Advertisment

मजिस्ट्रेट ने लिखा कुछ ऐसा कि भड़क गया बाम्बे हाईकोर्ट, जानें फिर किया हुआ

हाईकोर्ट को मजिस्ट्रेट का जवाब देने का तरीका ठीक नहीं लगा। ओपन कोर्ट में कहा गया कि मजिस्ट्रेट हमको सिखा रहा है कि डाक किस तरह से भेजी जाए। इस बात का ख्याल रखा जाए कि सुपिरियर्स से किस तरह से बात जाती है।

author-image
Shailendra Gautam
High court

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः मसला मामूली था लेकिन बड़ा हो गया। इतना कि बाम्बे हाईकोर्ट ने भरी अदालत में एक मजिस्ट्रेट को वार्निंग दे डाली। हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट को ताकीद करते हुए कहा कि भविष्य में ख्याल रखें कि सीनियर्स से किस तरह से बात की जाती है।

Advertisment

हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट से मांगी थी एक मामले की रिपोर्ट

बार एंड बेंच के मुताबिक बाम्बे हाईकोर्ट एक आपराधिक मामले की सुनवाई कर रहा था। इसी दौरान उसने जूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास से एक रिपोर्ट तलब की। मजिस्ट्रेट ने रिपोर्ट तो नहीं भेजी पर हाईकोर्ट की चिट्ठी का जवाब जरूर दिया। उनका कहना था कि जो रिपोर्ट आपको चाहिए उसे भेजने में देरी होगी, क्योंकि हाईकोर्ट की रजिस्ट्री ने डाक के जरिये उनसे रिपोर्ट मांगी थी। उनका कहना था कि अगर ईमेल भेजी जाती तो रिपोर्ट जल्दी भेज दी जाती। 

हाईकोर्ट की जस्टिस विभा कनकनवादी और संजय देशमुख को मजिस्ट्रेट का जवाब देने का तरीका ठीक नहीं लगा। उन्होंने ओपन कोर्ट में कहा कि मजिस्ट्रेट हमको सिखा रहा है कि डाक किस तरह से भेजी जाए। उनका कहना था कि अभी हम हिदायत दे रहे हैं कि भविष्य में इस बात का ख्याल रखा जाए कि सुपिरियर्स से किस तरह से बात जाती है। 

Advertisment

मजिस्ट्रेट ने हाईकोर्ट की रजिस्ट्री पर फोड़ दिया देरी का ठीकरा

दरअसल, मजिस्ट्रेट ने अपने जवाब में जो लिखा था उसमें उन्होंने इस बात को बोल्ड कर दिया था कि हाईकोर्ट की रजिस्ट्री ने रिपोर्ट को लेकर जो चिट्ठी भेजी थी वो डाक से भेजी गई। मजिस्ट्रेट की ये बात हाईकोर्ट के जस्टिसेज को खराब लगी। इसी पर वो नाराज हो गए। वो इतने ज्यादा नाराज थे कि रजिस्ट्री को आदेश देकर कहा कि मजिस्ट्रेट का तबादला हो चुका है। इसलिए रजिस्ट्री उसके नए ठिकाने पर हमारे आदेश की कापी भेजे, जिससे वो सीख सकें। 

कारोबारी महिला के साथ हुई धोखाधड़ी का केस सुन रहा था हाईकोर्ट

Advertisment

जिस मामले को लेकर बवाल मचा है वो एक 48 वर्षीय महिला से जुड़ा है। सुनीता मोहन कारोबारी हैं। उन्होंने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल करके कहा था कि उनके साथ हुई धोखाधड़ी के मामले में सालों बीत जाने के बाद भी कोई प्रगति नहीं हो सकी है। 2012 में उन्होंने मजिस्ट्रेट औरंगाबाद को अपना दुखड़ा सुनाया था। उनके निर्देश पर पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया पर विवेचना शुरू ही नहीं की। हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट से पूछा था कि उन्होंने सुनीता मोहन की शिकायत मिलने के बाद जो कुछ भी किया वो उसकी सारी रिपोर्ट हमारे पास भेजें।  judiciary of india | Judiciary | Indian Judiciary 

Bombay High Court, Judicial Magistrate First Class Aurangabad, High Court reprimands Magistrate 

Judiciary Indian Judiciary judiciary of india
Advertisment
Advertisment