्ते लेबर और तेज प्रोडक्शन की वजह से लग्जरी ब्रांड्स का पसंदीदा ठिकाना है। लेकिन ट्रेड वॉर ने इसे एक नए स्तर पर पहुंचा दिया। चीनी फैक्ट्रियाँ अब चुप नहीं रह रही हैं। वो टिकटॉक के जरिए ग्राहकों को सीधे सामान बेचने की पेशकश कर रही हैं। इससे लग्जरी ब्रांड्स का मुनाफा खतरे में पड़ गया है, क्योंकि ग्राहक अब सवाल उठा रहे हैं कि अगर सामान वही है, तो हजारों डॉलर क्यों खर्च करें?
लग्जरी ब्रांड्स के लिए चुनौती
टिकटॉक पर चल रही इस जंग ने लग्जरी ब्रांड्स को मुश्किल में डाल दिया है। ग्राहकों का भरोसा डगमगा रहा है, क्योंकि वो अब ये सोचने लगे हैं कि जब फैक्ट्री और मटेरियल एक ही है, तो महंगा प्रोडक्ट खरीदने की क्या जरूरत? दूसरी ओर, चीन के लिए भी ये रणनीति जोखिम भरी हो सकती है। अगर ब्रांड्स अपनी फैक्ट्रियां वियतनाम, बांग्लादेश या कहीं और शिफ्ट करते हैं, तो चीन को नुकसान हो सकता है।
क्या है “फर्स्ट कॉपी” का सच ?
“फर्स्ट कॉपी” प्रोडक्ट्स वो होते हैं, जो ओरिजिनल प्रोडक्ट्स की तरह ही बनाए जाते हैं। इनमें वही डिजाइन, मटेरियल और तकनीक इस्तेमाल होती है, लेकिन ये ब्रांड के लेबल के बिना बिकते हैं। टिकटॉक यूजर्स का दावा है कि ये कॉपियां इतनी परफेक्ट होती हैं कि आम इंसान इन्हें ओरिजिनल से अलग नहीं कर सकता। और सबसे बड़ी बात, इनकी कीमत ओरिजिनल की तुलना में कई गुना कम होती है।
क्या बदलेगा लग्जरी मार्केट का भविष्य ?
ये टिकटॉक ट्रेंड न सिर्फ लग्जरी ब्रांड्स की साख पर सवाल उठा रहा है, बल्कि पूरे मार्केट को हिला रहा है। ट्रेड वॉर अब सिर्फ टैरिफ की जंग नहीं रही, बल्कि ये कपड़े, जिपर और सोशल मीडिया की लड़ाई बन गई है। एक तरफ ग्राहक सस्ते और क्वालिटी वाले प्रोडक्ट्स की तरफ आकर्षित हो रहे हैं, तो दूसरी तरफ ब्रांड्स अपने मुनाफे को बचाने की जुगत में हैं।
कैसे रुकेगा ये तूफान ?
लग्जरी ब्रांड्स के सामने अब दो रास्ते हैं। पहला, वो अपनी सप्लाई चेन को और पारदर्शी बनाएं और ग्राहकों को भरोसा दिलाएं कि उनके प्रोडक्ट्स की कीमत जायज है। दूसरा, वो अपनी फैक्ट्रियां किसी और देश में ले जाएं, लेकिन ये इतना आसान नहीं है। दूसरी ओर, टिकटॉक यूजर्स का कहना है कि वो बस सच सामने ला रहे हैं और ग्राहकों को सस्ता विकल्प दे रहे हैं।
क्या आप भी मानते हैं कि लग्जरी ब्रांड्स की कीमत सिर्फ उनके नाम की वजह से इतनी ज्यादा है? या फिर आपको लगता है कि ब्रांड्स का क्राफ्ट और डिजाइन इस कीमत को जायज ठहराता है? टिकटॉक पर चल रही इस बहस ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। आपका इस बारे में क्या कहना है, हमें कमेंट में जरूर बताएं!