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थ्री इडियट के रेंचो सरीखे थे CJI, क्लास बंक करके भी करते थे टाप

गवई ने कहा कि जो छात्र मेरिट में नंबर 1 था, वह वकील बना। नंबर 2 पर रहे वीएल अचलिया पहले जिला जज बने और फिर हाईकोर्ट के जज। मैं तीसरे नंबर पर था, जो सीजेआई बना।

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Shailendra Gautam
CJI BR Gavai

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः भारत के चीफ जस्टिस आफ इंडिया बीआर गवई अपने स्कूली जीवन में थ्री इडियट के रणछोड़दास श्यामदास चांचड़ यानि रेंचो की तरह से थे। वो जमकर क्लास बंक करते थे। दोस्तों के साथ तफरीह करते थे। लेकिन फिर भी आते हमेशा अव्वल 3 में थे। दोनों में केवल एक अंतर है। रेंचो ने क्लास बंक करने का काम दिल्ली के इंपीरियल कालेज आफ इंजीनियरिंग में किया तो सीजेआई ने मुंबई।

सारा दिन बैठते थे लॉ कॉलेज के कंपाउंड की दीवार पर  

सीजेआई ने मुंबई और बाद में अमरावती के सरकारी लॉ कॉलेज में छात्र के रूप में अपने अनुभव साझा किए, जब वो कक्षाओं में नहीं गए थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने तीसरा स्थान हासिल किया था। उन्होंने बताया कि जब वो मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में थे तो कंपाउंड की दीवार पर बैठते थे। सारा दिन मस्ती करते थे और फिर अपने दोस्तों से हाजिरी दर्ज कराते थे। आखिरी साल वो अमरावती चले गए। वहां भी वो लगभग आधा दर्जन बार कॉलेज गए। उनके दोस्त, जो बाद में हाई कोर्ट के जज बने, उनकी उपस्थिति दर्ज कराते थे। 

सीजेआई ने बताया कि दोस्त मानते थे कि वो परीक्षा में कुछ अच्छा नहीं करने जा रहे लेकिन जब नतीजे घोषित हुए तो मैं बिना कॉलेज गए मेरिट लिस्ट में तीसरे स्थान पर था। उन्होंने बताया कि बेशक वो क्लास बंक करते रहे लेकिन उन्हें ये पता था कि पढ़ाई कैसे करनी है। पांच साल के हल किए हुए पेपर पढ़कर उन्होंने अपने उन साथियों को पीछे छोड़ दिया जो क्लास में रेगुलर बैठते थे। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि क्षमता का आकलन करने में परीक्षा परिणामों को जरूरत से ज्यादा महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। 

जो नंबर 1 था वो वकील, 2 नंबर वाला जज और मैं CJI

गोवा में वीएम सालगांवकर कॉलेज ऑफ लॉ के स्वर्ण जयंती समारोह के समापन समारोह में बोलते हुए सीजेआई ने कहा कि जो छात्र मेरिट में नंबर 1 था, वह केवल जमानत के मामलों में विशेषज्ञता वाला एक आपराधिक वकील निकला। नंबर 2 पर रहे वीएल अचलिया पहले जिला जज बने और फिर हाईकोर्ट के जज। मैं तीसरे नंबर पर था, जो पहले एक वकील बना और फिर चीफ जस्टिस आफ इंडिया। उन्होंने कहा कि परीक्षा में आपकी रैंक क्या है, इसकी परवाह मत कीजिए। परीक्षा परिणाम यह तय नहीं करते कि आप किस स्तर की सफलता हासिल करेंगे। आपका दृढ़ संकल्प, समर्पण, कड़ी मेहनत और पेशे के प्रति प्रतिबद्धता ही मायने रखती है। रेंचो सरीखे अंदाज में उन्होंने छात्रों को सीख दी कि जोर काबिल बनने पर हो न कि रेस में आगे रहने पर।

CJI, BR Gavai, Goa, Salgaocar College of Law 

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