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हरियाणा सरकार ने की ऐसी हरकत कि चढ़ गया CJI का पारा, जानें पूरा किस्सा

सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया और चेतावनी दी कि अगर सरकार की गंभीरता में कमी पाई गई तो चीफ सेक्रेट्री भुगतेंगे।

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Shailendra Gautam
CJI BR Gavai

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के चीफ सेक्रेट्री को फटकार लगाई। कोर्ट उस समय आपा खो बैठी जब पता चला कि खनन माफिया के साथ मिलीभगत करके सड़क बनाने के लिए जंगल में पेड़ों को काट दिया गया। चीफ सेक्रेट्री जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहे क्योंकि उन पर सरकारी दबाव था। सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा कि चीफ सेक्रेट्री अवैध गतिविधियों की जांच करने में विफल रहे और इसके बजाय अन्य विभागों के अधिकारियों को दोषी ठहराने की कोशिश की।

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सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया और चेतावनी दी कि अगर सरकार की गंभीरता में कमी पाई गई तो चीफ सेक्रेट्री भुगतेंगे। Judiciary | judiciary

पेड़ों को काटकर खनन माफिया के लिए राजस्थान तक बनवा दी सड़क

बैंच हरियाणा के एक गांव के सरपंच, राजस्व विभाग के अधिकारियों और पुलिस की मिलीभगत से बनाई गई सड़क को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मामले के अनुसार यह सड़क हरियाणा से राजस्थान तक जाती है। इसका निर्माण अवैध खनन गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए किया गया है। मार्च 2025 में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) को मामले की जांच करने के लिए कहा था। सीईसी ने अदालत को बताया कि नोटिस के बावजूद कोई भी सरकारी अधिकारी उसके समक्ष उपस्थित नहीं हुआ।

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इसके बाद चीफ सेक्रेट्री ने न्यायालय में हलफनामा भी दायर किया। अदालत ने जवाब की जांच की तो उसने पाया कि चीफ सेक्रेट्री अपने कार्यालय के अन्य अधिकारियों और मातहतों पर दोष मढ़ने की कोशिश कर रहे थे। अदालत ने कहा कि इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया कि कोई भी अधिकारी सीईसी के समक्ष क्यों उपस्थित नहीं हुआ।

चीफ सेक्रेट्री के हलफनामे को देखकर भड़के बीआर गवई 

अदालत ने कहा कि चीफ सेक्रेट्री ने हलफनामे में अपने कार्यालय के कर्मचारियों पर इसका आरोप लगाया है। कहा है कि नोटिस उनके सामने कभी पेश नहीं किया गया। हलफनामे में यह भी नहीं बताया गया है कि चीफ सेक्रेट्री ने ऐसे अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है। बेंच ने कहा कि अवैध गतिविधियों को कब अंजाम दिया गया, इसका पता लगाने के बजाय चीफ सेक्रेट्री ने अन्य विभागों के अधिकारियों पर दोष मढ़ने का प्रयास किया। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि पर्यावरण निगरानी को विभागीय नहीं बनाया जा सकता और चीफ सेक्रेट्री को याद दिलाया कि वह राज्य की नौकरशाही के मुखिया हैं और किसी और पर दोष नहीं मढ़ सकते। judiciary of india n

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