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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः मध्य प्रदेश की जज अदिति कुमार शर्मा ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है और न्यायिक सेवा में वापस आ गई हैं। उन्होंने एक अन्य जज पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था। आरोपी जज को प्रमोट करके जब हाईकोर्ट भेजा गया तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
जानकार कहते हैं कि अदिति का ह्रदय परिवर्तन हाईकोर्ट की एक आंतरिक समिति की सलाह के बाद आया है, जिसने इस महीने की शुरुआत में उनकी शिकायत पर सुनवाई की थी। समिति ने उनसे सेवा से न हटने का आग्रह किया। उन्हें आश्वासन दिया कि शिकायतों को उचित मंचों के माध्यम से आगे बढ़ाया जा सकता है।
आरोपी जज को मिला प्रमोशन तो अदिति शर्मा ने छोड़ दी नौकरी
मध्य प्रदेश के शहडोल की एक सिविल जज अदिति शर्मा ने उस जज को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का न्यायाधीश बनाए जाने के बाद सेवा से इस्तीफा दे दिया था, जिस पर उन्होंने उत्पीड़न का आरोप लगाया था। कालेजियम की सिफारिश के बाद केंद्र सरकार ने जिला जज राजेश कुमार गुप्ता को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का जज बनाया था। उसके कुछ ही घंटों बाद अदिति शर्मा का इस्तीफा आया। महिला जज का कहना था कि पत्रों और शिकायतों के बावजूद सुप्रीम कोर्ट कालेजियम ने जुलाई 2025 की शुरुआत में राजेश गुप्ता की पदोन्नति की सिफारिश की थी। केंद्र ने 28 जुलाई को इसे मंज़ूरी दे दी। उन्होंने 30 जुलाई को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
महिला जज ने लिखा था चीफ जस्टिस को खत
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजे गए अपने त्यागपत्र में अदिति शर्मा ने लिखा- अपनी पूरी नैतिक शक्ति और भावनात्मक थकावट के साथ मैं न्यायिक सेवा से इस्तीफा दे रही हूं, इसलिए नहीं कि मेरा न्याय में विश्वास उठ गया, बल्कि इसलिए कि न्याय उसी संस्था में अपना रास्ता खो चुका है जिसने इसकी रक्षा करने की शपथ ली थी। उन्होंने अपने इस्तीफे के फैसले को विरोध का तरीका बताया। पद छोड़ने से पहले अदिति शर्मा ने जुलाई में भारत के राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भी पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि जिस व्यक्ति के खिलाफ गंभीर अनसुलझे आरोप हैं, उसे पदोन्नति से पुरस्कृत नहीं किया जाना चाहिए। खास बात है कि दो अन्य न्यायिक अधिकारियों ने भी राजेश गुप्ता के आचरण पर चिंता जताते हुए शिकायतें भेजी थीं।
चीफ जस्टिस के दखल के बाद वापस लिया त्यागपत्र
हालांकि, मध्य प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश ने महिला जज को आश्वासन दिया कि उनकी चिंताओं को कानून के अनुसार सुना जाएगा। इसके बाद उन्हें बताया गया कि प्रशासनिक अधिकारियों या न्यायिक मंच से गुहार करने का उनका अधिकार पहले जैसा रहेगा, जिसके बाद वह सेवा में वापस आने के लिए सहमत हो गईं। उन्होंने 20 अगस्त को सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के रूप में कार्यभार संभाला।
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