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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । 15 अप्रैल 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा से हरियाणा के गुरुग्राम में 2008 के एक भूमि सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ की।
यह मामला वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव (अब सेक्टर 83) में 3.53 एकड़ जमीन की खरीद और इसके बाद रियल एस्टेट कंपनी DLF को बिक्री से संबंधित है। पूछताछ से पहले वाड्रा ने फेसबुक पर लिखा, "मैं तैयार हूं। मुझे कुछ छिपाने की जरूरत नहीं। यह राजनीतिक साजिश है, लेकिन मैं हर सवाल का जवाब दूंगा।"
क्या है गुरुग्राम जमीन सौदे का पूरा सच ?
यह मामला 2008 में शुरू हुआ, जब स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने ऑनकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 3.53 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी। उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी, और भूपिंदर सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे।
robert vadra | Robert Vadra Politics : आरोप है कि हुड्डा के प्रभाव के कारण स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को इस जमीन के 2.701 एकड़ हिस्से पर कमर्शियल कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस मिला। 18 सितंबर 2012 को स्काईलाइट ने इस जमीन को DLF यूनिवर्सल लिमिटेड को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया, जिससे कंपनी को लगभग 50 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ।
IAS अशोक खेमका के एक कदम ने मचाया था हलचल
2012 में हरियाणा के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने इस सौदे की म्यूटेशन (स्वामित्व हस्तांतरण) को रद्द कर दिया था। खेमका ने तर्क दिया कि म्यूटेशन को मंजूरी देने वाला सहायक समेकन अधिकारी इसके लिए सक्षम नहीं था। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि यह सौदा हरियाणा के समेकन कानूनों का उल्लंघन करता है। खेमका के इस कदम के बाद उन्हें विभाग से हटा दिया गया, जिसे उन्होंने उत्पीड़न करार दिया।
रॉबर्ट वाड्रा FIR और जांच की शुरुआत
1 सितंबर 2018 को नूंह के निवासी सुरेंद्र शर्मा की शिकायत पर गुरुग्राम के खेरकी दौला पुलिस स्टेशन में वाड्रा, हुड्डा, DLF, और ऑनकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ FIR दर्ज की गई। FIR में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग), 120-बी (आपराधिक साजिश), और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 के तहत मामला दर्ज किया गया।
सुरेंद्र शर्मा ने आरोप लगाया कि हुड्डा के प्रभाव से स्काईलाइट को लाइसेंस मिला, और DLF को वजीराबाद में 350 एकड़ जमीन नियमों का उल्लंघन कर आवंटित की गई, जिससे DLF को 5,000 करोड़ रुपये का फायदा हुआ।
जनवरी 2019 में ED ने इस FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। ED का दावा है कि इस सौदे में अनियमितताएं थीं, और यह जांच कर रही है कि क्या यह मुनाफा अवैध तरीकों से अर्जित किया गया।
हरियाणा सरकार और कोर्ट का रुख
अप्रैल 2023 में हरियाणा सरकार ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा कि स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और DLF के बीच सौदे में कोई नियम-कानून का उल्लंघन नहीं हुआ। मानेसर के तहसीलदार की रिपोर्ट के अनुसार, 18 सितंबर 2012 को हुआ यह हस्तांतरण भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 के अनुरूप था।
हालांकि, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि यह तहसीलदार की रिपोर्ट को "क्लीन चिट" के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। विशेष जांच दल (SIT) अभी भी इस मामले की जांच कर रहा है, जिसमें वित्तीय लेनदेन और संभावित आपराधिक साजिश की पड़ताल की जा रही है।
नवंबर 2023 में हाई कोर्ट ने हरियाणा पुलिस को जांच की धीमी गति के लिए फटकार लगाई और इसे जल्द पूरा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि 2018 में दर्ज FIR पर पांच साल बाद भी कोई ठोस प्रगति नहीं हुई।
CAG और IAS अशोक खेमका के आरोप
2015 में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। CAG ने नोट किया कि स्काईलाइट की जमीन तक पहुंच के लिए कोई आंतरिक सड़क नहीं थी, फिर भी टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने इस शर्त को माफ कर दिया।
खेमका ने 2013 में अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि स्काईलाइट की बैलेंस शीट में 2008 में 7.94 करोड़ रुपये का बुक ओवरड्राफ्ट गलत दिखाया गया। उन्होंने कहा कि ऑनकारेश्वर प्रॉपर्टीज स्काईलाइट की 7.95 करोड़ रुपये की देनदार थी, और वास्तविक बैंक बैलेंस केवल 1 लाख रुपये था।
रॉबर्ट वाड्रा ने आरोपों को कैसे किया खारिज
वाड्रा ने हमेशा इन आरोपों को खारिज किया है। 2023 में हाई कोर्ट के हलफनामे के बाद उन्होंने फेसबुक पर लिखा, "मैंने हमेशा ईमानदारी से काम किया। बीजेपी की झूठी आरोपों और छापेमारी के बावजूद मैंने सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए। हरियाणा सरकार की रिपोर्ट से साफ है कि मेरे लेनदेन में कोई गड़बड़ी नहीं थी।" 15 अप्रैल 2025 को ED दफ्तर पहुंचने पर उन्होंने कहा, "मुझे कोई डर नहीं। यह 20 साल पुराना मामला है, और मैं सभी सवालों का जवाब देने को तैयार हूं।"
राजनीतिक रंग देने का आरोप
यह मामला शुरू से ही राजनीतिक रंग लिए हुए है। बीजेपी ने 2014 के लोकसभा और हरियाणा विधानसभा चुनावों में इसे भ्रष्टाचार और पक्षपात का मुद्दा बनाया। वहीं, कांग्रेस, हुड्डा, और वाड्रा ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया। वाड्रा ने दावा किया कि जब भी वह जनता के मुद्दे उठाते हैं या राजनीति में उतरने की बात करते हैं, जांच एजेंसियां उन्हें निशाना बनाती हैं।
ED की जांच अब इस सौदे के वित्तीय पहलुओं पर केंद्रित है। क्या इसमें मनी लॉन्ड्रिंग हुई? क्या हुड्डा ने अपने पद का दुरुपयोग किया? ये सवाल जांच के केंद्र में हैं। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट इस मामले की प्रगति पर नजर रख रहा है, और SIT को जल्द चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
रॉबर्ट वाड्रा का यह लैंड डील केस न केवल एक कानूनी मामला है, बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक पारदर्शिता का भी प्रतीक बन चुका है। ED की पूछताछ और SIT की जांच के नतीजे इस मामले को नया मोड़ दे सकते हैं। फिलहाल, वाड्रा का दावा है कि वह निर्दोष हैं, जबकि जांच एजेंसियां सच्चाई का पता लगाने में जुटी हैं।