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Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः राजनीति भी अजब गजब चीज है। इसमें कब कौन सा पैंतरा इस्तेमाल कर दिया जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। जस्टिस यशवंत वर्मा के केस में देश के सबसे बड़े वकीलों की फौज उनकी पैरवी के लिए एकजुट हो गई है। खास बात है कि करोड़ों की फीस वाले वकील मुफ्त में उनकी पैरवी करने जा रहे हैं। इनका काम होगा कि अपने क्लाइंट के केस में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को गलत ठहराया जाए जिसके चलते मामला संसद के दरवाजे के साथ महाभियोग तक जा पहुंचा।
सिब्बल, रोहतगी और लूथरा लड़ंगे जस्टिस वर्मा का केस
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट कहती है कि जस्टिस वर्मा के केस की पैरवी करने वाले वकीलों की अगुवाई कपिल सिब्बल करने जा रहे हैं। वकीलों की टीम में भारत के अटार्नी जनरल रह चुके मुकुल रोहतगी, सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ अग्रवाल शामिल हैं। सिब्बल और लूथरा पहले भी इस तरह के केसों में पैरवी करके अपने क्लाइंट को बचा चुके हैं। सिब्बल ने 1993 में जस्टिस वीके रामास्वामी को महाभियोग से बचाया था। चीफ जस्टिस आफ इंडिया रह चुके दीपक मिश्रा के लिए भी कपिल सिब्बल ने पैरवी की थी। दोनों ही मामलों में महाभियोग टल गया था। लूथरा ने जस्टिस एसके गांगुली की पैरवी ऐसे ही एक केस में की थी।
जस्टिस वर्मा ने दायर किया है सुप्रीम कोर्ट में केस
ध्यान रहे कि जस्टिस वर्मा के घर से भारी मात्रा में जले हुए नोट फायर ब्रिगेड की टीम ने बरामद किए थे। उसके बाद तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने एक इन हाउस कमेटी गठित की थी, जिसने जस्टिस वर्मा को दोषी मानते हुए उनको न्यायिक ढांचे से बाहर करने की सिफारिश की थी। संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा को बुलाकर इस्तीफा देने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए कहा था। वो नहीं माने तो महाभियोग के लिए मामला सरकार के पास भेज दिया गया। जस्टिस यशवंत वर्मा ने संसद का मानसून सेशन शुरू होने से पहले सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके इंसाफ की गुहार की है। लेकिन खास बात है कि उन्होंने जिन पांच बिंदुओं पर सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ मांगा है, उसमें टाप कोर्ट के साथ चीफ जस्टिस आफ इंडिया की शक्तियों पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई को हाईकोर्ट या इसके जजों के खिलाफ कोई एक्शन लेने का अधिकार नहीं है। ये संवैधानिक व्यवस्था है। उनका ये भी कहना है कि किसी शिकायत के बगैर उनके खिलाफ इन हाउस कमेटी की जांच बिठा दी गई। कमेटी ने जो साक्ष्य जुटाए वो जबरन गढ़े गए हैं।
दिग्गज वकील क्यों जुटे जस्टिस वर्मा के लिए
इस सारे मामले में खास बात ये है कि जस्टिस वर्मा की पैरवी जो वकीलों की टीम करने जा रही है वो करोड़ों रुपये बतौर फीस चार्ज करती है। लेकिन लगता नहीं कि वो उनकी पैरवी पैसे के लिए करने जा रही है। इसके लिए राजनीतिक परिस्थितियां जिम्मेदार हैं। इसकी पहली वजह ये है कि ये सारे दिग्गज सरकार के खिलाफ हैं। उनकी दलील ये है कि जस्टिस वर्मा के केस में सुप्रीम कोर्ट और सरकार तुरंत एक्टिव हो गई लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव के मामले में ये तेजी क्यों नहीं दिखाई गई।
जानकार कहते हैं कि वकीलों की फौज शेखर यादव के मामले को तीखे अंदाज में उठाने को आमादा है। कपिल सिब्बल पहले ही मीडिया से अपनी भावनाओं का इजहार कर चुके हैं। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के साथ न्याय नहीं किया। उनका केस सरकार के पास भेज दिया गया। जबकि पैसे के बारे में कोई ठोस सबूत नहीं मिला था।
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