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मायावती का यूटर्न, भतीजे आकाश आनंद की वापसी, जानें पूरे उलटफेर के पीछे की रहस्यमयी कहानी!

बसपा प्रमुख मायावती ने 41 दिन बाद भतीजे आकाश आनंद को माफ कर पार्टी में वापस लिया, लेकिन स्पष्ट किया कि वे उन्हें अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाएंगी। आकाश को मार्च में पार्टी से निकाला गया था। मायावती ने आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ पर गुटबाजी का आरोप लगाया।

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Ajit Kumar Pandey
MAYAWATI AKASH ANAND

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लखनऊ, वाईबीएन नेटवर्क ।

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bsp chief mayavati | mayawati action on akash anand | बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को 41 दिन बाद माफ कर दिया और उन्हें पार्टी में वापस शामिल कर लिया। रविवार को यह फैसला लिया गया, लेकिन मायावती ने स्पष्ट किया कि वे आकाश को अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाएंगी। मायावती ने कहा कि जब तक वे स्वस्थ हैं, तब तक पार्टी का नेतृत्व खुद संभालेंगी और उत्तराधिकारी की कोई बात नहीं होगी।

आकाश आनंद को मार्च में पार्टी से निकाल दिया गया था। उससे पहले वे बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक और मायावती के उत्तराधिकारी के रूप में काम कर रहे थे। मायावती ने आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अशोक की गलतियां माफी के लायक नहीं हैं। अशोक ने पार्टी में गुटबाजी को बढ़ावा दिया और आकाश के राजनीतिक करियर को भी नुकसान पहुंचाया।

आकाश ने मांगी थी सार्वजनिक माफी

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mayawati akash anand | akash anand bsp : आकाश ने मायावती से माफी मांगने के लिए रविवार को सार्वजनिक बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि वे अपनी गलतियों को स्वीकार करते हैं और भविष्य में अपने ससुराल वालों की सलाह को नजरअंदाज करेंगे। आकाश ने मायावती को अपना राजनीतिक गुरु बताते हुए पार्टी के लिए पूरी निष्ठा से काम करने का वादा किया। माफी मिलने के दो घंटे बाद ही मायावती ने उन्हें पार्टी में वापस लेने का ऐलान कर दिया।

MAYAWATI

पहले भी दो बार हटाए गए आकाश

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आकाश को मायावती ने पिछले 15 महीनों में दो बार उत्तराधिकारी बनाया, लेकिन दोनों बार उनकी जिम्मेदारियां छीन ली गईं। दिसंबर 2023 में पहली बार उन्हें उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। फिर मई 2024 में उनकी गलतबयानी के कारण पद छीन लिया गया। जून 2024 में उन्हें दोबारा मौका दिया गया, लेकिन मार्च 2025 में फिर से पार्टी से निकाल दिया गया। अब उनकी वापसी हुई है, लेकिन कोई आधिकारिक पद नहीं दिया गया है।

क्यों हुई आकाश की वापसी?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आकाश की वापसी की योजना पहले से तैयार थी। पार्टी से निकाले जाने के बाद भी आकाश ने मायावती की हर सोशल मीडिया पोस्ट का समर्थन किया। उनका माफीनामा भी बसपा कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया। इसके अलावा, मायावती की रणनीति में चार मुख्य कारण नजर आते हैं...

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दलित युवाओं को जोड़ने की कोशिश: मायावती आकाश के जरिए दलित युवाओं को पार्टी से जोड़ना चाहती हैं, खासकर तब जब चंद्रशेखर जैसे नेता चुनौती दे रहे हैं।

सपा और कांग्रेस की रणनीति का जवाब: समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दलित वोटरों को आकर्षित करने में जुटी हैं। सपा के सांसद रामजी लाल सुमन और कांग्रेस के हालिया संकल्पों से मायावती दबाव में थीं।

आकाश का संयम: निष्कासन के बाद आकाश और उनके ससुर ने कोई विवादास्पद बयान नहीं दिया, जिससे मायावती को उनकी वापसी में आसानी हुई।

पार्टी की छवि: मायावती बसपा को फिर से मजबूत करना चाहती हैं, और आकाश की वापसी इस दिशा में एक कदम हो सकती है।

BSP TWITTER

आकाश का बयान: गलतियां नहीं दोहराऊंगा

आकाश ने कहा, “मैं मायावती जी को अपना राजनीतिक गुरु मानता हूं। मैं वादा करता हूं कि पार्टी के हितों को सबसे ऊपर रखूंगा और अपने ससुराल वालों की सलाह से दूर रहूंगा। मैं अपनी पुरानी गलतियों के लिए माफी मांगता हूं और भविष्य में ऐसी कोई भूल नहीं करूंगा, जिससे पार्टी या बहनजी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचे।”

AKASH ANAD

मायावती का पुराना बयान

आकाश को पार्टी से निकालते समय मायावती ने कहा था कि आकाश अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ के प्रभाव में स्वार्थी और अहंकारी हो गए हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि उनके लिए पार्टी और आंदोलन सबसे पहले हैं, परिवार बाद में। मायावती ने यह भी साफ किया था कि उनके जीते-जी कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा।

TWITTER BSP

बसपा की मौजूदा स्थिति

2007 में 206 विधानसभा सीटें जीतने वाली बसपा अब सिर्फ एक विधायक तक सिमट गई है। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई और उसका वोट शेयर 19.43% से गिरकर 9.35% रह गया। दिल्ली, महाराष्ट्र और झारखंड के हालिया चुनावों में भी बसपा को निराशा हाथ लगी। फिर भी, पार्टी का 10% वोटबैंक अब भी गठबंधन की राजनीति में अहम भूमिका निभा सकता है।

आकाश का राजनीतिक सफर

आकाश ने 2017 में सहारनपुर की एक रैली में पहली बार मायावती के साथ मंच साझा किया था। 2019 में उन्हें राष्ट्रीय समन्वयक बनाया गया। लंदन से एमबीए की पढ़ाई करने वाले आकाश की शादी अशोक सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा से हुई है।

क्या होगा आकाश का अगला कदम?

फिलहाल आकाश को कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई है। मायावती ने साफ कर दिया है कि उत्तराधिकारी का सवाल ही नहीं उठता। ऐसे में आकाश को पार्टी में अपनी विश्वसनीयता फिर से साबित करनी होगी। क्या वे बसपा को फिर से उसकी पुरानी ताकत दिला पाएंगे? यह समय बताएगा।

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