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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः सुनने में अजीब लगता है कि एक लड़की दो भाईयों की दुल्हन। पर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के एक गांव ने बहुपतित्व की सदियों पुरानी परंपरा को जीवित रखा है। यहां एक महिला दो भाइयों से विवाह करती है। हालांकि भारत में इस प्रथा को कानूनी मान्यता नहीं है। लेकिन सिरमौर में ये बदस्तूर चली आ रही है। बहुपतित्व एक ऐसी प्रथा है जिसमें एक महिला दो या दो से अधिक पतियों से विवाह कर ती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार शिलाई गांव के हट्टी जनजाति के दो भाइयों प्रदीप नेगी और कपिल नेगी ने कुन्हाट गांव की सुनीता चौहान से ट्रांस-गिरी क्षेत्र में आयोजित एक समारोह में विवाह किया। यह समारोह 12 से 14 जुलाई तक चला। प्रदीप एक सरकारी विभाग में कार्यरत हैं जबकि उसका छोटा भाई कपिल विदेश में नौकरी करता है। दोनों का कहना है कि उन्होंने अपने परिवारों की सहमति से यह निर्णय लिया। इस विवाह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है।
महाभारत की द्रौपदी के नाम पर बनी है प्रथा 'जोड़ीदारन'
भारत में बहुपति प्रथा गैरकानूनी होने के बावजूद सिरमौर के कई गांवों में यह प्रथा आज भी प्रचलित है। यह परंपरा हिमाचल प्रदेश के किन्नौर और लाहौल-स्पीति ज़िलों और पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में भी आज भी मौजूद है। समय के साथ कुछ गांवों में यह प्रथा धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। हट्टी जनजाति के परिवारों का तर्क है कि महाभारत की द्रौपदी के नाम पर बनी प्रथा 'जोड़ीदारन' यह सुनिश्चित करती है कि पारिवारिक संपत्ति पीढ़ियों तक अक्षुण्ण रहे। हट्टी लोगों के लिए बहुपतित्व न केवल उनकी सांस्कृतिक विरासत का एक अनमोल हिस्सा है, बल्कि अनिश्चितताओं से भरी इस दुनिया में उनके जीवन को बनाए रखने का एक साधन भी है।
अनुसूचित जनजाति में आता है हट्टी समुदाय
हट्टी समुदाय को हाल ही में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया है। ये लोग बहुपतित्व को सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण प्रतीक मानते हैं। हट्टी केंद्रीय समिति के महासचिव कुंदन सिंह शास्त्री का मानना है कि जैसे-जैसे ग्रामीण शिक्षित होते जाएंगे और नौकरियों के लिए शहरों की ओर रुख करेंगे, 'जोड़ीदारन' धीरे-धीरे खत्म होता जाएगा।
सिरमौर जिले में हाल ही में हुई बहुपतित्व प्रथा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लोग कहते हैं कि यह प्रथा इस क्षेत्र में दशकों से प्रचलित है। उन्होंने कहा कि इसे हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 'जोड़ीदार कानून' के तहत कानूनी मान्यता दी है। बहुपतित्व और अन्य सदियों पुरानी परंपराओं के तहत सैकड़ों शादियां होती हैं। यह प्रथा यह सुनिश्चित करने के लिए अपनाई जाती है कि परिवार एकजुट रहें और जमीनें आपस में न बंटें।
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