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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और युद्ध की आशंका के बीच भारतीय वायुसेना ने एक बड़ा कदम उठाया है। वायुसेना ने अपने महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन में शामिल अनुभवी पायलट अजीत कृष्णन को तत्काल प्रभाव से वापस बुला लिया है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव चरम पर है और भारत ने हाल ही में आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की है।
तनाव का पृष्ठभूमि और भारत की कार्रवाई
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत को कड़ा रुख अपनाने के लिए मजबूर किया। इसके जवाब में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने भारत के कई राज्यों में ड्रोन और मिसाइल हमलों के जरिए पलटवार किया। सूत्रों के मुताबिक, भारत अब और सख्त जवाबी कार्रवाई की योजना बना रहा है। इस संवेदनशील स्थिति में भारतीय वायुसेना ने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए गगनयान मिशन के एक प्रमुख सदस्य को वापस बुलाने का निर्णय लिया।
अजीत कृष्णन ने की पुष्टि
नई दिल्ली में आयोजित ग्लोबल स्पेस एक्सप्लोरेशन कॉन्फ्रेंस के दौरान अजीत कृष्णन ने इस खबर की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा की मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारतीय वायुसेना ने मुझे वापस बुलाया है। यह एक महत्वपूर्ण समय है, और मुझे अपने देश की सेवा के लिए तैयार रहना होगा।” कृष्णन का यह बयान न केवल उनकी देशभक्ति को दर्शाता है, बल्कि वर्तमान हालात की गंभीरता को भी उजागर करता है।
कौन हैं अजीत कृष्णन?
अजीत कृष्णन भारतीय वायुसेना के एक अनुभवी और कुशल पायलट हैं। उन्होंने 2003 में वायुसेना में अपनी सेवा शुरू की थी और तब से विभिन्न लड़ाकू विमानों पर 2,900 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव हासिल किया है। वह सुखोई Su-30 MKI और मिग-29 जैसे विमानों को उड़ाने में माहिर हैं। इसके अलावा, वह एक प्रशिक्षित फ्लाइट इंस्ट्रक्टर भी हैं, जो उनकी नेतृत्व क्षमता और तकनीकी विशेषज्ञता को दर्शाता है। गगनयान मिशन के लिए उनकी चयन प्रक्रिया में उनकी एविएशन विशेषज्ञता और समर्पण ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
गगनयान मिशन: भारत का अंतरिक्ष सपना
गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसके जरिए देश अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल करना चाहता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, इस मिशन का 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। पहला मानवरहित मिशन इस साल के अंत तक लॉन्च होने की उम्मीद है, जबकि 2026 में दो और मानवरहित मिशन प्रक्षेपित किए जाएंगे। मानवयुक्त मिशन का प्रक्षेपण 2027 की पहली तिमाही में होने की संभावना है। इस मिशन के जरिए भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जो मानव को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता रखते हैं।
क्यों लिया गया यह फैसला?
वायुसेना का यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने का एक स्पष्ट संकेत है। अजीत कृष्णन जैसे अनुभवी पायलट की वापसी से वायुसेना की युद्धक क्षमता में और मजबूती आएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति में वायुसेना अपनी सभी संसाधनों को सक्रिय और तैयार रखना चाहती है। यह कदम न केवल भारत की सैन्य तैयारियों को दर्शाता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि देश किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
गगनयान मिशन के लिए अजीत कृष्णन की वापसी से मिशन की समयसीमा पर कोई बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है, क्योंकि इसरो ने पहले ही वैकल्पिक योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। हालांकि, यह घटना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरिक्ष अन्वेषण के बीच संतुलन को दर्शाती है। एक तरफ जहां भारत अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए प्रतिबद्ध है, वहीं दूसरी तरफ वह अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर भी पूरी तरह सतर्क है।
भारतीय वायुसेना का यह कदम न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत हर मोर्चे पर मजबूत और तैयार है। अजीत कृष्णन जैसे पायलट देश के लिए गर्व का विषय हैं, जो अंतरिक्ष से लेकर युद्ध के मैदान तक अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं। आने वाले दिनों में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव किस दिशा में जाता है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
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