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भारत में जन्मे दंपत्ति को 37 साल बाद जाना पड़ेगा पाकिस्तान, जानें क्यों हुआ ऐसा

सुनवाई के दौरान पति पत्नी ने वो हर संभव कोशिश की जिससे उन्हें उस वतन में रहने की अनुमति मिल जाए जिसमें वो पैदा हुए हैं। लेकिन हाईकोर्ट ने मजबूरी जताकर सरकार के फैसले में दखल देने से इन्कार कर दिया।

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Shailendra Gautam
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कःभारत में पैदा हुए दंपत्ति को 37 साल बाद पाकिस्तान भेजने का फरमान जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने सुनाया है। दंपत्ति ने एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसमें उनकी दरख्वास्त थी कि भारत उनका अपना वतन है लिहाजा उनको यहां रहने की परमिशन दी जाए। लेकिन अदालत नहीं मानी। कोर्ट का कहना था कि वो कुछ नहीं कर सकती। सुनवाई के दौरान पति पत्नी ने वो हर संभव कोशिश की जिससे उन्हें उस वतन में रहने की अनुमति मिल जाए जिसमें वो पैदा हुए हैं। लेकिन हाईकोर्ट ने मजबूरी जताकर सरकार के फैसले में दखल देने से इन्कार कर दिया। अदालत का कहना था कि कानून उनके हाथ बांध रहा है। 

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श्रीनगर में जन्मे थे खलील काजी और आरिफा

ये दर्दनाक कहानी है मोहम्मद खलील काजी और उनकी पत्नी आरिफा काजी की। खलील काजी का जन्म 1945 में श्रीनगर में हुआ था, जबकि आरिफा इसी जगह पर 1962 में पैदा हुईं। खलील तब महज दो साल के थे जब बंटवारे का दंश उनको झेलना पड़ा। वो अनजाने में पाकिस्तान पहुंच गए। वहां उनके पिता का बिजनेस था। बाद के दौर में उनको खुद ब खुद पाकिस्तान की नागरिकता मिल गई। आरिफा की कहानी उनसे थोड़ी सी अलग है। वो श्रीनगर में जन्म लेने के बाद भारत में ही रहीं। 1986 तक आरिफा काजी के पास भारत सरकार का पासपोर्ट था। 

खलील बंटवारे में पाकिस्तान पहुंच गए तो आरिफा उनसे शादी करके

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कहानी में ट्विस्ट तब आया जब आरिफा का निकाह पाकिस्तान में रहने वाले खलील काजी से तय हो गया। दोनों ने पाकिस्तान में शादी की। आरिफा ने शादी के बाद पाकिस्तान की नागरिकता हासिल कर ली। फिर दो साल बाद दोनों अपने बच्चे को लेकर भारत आ गए। दोनों वीजा लेकर भारत आए थे। सरकार ने उनकी गुजारिश पर तीन वीजा एक्सटेंशन दिए। जब चौथे वीजा एक्सटेंशन के लिए दोनों ने एप्लाई किया तो उनकी सरकार से अपील थी कि उनकी भारतीय नागरिकता को फिर से बहाल कर दिया जाए, क्योंकि वो भारत में ही रहना चाहते हैं। 

deportation order के खिलाफ 1990 से लड़ रहे थे केस

लेकिन 1989 में सरकार ने उनके deportation order जारी कर दिए। 1990 में दोनों ने हाईकोर्ट में इस आदेश के खिलाफ अपील की। कोर्ट ने फैसला आने तक सरकार के आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया। दंपत्ति ने श्रीनगर में ही अपना आशियाना बना लिया। उन्होंने अदालत से कहा कि वो हालात के चलते पाकिस्तान जाने पर विवश हुए थे। 37 साल से वो भारत में रह रहे हैं लिहाजा उनको यहीं पर रहने दिया जाए। ये उनका अपना वतन है। एक ऐसा वतन जिसमें उनका जन्म हुआ था। लेकिन हाईकोर्ट का कहना था कि दोनों ने अपनी मर्जी से पाकिस्तान की नागरिकता हासिल की थी। ऐसे में उनका deportation order ठीक है।Jammu and Kashmir High Court, deportation order, Pakistani couple, INDIAN GOVERNMENT

kashmir High Court pakistan
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