Advertisment

Meerut News: CCS यूनिवर्सिटी में बवाल, अब इस प्रोफेसर पर लगी जीवनभर की पाबंदी, जानें क्या है पूरा मामला ?

मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में एमए राजनीति विज्ञान के प्रश्नपत्र में RSS का नाम शामिल करने पर विवाद उत्पन्न हुआ, जिसके बाद छात्रों ने विरोध किया।

author-image
Ajit Kumar Pandey
CCS UNIVERSITY MEERUT

CCS UNIVERSITY MEERUT

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।

Advertisment

meerut case | meerut | Education : वेस्ट यूपी के जिला मेरठ में स्थित चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रश्नपत्र में RSS का नाम शामिल करने पर बवाल खड़ा हो गया। विवादित प्रश्नपत्र तैयार करने वाली प्रोफेसर को अब कभी भी परीक्षा पेपर बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

क्या था विवाद ?

  • एमए राजनीति विज्ञान के द्वितीय वर्ष के प्रश्नपत्र में एक प्रश्न था: "निम्न में से किसे परमाणु समूह नहीं माना जाएगा?"
  • विकल्पों में नक्सली समूह, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट, RSS और दल खालसा शामिल थे।
  • RSS का नाम देखकर ABVP के छात्रों ने आपत्ति जताई और विरोध प्रदर्शन किया।
Advertisment

प्रोफेसर पर कार्रवाई

  • विश्वविद्यालय ने प्रश्नपत्र बनाने वाली प्रोफेसर सीमा पंवार (मेरठ कॉलेज) से स्पष्टीकरण मांगा।
  • उन्होंने लिखित में गलती स्वीकार की और भविष्य में ऐसा न करने का आश्वासन दिया।
  • विश्वविद्यालय ने उन्हें आजीवन परीक्षक पैनल से हटा दिया, यानी अब वे कभी भी प्रश्नपत्र नहीं बना पाएंगी।

प्रोफेसर सीमा पंवार का दावा

Advertisment

प्रोफेसर सीमा पंवार ने दावा किया कि एम. लक्ष्मीकांत की पुस्तक (जो पाठ्यक्रम में शामिल है) में RSS को "धार्मिक दबाव समूह" के रूप में उल्लेखित किया गया है। उनका इरादा किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था, बल्कि वे पाठ्यक्रम के अनुसार ही प्रश्न बना रही थीं।

CCSU QUESTION PAPER 1
CCSU QUESTION PAPER 1
CCSU QUESTION PAPER 2
CCSU QUESTION PAPER 2
Advertisment

विश्वविद्यालय की लापरवाही ?

  • विवाद के बाद सवाल उठा कि प्रश्नपत्र की जांच क्यों नहीं हुई?
  • अगर उच्च स्तर पर पेपर रिव्यू होता, तो शायद यह गलती न होती।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

  • कुछ लोगों का कहना है कि यह अकादमिक स्वतंत्रता पर हमला है।
  • वहीं, दूसरे इसे संवेदनशील मुद्दे पर लापरवाही मानते हैं।

यह मामला शैक्षणिक स्वतंत्रता और संवेदनशील विषयों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को उजागर करता है। विश्वविद्यालय ने सख्त कदम उठाकर संदेश दिया है कि ऐसी गलतियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

meerut case meerut Education
Advertisment
Advertisment