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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को उस मध्य विद्यालय के प्रत्येक छात्र को 25,000 का भुगतान करने का आदेश दिया है, जहां 28 जुलाई को मध्याह्न भोजन में कुत्तों का गंदा किया गया भोजन परोसा गया था। स्कूल में 84 बच्चे ऐसे थे जिनको ये खाना खिलाने के बाद एंटी रैबीज की 3 डोज देनी पड़ीं। जाहिर है कि कोर्ट के इस फैसले से सरकार को लाखों की चपत लगेगी।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की बेंच ने पाया कि नियमित रूप से स्कूल आने वाले छात्रों को एंटी-रेबीज वैक्सीन की तीन खुराकें दी गई थीं। अदालत ने राज्य सरकार की ओर से बरती गई लापरवाही की ओर इशारा कर छात्रों को मुआवजा देने का आदेश दिया।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि यह सरकार की एक संस्था थी। स्वयं सहायता समूह को ये जिम्मा सौंपा गया था कि वो साफ मिडडे मील उपलब्ध कराए। लेकिन खाने को कुत्तों ने गंदा कर दिया गया था। यह स्कूल के छात्रों के खाने के लिए नहीं था। हालांकि स्कूल के 84 बच्चों को एंटी-रेबीज की तीन खुराक दी गई थी। लेकिन यह राज्य की लापरवाही थी कि जो खाना मध्य विद्यालय के बच्चों को दिया जा रहा था, उसका ध्यान रखा जाए। जजों ने कहा कि हम यह समझते हैं कि जिन बच्चों ने वो खाना खाया था सरकार उनको आज से एक महीने की अवधि के भीतर 25,000/- रुपये का भुगतान किया जाए।
अदालत ने 4 अगस्त को बलौदाबाजार जिले के पलारी ब्लॉक के शासकीय माध्यमिक विद्यालय लच्छनपुर में हुई घटना से संबंधित एक समाचार रिपोर्ट का संज्ञान लिया था। बताया गया था कि छात्रों को कुत्ते द्वारा चाटा हुआ भोजन परोसा गया था। बाद में, अभिभावकों के दबाव में, बच्चों को एंटी-रेबीज टीके लगाए गए।
19 अगस्त को राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने कहा कि स्वयं सहायता समूह जय लक्ष्मी स्व सहायता समूह को स्कूल में मध्याह्न भोजन के काम से हटा दिया गया है। कोर्ट को यह भी बताया गया कि प्रभारी प्रधानाचार्य और संकुल प्रधानाचार्य को 6 अगस्त को निलंबित कर दिया गया था। अन्य शिक्षकों के निलंबन के बारे में भी न्यायालय को अवगत कराया गया।
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