नई दिल्ली, वईबीएन डेस्क । पाकिस्तानी ISPR DG अहमद शरीफ चौधरी ने फिर उगला ज़हर, भारत के खिलाफ बोली हाफिज़ सईद जैसी भाषा, पानी रोकने पर दी 'सांसें बंद करने' की धमकी, भारत के संयम का लिया जा रहा गलत फायदा? क्या ये शब्द युद्ध की ओर पहला क़दम है? पाकिस्तान एक बार फिर उकसावे की राजनीति पर उतर आया है।
इस बार पाकिस्तानी सेना के प्रोपेगेंडा विंग 'इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस' के डीजी (ISPR DG) अहमद शरीफ चौधरी ने सीधे भारत को धमकी देते हुए कहा, "अगर तुम हमारा पानी बंद करोगे, तो हम तुम्हारी सांसें बंद कर देंगे।" यह बयान न सिर्फ उकसाने वाला है बल्कि इसमें जिहादी और आतंकवादी भाषा की झलक भी दिखती है, जो भारत-पाकिस्तान संबंधों में नया तनाव पैदा कर सकता है।
ISPR DG की भारत को सीधी धमकी
India - Pakistan के बीच रिश्ते अक्सर तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन हालिया बयान ने एक बार फिर दोनों देशों के बीच संवाद के रास्ते को धुंधला कर दिया है। पाकिस्तान के ISPR DG अहमद शरीफ चौधरी ने भारत को धमकी देते हुए कहा है कि अगर भारत सिंधु जल समझौते के तहत पाकिस्तान का पानी रोकता है, तो पाकिस्तान भारत की 'सांसें बंद' कर देगा। यह भाषा न केवल गैरराजनयिक है, बल्कि जिहादी और हाफिज़ सईद जैसे आतंकियों की शब्दावली से मेल खाती है।
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत लगातार पाकिस्तान की आतंकवाद पर दोहरी नीति को लेकर वैश्विक मंचों पर सवाल उठा रहा है। भारत ने बीते कुछ वर्षों में सिंधु जल समझौते की समीक्षा की है, खासकर जम्मू-कश्मीर में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों के बाद। पाकिस्तान की ओर से आई इस प्रतिक्रिया को विशेषज्ञ भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश मानते हैं।
पाक मीडिया में वायरल
इस जनरल ISPR DG अहमद शरीफ चौधरी का पाकिस्तानी मीडिया में वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें अहमद शरीफ चौधरी भारत के खिलाफ बेहद भड़काऊ और आक्रामक भाषा का इस्तेमाल कर रहा है। वह कहता है – "अगर तुम हमारे हिस्से का पानी बंद करोगे, तो हम तुम्हारी सांसें बंद कर देंगे।"
इस बयान पर भारत की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को ऐसे बयानों का मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए, पर संयम के साथ।
भारत ने हमेशा से जल समझौते का पालन किया है, लेकिन बार-बार की गई उकसावे वाली बयानबाज़ी भारत की सुरक्षा नीति को कठोर बना सकती है। इस बयान को न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी आतंकवादी मानसिकता की निशानी के रूप में देखा जा रहा है।
पाक सेना की जिहादी और आतंकी सोच उजागर
इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तान अपनी आतंकी सोच को सेना के माध्यम से भी फैला रहा है। इस तरह की बयानबाज़ी भारत के नागरिकों की भावनाओं को भड़काने और आक्रोश बढ़ाने के लिए की जाती है।
अब सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान वाकई किसी बड़े टकराव की तैयारी कर रहा है, या यह सिर्फ सस्ती लोकप्रियता बटोरने की एक चाल है? भारत को ऐसे बयानों से डरने की नहीं, बल्कि सटीक और सख़्त कूटनीतिक कार्रवाई की जरूरत है।
क्या आप इस बयान को आतंक का समर्थन मानते हैं? अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर दें।