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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) का एग्जीक्यूटिव बोर्ड आज एक अहम बैठक में यह तय करेगा कि क्या पाकिस्तान को 1.3 बिलियन डॉलर (लगभग ₹11,113 करोड़) का नया लोन दिया जाए। यह राशि क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन प्रोग्राम के तहत दी जानी है। इसके साथ ही, IMF बोर्ड 7 बिलियन डॉलर (लगभग ₹59,000 करोड़) के एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) पैकेज की पहली समीक्षा भी करेगा, जो पाकिस्तान को आर्थिक संकट से उबारने के लिए जुलाई 2024 में मंजूर किया गया था।
हालांकि, इस बैठक में भारत इस फंडिंग का कड़ा विरोध कर सकता है। भारत का मानना है कि पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक मदद का दुरुपयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने में हो सकता है। खासकर, हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए थे, और भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है।
भारत का रुख: पाकिस्तान को फंडिंग पर आपत्ति
भारत ने IMF से पाकिस्तान को दी जाने वाली 1.3 बिलियन डॉलर की मदद पर पुनर्विचार करने की मांग की है। भारत का तर्क है कि यह पैसा आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने में इस्तेमाल हो सकता है। भारत ने न केवल IMF, बल्कि वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक जैसे अन्य वैश्विक वित्तीय संस्थानों से भी पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता की समीक्षा करने को कहा है।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से घेरने की रणनीति अपनाई है। भारत का कहना है कि पड़ोसी देश को मिलने वाली आर्थिक मदद का उपयोग हथियारों की खरीद और आतंकी संगठनों को मजबूत करने में हो सकता है। हालांकि, IMF ने भारत की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा है कि वह अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 9 मई 2025 को लोन की समीक्षा करेगा।
7 बिलियन डॉलर के पैकेज की पहली समीक्षा
IMF और पाकिस्तान ने जुलाई 2024 में 7 बिलियन डॉलर के राहत पैकेज पर सहमति जताई थी। यह तीन साल का कार्यक्रम है, जिसका मकसद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को स्थिर करना और उसे आर्थिक संकट से बाहर निकालना है। इस एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत 37 महीनों में छह समीक्षाएं होंगी। प्रत्येक समीक्षा के बाद पाकिस्तान की आर्थिक प्रगति के आधार पर अगली किस्त जारी की जाएगी।
आज की बैठक में इस पैकेज की पहली समीक्षा होगी, जिसमें यह तय होगा कि पाकिस्तान को लगभग 1 बिलियन डॉलर की अगली किस्त दी जाए या नहीं। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति, नीतिगत सुधारों और IMF की शर्तों का पालन इस समीक्षा में अहम भूमिका निभाएंगे।
IMF का एग्जीक्यूटिव बोर्ड: क्या है इसकी भूमिका?
IMF एक वैश्विक वित्तीय संस्था है, जो देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है, नीतिगत सलाह देती है और उनकी अर्थव्यवस्था पर नजर रखती है। इसका एग्जीक्यूटिव बोर्ड इसकी सबसे महत्वपूर्ण इकाई है। यह बोर्ड 24 कार्यकारी निदेशकों से मिलकर बनता है, जो विभिन्न देशों या देशों के समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत का इस बोर्ड में स्वतंत्र प्रतिनिधित्व है, और इस बार परमेश्वरन अय्यर भारत की ओर से अपनी बात रखेंगे।
यह बोर्ड तय करता है कि किन देशों को लोन दिया जाए, कौन सी नीतियां लागू की जाएं और वैश्विक अर्थव्यवस्था को कैसे मजबूत किया जाए। भारत अपने प्रतिनिधि के जरिए यह सुनिश्चित करता है कि IMF की नीतियां उसके हितों के खिलाफ न हों और पाकिस्तान जैसे देशों को दी जाने वाली मदद का दुरुपयोग न हो।
भारत-पाकिस्तान तनाव और IMF की भूमिका
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। भारत ने न केवल IMF, बल्कि अन्य वैश्विक संस्थानों से भी पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता पर सवाल उठाए हैं। भारत का कहना है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के नाम पर दी जाने वाली मदद का उपयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने में हो सकता है।
दूसरी ओर, पाकिस्तान का दावा है कि उसे यह फंडिंग आर्थिक संकट से उबरने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए चाहिए। हालांकि, भारत का मानना है कि पाकिस्तान की नीतियां और आतंकवाद के प्रति उसका रवैया इस मदद को संदिग्ध बनाता है।
क्या होगा बैठक का नतीजा?
- आज की बैठक में IMF के सामने दो बड़े फैसले होंगे
- 1.3 बिलियन डॉलर का नया लोन: क्या पाकिस्तान को क्लाइमेट रेजिलिएंस के लिए यह राशि दी जाए?
- 7 बिलियन डॉलर पैकेज की अगली किस्त: क्या पाकिस्तान ने IMF की शर्तों का पालन किया है, और क्या उसे अगली किस्त मिलनी चाहिए?
भारत की आपत्तियों के बावजूद, IMF ने संकेत दिए हैं कि वह अपने कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ेगा। हालांकि, भारत का कूटनीतिक दबाव और वैश्विक मंचों पर उसकी बढ़ती ताकत इस फैसले को प्रभावित कर सकती है।
वैश्विक मंचों पर भारत की रणनीति
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर अलग-थलग करने की रणनीति तेज कर दी है। भारत ने IMF, वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक से पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय मदद की समीक्षा करने की मांग की है। भारत का कहना है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश को आर्थिक मदद देना वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।
इसके अलावा, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य और कूटनीतिक कार्रवाई को और मजबूत किया है। यह ऑपरेशन पहलगाम हमले के बाद शुरू किया गया था और इसका मकसद आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश देना है।
IMF की आज की बैठक न केवल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के लिए भी अहम होगी। अगर IMF भारत की आपत्तियों को नजरअंदाज कर पाकिस्तान को फंडिंग देता है, तो यह भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती होगी। दूसरी ओर, अगर भारत का विरोध कामयाब होता है, तो यह पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका होगा।
क्या IMF भारत की चिंताओं को गंभीरता से लेगा, या पाकिस्तान को राहत पैकेज देना जारी रखेगा? इसका जवाब आज की बैठक के बाद ही मिलेगा।
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