नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । जिस पर था सरहद की रक्षा का भरोसा, वही निकला दुश्मन का प्यादा। CRPF का एक जवान, सालों से देश की जड़ें खोखली कर रहा था। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी को देता था बेहद संवेदनशील जानकारियां। NIA की कार्रवाई ने पूरे सिस्टम को झकझोर दिया है। क्या ऐसे 'घर के भेदी' ही हमारी सबसे बड़ी कमजोरी बनते जा रहे हैं?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने सीआरपीएफ के जवान मोती राम जाट को देशद्रोह और जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया है। वह 2023 से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (PIO) को गोपनीय जानकारी भेज रहा था। जवान पर देश की सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारी लीक करने का आरोप है।
पाक एजेंसी से जुड़ गया भारतीय जवान
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने जिस जवान को गिरफ्तार किया है, उसका नाम है मोती राम जाट। यह जवान सीआरपीएफ (CRPF) का सदस्य था और 2023 से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी PIO से संपर्क में था। NIA के अनुसार, उसने कई बार राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारी पाकिस्तान तक पहुंचाई, जो सीधे तौर पर देश की संप्रभुता के खिलाफ है।
टेक्नोलॉजी बना हथियार, मोबाइल से भेजी जानकारियां
एनआईए की शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि जवान ने मोबाइल और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करके संवेदनशील जानकारियां साझा कीं।
सूत्रों के मुताबिक, वह टेलीग्राम और एन्क्रिप्टेड चैट्स के जरिए पाकिस्तान के एजेंट्स से संपर्क में था।
यह घटना देश की साइबर सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल उठाती है।
सिर्फ पैसा नहीं, विचारधारा भी वजह?
- जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि जवान सिर्फ पैसों के लालच में यह सब कर रहा था या फिर वह किसी खास वजह से यह काम कर रहा था।
- एनआईए ने उसकी बैंक डिटेल्स, सोशल मीडिया गतिविधियों और कॉल रिकॉर्ड्स को कब्जे में ले लिया है।
- देशद्रोह की यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक अलार्म है।
कोर्ट में पेशी और आगे की जांच
- NIA ने मोती राम जाट को विशेष अदालत में पेश किया जहां से उसे रिमांड पर भेज दिया गया है।
- आशंका जताई जा रही है कि इस मामले में कुछ और जवान या अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।
- जांच का दायरा अब अन्य सुरक्षा बलों तक भी फैलाया जा रहा है।
राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा या सिस्टम की चूक?
- इस तरह की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि हमारे भीतर छिपे दुश्मन ज्यादा खतरनाक हैं।
- देश की सुरक्षा को लेकर एजेंसियों को अब सतर्क रहना होगा, खासकर उन लोगों पर जो वर्दी के पीछे छिपे हुए हैं।
क्या आपको लगता है कि सुरक्षा बलों की स्क्रीनिंग और निगरानी को और सख्त किया जाना चाहिए? क्या आप इससे सहमत हैं? कमेंट करें।
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