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घरेलू हिंसा कानून को ढंग से लागू करने के लिए राज्य सरकारों पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट | यंग भारत न्यूज
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला दिया था कि पति पत्नी अगर धोखे से एक दूसरे के फोन की रिकार्डिंग करके सबूत जुटाते हैं तो इनको तलाक के मुकदमे में अहम साक्ष्य माना जाएगा। अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि पति अपनी पत्नी से जबरन उसके खातों और मोबाइल फोन के डिटेल मांगे तो उस पर केस हो सकता है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा- ऐसा करना गैरकानूनी
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा कि पति अपनी पत्नी को उसके मोबाइल फोन या बैंक खाते के पासवर्ड साझा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। ऐसा करना उसकी निजता का उल्लंघन होगा। इसे घरेलू हिंसा माना जा सकता है। जस्टिस राकेश मोहन पांडे ने कहा कि वैवाहिक संबंधों में साझा जीवन शामिल होता है, लेकिन यह व्यक्तिगत निजता के अधिकारों का हनन नहीं करता। विवाह पति को पत्नी की निजी जानकारी या निजी सामान तक पहुंच प्रदान नहीं करता। पति पत्नी को अपने मोबाइल फोन या बैंक खाते के पासवर्ड साझा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। पति पत्नी के रिश्ते में विश्वास का संतुलन होना चाहिए।
तलाक के मामले में पति मांग रहा है पत्नी की सीडीआर
मौजूदा मामले में पति याचिकाकर्ता है। उसने क्रूरता को आधार बनाते हुए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1)(i-a) के तहत तलाक के लिए अर्जी दी है। जवाब में पत्नी ने आरोपों से इनकार करते हुए एक लिखित बयान दिया। कार्यवाही के दौरान पति ने दुर्ग के एसएसपी से की शिकायत में अपनी पत्नी के चरित्र पर संदेह जताते हुए उसके कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। उसने फैमिली कोर्ट में भी एक आवेदन दायर कर पत्नी के कॉल रिकॉर्ड उपलब्ध कराने के लिए पुलिस को निर्देश देने की मांग की। हालांकि, उसकी याचिका खारिज कर दी गई। फिर उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
हाईकोर्ट ने दिया सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला
हाईकोर्ट ने केएस पुट्टस्वामी, पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज और मिस्टर एक्स बनाम हॉस्पिटल जेड में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों का हवाला देते हुए इस बात की पुष्टि की कि निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है। अदालत का कहना था कि ये अधिकार भारत के सभी नागरिकों को समान रूप से मिला है। इसमें कोई भी बाधा नहीं डाल सकता। अगर ऐसा किया जाता है तो वो संविधान का उल्लंघन होगा। judiciary of india | Judiciary | Indian Judiciary
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