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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । देश की राजधानी की तंग गलियों में रहने वाली रवीना की जिंदगी कभी साधारण थी। 35 साल की रवीना अपने पति प्रवीण और छह साल के बेटे के साथ एक छोटे से घर में रहती थी। लेकिन डेढ़ साल पहले इंस्टाग्राम ने उसकी दुनिया बदल दी।
वहां उसकी मुलाकात सुरेश से हुई, एक ऐसे शख्स से जिसके साथ मिलकर उसने मजेदार और पारिवारिक मुद्दों पर वीडियो बनाना शुरू किया। रवीना की ऑनलाइन दुनिया चमकने लगी। इंस्टाग्राम पर 34,000 से ज्यादा फॉलोअर्स, यूट्यूब पर 5,000 से अधिक सब्सक्राइबर्स। हर लाइक, हर कमेंट उसे और आगे बढ़ने की ताकत देता था। लेकिन इस चमक के पीछे उसकी असल जिंदगी धीरे-धीरे तबाह हो रही थी।
रवीना की सोशल मीडिया की लत ने उसके घर में आग लगा दी थी। उसका पति प्रवीण उसकी हर वक्त की शूटिंग और सुरेश के साथ बढ़ती नजदीकियों से तंग आ चुका था। रवीना का फोन दिन-रात चमकता रहता। वह घंटों स्क्रिप्ट लिखती, वीडियो शूट करती और एडिटिंग में डूबी रहती।
social media | Crime : प्रवीण की शिकायतें उसे चुभती थीं। “तुम्हें इस घर की, अपने बेटे की कोई फिक्र है? दिन-रात उस सुरेश के साथ क्या करती रहती हो?” प्रवीण का गुस्सा बढ़ता गया, और रवीना की बेपरवाही ने उनके रिश्ते में जहर घोल दिया। परिवार वाले भी उसकी इस आदत से नाराज थे, लेकिन रवीना किसी की नहीं सुनती थी। उसकी दुनिया अब लाइक्स और कमेंट्स तक सिमट चुकी थी।
Crime in India | 25 मार्च 2025 की शाम ने रवीना की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। प्रवीण जब घर लौटा, तो उसकी आशंकाएं सच हो गईं। उसने रवीना और सुरेश को ऐसी हालत में देखा, जिसने उसके गुस्से को भड़का दिया। चीखें गूंजीं, गालियां चलीं, और विवाद ने जल्द ही हिंसक रूप ले लिया। गुस्से और आवेश में रवीना ने अपने दुपट्टे से प्रवीण का गला घोंट दिया। एक पल में सब कुछ खत्म हो गया। प्रवीण की सांसें थम गईं, और रवीना की जिंदगी अंधेरे में डूब गई।
लेकिन, रवीना ने हार नहीं मानी। उसने दिनभर सामान्य व्यवहार किया। रिश्तेदारों से कहा कि प्रवीण कहीं चला गया है, उसे कुछ पता नहीं। उसकी ठंडी नजरें और शांत चेहरा किसी को शक नहीं होने देता था। रात के अंधेरे में सुरेश अपनी बाइक लेकर आया। दोनों ने प्रवीण के शव को बाइक पर अपने बीच रखा और करीब 6 किलोमीटर दूर एक सुनसान नाले में फेंक दिया। ठंडी हवा में शव पानी में डूब गया, और दोनों खामोशी से वापस लौट आए, मानो कुछ हुआ ही न हो।
तीन दिन बाद, 28 मार्च को पुलिस को नाले में प्रवीण की सड़ी-गली लाश मिली। जांच शुरू हुई। इलाके के सीसीटीवी फुटेज ने पुलिस को एक अहम सुराग दिया। रात 12:30 बजे एक बाइक पर तीन लोग जाते दिखे, लेकिन वापसी में सिर्फ दो।
पुलिस ने बाइक सवारों की पहचान की और रवीना व सुरेश से पूछताछ शुरू की। पहले तो दोनों टालते रहे, लेकिन पुलिस के दबाव के आगे वे टूट गए। आखिरकार, दोनों ने हत्या की बात कबूल कर ली। रवीना की ऑनलाइन चमक अब जेल की सलाखों के पीछे कैद हो चुकी थी।
रवीना की कहानी सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं है। यह उस अंधी दौड़ का दर्दनाक चेहरा है, जो सोशल मीडिया की चमक में खोए लोग चल रहे हैं। लाइक्स और फॉलोअर्स की चाहत ने रवीना को इतना अंधा कर दिया कि उसने अपने परिवार, अपने बेटे का भविष्य, और आखिरकार एक जिंदगी को तबाह कर दिया। उसका छह साल का बेटा अब मां-बाप दोनों के बिना अकेला है। रवीना की कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है- क्या सोशल मीडिया हमें जोड़ रहा है, या हमारी जिंदगी को खोखला कर रहा है?
रवीना और प्रवीण की कहानी एक चेतावनी है। सोशल मीडिया की दुनिया में खोने से पहले हमें अपने रिश्तों, अपने परिवार की कीमत समझनी होगी। रवीना की चमकती स्क्रीन ने उसे रातोंरात स्टार तो बनाया, लेकिन उसकी जिंदगी को हमेशा के लिए अंधेरे में धकेल दिया। यह कहानी हर उस शख्स के लिए एक सबक है, जो ऑनलाइन दुनिया की चकाचौंध में अपनी असल जिंदगी को भूल रहा है।
क्या आप भी सोशल मीडिया की इस अंधी दौड़ का हिस्सा हैं? अपनी कहानी साझा करें और हमें बताएं कि आप इस लत से कैसे बचते हैं।