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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।अन्य वर्गों के साथ ही वकीलों में भी सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्म पर चमकने का खुमार छा रहा है। वकीलों में सोशल मीडिया पर अदालत से संबंधित प्रचार सामग्री, साझात्कार और यहां तक की अपनी तस्वीरों भी प्रकाशित करने की होड़ सी लगी है। दिल्ली बार काउंसिल (BCD)ने इसे काफी गंभीरता से लिया है, और उन वकीलों को सीधे चेतावनी जारी की है, जो है जो सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर खुद का प्रचार करके पेशेवर नैतिकता का उल्लंघन कर रहे हैं।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम 36 का उल्लंघन
काउंसिल इतने पर ही नहीं रुकी है। उसने चिंता व्यक्त करते हुए यह भी कहा कि ऐसे कानूनी प्रभावशाली लोगों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जिनके पास उचित योग्यता भी नहीं है, फिर भी वे महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दों पर सोशल मीडिया के जरिए गलत सूचना फैलाने में लगे हुए हैं। बीसीडी ने कहा कि यह अनैतिक प्रचार है और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम 36 का उल्लंघन है।
नियम का उल्लंघन करने पर लाइसेंस रद्द हो सकता है
दिल्ली बार काउंसिल ने 04 अगस्त को जारी किए गए नोटिस में चेतावनी दी है कि, "उपरोक्त नियम का कोई भी उल्लंघन गंभीर कदाचार है और किसी भी वकील को अधिवक्ता अधिनियम की धारा 35 के तहत दोषी ठहराया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप वकील के रूप में प्रैक्टिस करने का लाइसेंस निलंबित या रद्द किया जा सकता है।" बीसीडी ने वकीलों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट से ऐसी सभी सामग्री हटाने का आदेश दिया।
कारवाई की चेतावनी
नोटिस में यह भी कहा गया है, "इसलिए यह निर्देश दिया जाता है कि इस संबंध में सोशल मीडिया पर सक्रिय सभी अधिवक्ता अपनी सामग्री हटा सकते हैं, अन्यथा अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 35 के तहत व्यक्तिगत मामलों पर कार्रवाई शुरू की जाएगी।" Lawyers Bar Council Notic | Lawyers Social Media Rules
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