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हाईकोर्ट ने Constitution के साथ SC को भी कर दिया दरकिनार, जानें फिर क्या हुआ

संविधान के आर्टिकल 20(3) और 21 का हवाला देकर बेंच ने कहा कि ये आदेश तो संविधान की धज्जियां उड़ा रहा है। क्या हाईकोर्ट के जज को ये नहीं पता कि देश और कानून संविधान से चलता है।

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Shailendra Gautam
Supreme Court

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः पटना हाईकोर्ट ने एक ऐसा आदेश जारी कर दिया जिसको देखकर सुप्रीम कोर्ट के जजों ने भी अपना सिर पकड़ लिया। हाईकोर्ट के जज की कारस्तानी को देखकर सुप्रीम कोर्ट हैरत में भी था। उसने उनके फैसले पर तुरंत रोक लगा दी। लेकिन जज यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने हाईकोर्ट के जजों को कानून का वो ककहरा भी पढ़ाया जिसकी उन्हें दरकार थी। 

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रजामंदी के बगैर दे दिया आरोपी के नार्को टेस्ट का आदेश

दरअसल, पटना हाईकोर्ट ने एक फैसले में आरोपी का जबरन नार्को टेस्ट कराने का आदेश जारी कर दिया था। पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। टाप कोर्ट के जजों ने फैसले को देखा तो उन्हें सबसे पहले हैरत इस बात को लेकर हुई कि हाईकोर्ट में किस तरह के जज बैठे हैं। उन्हें ये नहीं पता कि कानूनन आरोपी की रजामंदी के बगैर वो नार्को या लाई डिटेक्टर जैसी चीजों को लेकर आदेश जारी नहीं कर सकते। ये सरासर गैर कानूनी था।  Judiciary | Indian Judiciary | judiciary of india 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ संविधान को भी किया दरकिनार

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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की बेंच ने हाईकोर्ट के जज को फटकार लगाते हुए कहा कि आरोपी की मर्जी के बगैर वो नार्को टेस्ट कराने का आदेश कैसे जैरी कर सकते हैं। संविधान के आर्टिकल 20(3) और 21 का हवाला देकर बेंच ने कहा कि ये आदेश तो संविधान की धज्जियां उड़ा रहा है। क्या हाईकोर्ट के जज को ये नहीं पता कि देश और कानून संविधान से चलता है। सेल्वी बनाम कर्नाटक सरकार के फैसले का हवाला देते हुए बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि नार्को टेस्ट आरोपी की रजामंदी के बगैर नहीं हो सकता। 

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट को चेतावनी देते हुए कहा कि आप बेल मंजूर या नामंजूर करने वाली अदालत हैं। ट्रायल कोर्ट बनने की कोशिश क्यों कर रहे हैं। बेंच का कहना था कि आरोपी जमानत के लिए आपके पास गया था। आपने नार्को टेस्ट कराने का आदेश जारी कर दिया। वो भी जबरन। सुप्रीम कोर्ट का सवाल था कि आपको ऐसा फैसला देने की क्या जरूरत थी। आपने तो हमारे साथ भारत के संविधान को भी नजरंदाज कर दिया। ये स्वीकार नहीं किया जा सकता। 

एक महिला की गुमशुदगी से जुड़ा है मामला

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जिस मामले में हाईकोर्ट को लताड़ पड़ी वो अमलेश कुमार की पत्नी की गुमशुदगी को लेकर है। 2022 की इस घटना को लेकर पुलिस को शक है कि आरोपियों के साथ गवाहों का नार्को टेस्ट कराया जाए तो क्लू हाथ लग सकता है। पुलिस की दलील पर नवंबर 2025 में पटना हाईकोर्ट ने सभी का नार्को टेस्ट कराने का आदेश जारी कर दिया। 

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