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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।"भारत अब ग्लोबल एजुकेशन हब बनने की ओर! केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने NEP के तहत दुनिया के टॉप विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस खोलने की दी हरी झंडी। UK के लिवरपूल यूनिवर्सिटी को पहले ही मिल चुका है LOI। जानिए कैसे बदलेगी भारतीय शिक्षा की तस्वीर..."
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि भारत अब दुनिया के टॉप 500 विश्वविद्यालयों को यहां कैंपस खोलने की अनुमति देगा। इसका मकसद देश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देना है। UK की लिवरपूल यूनिवर्सिटी को पहले ही लेटर ऑफ इंटेंट (LOI) भेजा जा चुका है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत उठाया गया है, जिससे भारतीय छात्रों को वैश्विक स्तर की शिक्षा मिल सकेगी।
भारत बनेगा ग्लोबल एजुकेशन हब
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत अब विदेशी यूनिवर्सिटीज़ को अपने यहां आमंत्रित कर रहा है ताकि छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सके। उन्होंने कहा, "हम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 500 विश्वविद्यालयों को भारत में आने देंगे। इससे न केवल शिक्षा का स्तर सुधरेगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।"
#WATCH | दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिश को आगे बढ़ाते हुए हम दुनिया के अच्छे, गुणवत्तापूर्ण विश्वविद्यालयों को भारत में आमंत्रित कर रहे हैं... हम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 500 विश्वविद्यालयों में शुमार उन विश्वविद्यालयों को… pic.twitter.com/glXTSY3wd4
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 26, 2025
लिवरपूल यूनिवर्सिटी को मिला LOI, और कौन आएगा?
इस योजना के तहत यूके की प्रतिष्ठित लिवरपूल यूनिवर्सिटी को पहले ही LOI भेजा जा चुका है। माना जा रहा है कि जल्द ही ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जर्मनी के बड़े संस्थान भी भारत आ सकते हैं। ये विश्वविद्यालय यहां अपने पाठ्यक्रम चलाएंगे, जिससे भारतीय छात्रों को विदेश जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
NEP 2020 का बड़ा कदम, IIT-IIM भी बढ़ाएंगे दम
शिक्षा मंत्री ने कहा कि NEP 2020 के तहत यह फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि आज भारतीय संस्थान जैसे IIT और IIM विदेशों में अपनी पहचान बना रहे हैं। अब विदेशी यूनिवर्सिटीज़ भारत आएंगी, तो शिक्षा क्षेत्र में एक नया बदलाव आएगा।
क्या होगा फायदा?
- भारतीय छात्रों को मिलेगी वर्ल्ड-क्लास एजुकेशन।
- विदेश जाने का खर्च और वीजा की समस्या खत्म।
- शिक्षा और रोजगार दोनों के नए अवसर।
- भारत का शिक्षा क्षेत्र होगा और मजबूत।
क्या आपको लगता है यह फैसला भारतीय शिक्षा को बदल देगा? कमेंट करके बताएं!
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