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पहले सीनियर एडवोकेट को नोटिस, फिर उल्टे पैर भागी ED, जानिए क्यों

दातार ने ईडी से कहा है कि वकीलों को उनके ग्राहकों से जुड़ी जांच के लिए बुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि वकीलों को अपने ग्राहकों को दी गई कानूनी सलाह का खुलासा करने से प्रतिबंधित किया गया है।

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Shailendra Gautam
ED

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की पूर्व चेयरपर्सन रश्मि सलूजा को केयर हेल्थ इंश्योरेंस की तरफ से दी गई कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ईएसओपी) की जांच के संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार को समन जारी किया था। लेकिन कुछ घंटों बाद ही ईडी ने समन वापस ले लिआ। दातार जानेमाने वकील हैं। उन्होंने सहारा फंडरेजिंग मामले सहित हाई-प्रोफाइल मामलों में सेबी का प्रतिनिधित्व किया है।
समन ईएसओपी अनुदान के समर्थन में दातार की कानूनी राय से संबंधित था। हालांकि, ईडी ने अब दातार को सूचित किया है कि उनकी उपस्थिति की अब आवश्यकता नहीं है। एजेंसी ने नोटिस वापस ले लिया गया है।

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अरविंद दतार ने एजेंसी को समझाया कानून

एक रिपोर्ट के अनुसार दातार ने ईडी अधिकारियों से कहा है कि वकीलों को उनके ग्राहकों से जुड़ी जांच के लिए बुलाया नहीं जा सकता है। पेशेवर विशेषाधिकार का हवाला देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि वकीलों को अपने ग्राहकों को दी गई कानूनी सलाह का खुलासा करने से प्रतिबंधित किया गया है।

जानें क्या था विवादित ईएसओपी का मामला

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विवादित ईएसओपी रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी केयर हेल्थ ने सलूजा को दिए थे। नवंबर 2023 में भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने माना कि अनुदान ने क्षेत्रीय मानदंडों का उल्लंघन किया है। नियम कहते हैं कि पूर्व अनुमोदन के बिना गैर-कार्यकारी निदेशकों को मुआवजे की सीमा 10 लाख रुपये तक सीमित है। IRDAI के आदेश के बाद, ED ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज की गई शिकायत का हवाला देते हुए मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। एजेंसी ने अगस्त 2024 में तलाशी अभियान चलाया और सलूजा और केयर हेल्थ के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को आवंटित ESOP शेयरों को फ्रीज कर दिया। 

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