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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।जब नेता भ्रष्टाचार करें और सरकार आंख मूंद ले — तब सवाल उठाना जरूरी हो जाता है। गुजरात के एक मंत्री के बेटों पर 71 करोड़ का घोटाला करने का आरोप है, लेकिन कार्रवाई नदारद है। आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार और भाजपा की चुप्पी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मनीष सिसोदिया ने खुलासा किया कि गरीबों के लिए तय पैसा लूट लिया गया। क्या अब भी हम चुप रहेंगे या इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएंगे?
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया है कि गुजरात के पंचायती राज मंत्री के बेटों ने विभाग से 71 करोड़ रुपए निकाल लिए, लेकिन भाजपा सरकार ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। सिसोदिया ने कहा कि यह पैसा ग्रामीण विकास और गरीबों की भलाई के लिए था, मगर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब दिल्ली में AAP नेताओं पर CBI और ED की कार्रवाई होती है, तो गुजरात में चुप्पी क्यों?
71 करोड़ का घोटाला: पंचायतों को लूट और मंत्री सुरक्षित!
पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि गुजरात के दाहोद जिले में हुए इस 71 करोड़ रुपये के घोटाले में पंचायती राज मंत्री के बेटों की सीधी भूमिका सामने आई है। उनका आरोप है कि जिन पैसों से गांवों में सड़कें, नालियां और रोजगार योजनाएं लागू होनी थीं, उन्हें निजी खातों में ट्रांसफर कर लिया गया।
AAP नेता ने कहा, "गांवों में कोई काम नहीं हुआ, ना रोजगार मिला और ना ही गरीबों को कोई फायदा।"
VIDEO | AAP leader Manish Sisodia (@msisodia) in a press conference says, "A report came, the sons of Gujarat's Panchayati Raj Minister siphoned off money from the department. In Dahod, a scam worth 71 crore happened. They were caught... The work designated for poor didn't… pic.twitter.com/eZYDDlp2Be
— Press Trust of India (@PTI_News) May 24, 2025
CBI-ED की चुप्पी पर सवाल: क्या ये दोहरा मापदंड नहीं?
सिसोदिया ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि जब विपक्ष के नेता हों, तो CBI और ED तुरंत ऐक्शन में आ जाती हैं। मगर भाजपा के मंत्री पर गंभीर आरोप होने के बावजूद न जांच हुई, न इस्तीफा मांगा गया, और न ही मंत्री को हटाया गया।
उन्होंने पूछा — "क्या भाजपा सरकार अपने भ्रष्ट नेताओं को बचा रही है?"
जनता के पैसे की लूट, लेकिन कोई जवाबदेही नहीं!
इस घोटाले ने फिर एक बार यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब सरकारी पैसे की बंदरबांट होती है, तो आम जनता के हिस्से का हक कैसे छीन लिया जाता है। जिन योजनाओं से गांवों में विकास होना था, वे कागज़ों में रह गईं और पैसा सीधे अमीरों की जेब में चला गया।
राजनीतिक चुप्पी: क्या भाजपा के लिए भ्रष्टाचार कोई मुद्दा नहीं?
जहां एक ओर भाजपा “भ्रष्टाचार मुक्त शासन” की बात करती है, वहीं अपने ही नेताओं के खिलाफ कार्रवाई से बचती नजर आ रही है। क्या यह सरकार की जवाबदेही पर बड़ा सवाल नहीं है?
अब जनता को तय करना है
यह घोटाला न सिर्फ गुजरात की राजनीति, बल्कि पूरे देश में राजनीतिक जवाबदेही पर सवाल खड़ा करता है। जब गरीबों का हक मारा जा रहा हो और सत्ता पक्ष चुप बैठा हो, तो क्या अब भी आम जनता खामोश रहेगी?
क्या आप इससे सहमत हैं? कमेंट में अपनी राय ज़रूर बताएं।
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