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WTO पर भारत की सख्ती: अमेरिका को दी सीधी चेतावनी

भारत ने WTO में अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह 7.6 अरब डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगा सकता है। यह कदम अमेरिका के स्टील और एल्युमिनियम पर 25% टैक्स बढ़ाने के जवाब में उठाया जाएगा।

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Ajit Kumar Pandey
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) को सूचित किया है कि वह अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर बढ़ाए गए आयात शुल्क के जवाब में करीब 7.6 अरब डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगा सकता है। यह कदम भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की चर्चाओं के बीच नया तनाव पैदा कर सकता है।

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भारत की बड़ी चेतावनी: अमेरिका को झटका देने की तैयारी

भारत ने WTO को साफ शब्दों में बताया है कि यदि अमेरिका ने अपनी एकतरफा टैक्स नीति नहीं बदली, तो भारत जवाबी कार्रवाई करने को मजबूर होगा। अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर 25% तक की आयात शुल्क वृद्धि के चलते भारत ने अब कड़ा रुख अपनाते हुए संकेत दिया है कि वह अमेरिका से आने वाले 7.6 अरब डॉलर के उत्पादों पर शुल्क लगा सकता है।

क्या है पूरा मामला?

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अमेरिका ने हाल ही में अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के नाम पर स्टील और एल्युमिनियम पर भारी आयात शुल्क लागू किए हैं। इससे भारत जैसे देशों को सीधा नुकसान हो रहा है। अब भारत ने WTO में यह प्रस्ताव रखा है कि वह अमेरिका से आने वाले कुछ खास उत्पादों पर रियायतें हटाने या टैक्स बढ़ाने जैसा कदम उठा सकता है।

30 दिनों में बदल सकता है खेल

WTO को दिए गए भारत के संचार के अनुसार, प्रस्तावित जवाबी उपाय 30 दिनों के भीतर लागू किए जा सकते हैं। भारत की यह रणनीति अमेरिका पर दबाव बनाने की है, ताकि वह बातचीत की टेबल पर गंभीरता से लौटे।

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भारत-अमेरिका व्यापार समझौता खतरे में?

भारत और अमेरिका के बीच हाल के वर्षों में व्यापार समझौते को लेकर कई दौर की बातचीत हुई है। लेकिन इस तरह की सख्ती और चेतावनियों से दोनों देशों के संबंधों में खटास आ सकती है। यदि यह शुल्क लागू होते हैं, तो इसका असर दोनों देशों की आर्थिक साझेदारी पर भी पड़ सकता है।

भारत का संदेश साफ: बराबरी का व्यवहार चाहिए

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भारत ने WTO में अपने रुख से यह साफ कर दिया है कि वह अब मूक दर्शक नहीं रहेगा। उसे बराबरी का व्यवहार चाहिए और व्यापार में संतुलन बनाए रखना उसकी प्राथमिकता है। जवाबी टैक्स भारत की उसी नीति का हिस्सा है, जिसमें अपने हितों की रक्षा सर्वोपरि है।

क्या आप मानते हैं कि भारत का यह कदम सही है? कमेंट करके अपनी राय जरूर बताएं।

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