नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । रूस की राजधानी मॉस्को में एक बार फिर ड्रोन हमले की खबर ने दुनिया को चौंका दिया है। हमले के वक्त DMK सांसद कनिमोझी की फ्लाइट हवा में ही फंसी रही। ऐसे में सवाल उठता है: क्या अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे अब भी सुरक्षित हैं?
रूस के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट्स में शामिल शेरमेट्येवो एयरपोर्ट पर हुए ताज़ा ड्रोन हमले ने सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। इस हमले का सीधा असर भारत की DMK सांसद कनिमोझी पर भी पड़ा, जिनकी फ्लाइट हमले के वक्त हवा में ही फंसी रही।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ड्रोन हमले की वजह से मॉस्को एयरपोर्ट के रनवे को कुछ समय के लिए पूरी तरह बंद करना पड़ा। कनिमोझी एयर इंडिया की फ्लाइट से मॉस्को पहुंच रही थीं, लेकिन एयर ट्रैफिक कंट्रोल से हरी झंडी न मिलने के कारण विमान को अस्थायी रूप से हवा में ही रोक दिया गया।
ड्रोन अटैक बना वैश्विक खतरा
हाल के वर्षों में ड्रोन हमले सिर्फ युद्ध क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि अब ये एयरपोर्ट्स, तेल रिफाइनरियों और सिविलियन ठिकानों तक पहुंच चुके हैं। मॉस्को एयरपोर्ट पर हुआ यह हमला रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ने की ओर इशारा करता है।
यह कोई पहली घटना नहीं है जब मॉस्को का एयरस्पेस इस तरह के खतरे का सामना कर रहा हो। पिछले महीने भी ऐसे ही एक ड्रोन को राजधानी के नजदीक मार गिराया गया था।
कनिमोझी का रिएक्शन: "मैं सुरक्षित हूं"
घटना के बाद कनिमोझी ने खुद सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि वो सुरक्षित हैं और फ्लाइट को मॉस्को के बजाय किसी अन्य एयरपोर्ट पर लैंड कराया गया। उन्होंने लिखा, "मुझे चिंता की कोई बात नहीं है। पायलट और क्रू ने शानदार काम किया।"
इस बयान के बाद तमिलनाडु में उनके समर्थकों ने राहत की सांस ली। हालांकि सवाल अब ये है कि क्या आम नागरिकों की हवाई यात्रा अब भी पूरी तरह सुरक्षित है?
भारत में भी उठे सुरक्षा के सवाल
इस घटना के बाद भारत में भी एयरपोर्ट सुरक्षा को लेकर बहस तेज हो गई है। खासकर दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे बड़े हवाईअड्डों पर ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम को लेकर नए निर्देश जारी किए जा सकते हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि एयरस्पेस सुरक्षा में ड्रोन जैसे छोटे लेकिन खतरनाक हथियारों से निपटने के लिए नए तकनीकी समाधान की जरूरत है।
क्या अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे अब भी सुरक्षित हैं?
मॉस्को की यह घटना सिर्फ एक चेतावनी नहीं बल्कि एक अलार्म बेल है कि ड्रोन हमले अब सीमाओं की परवाह नहीं करते। नागरिकों की सुरक्षा के लिए सिर्फ फौजी ताकत नहीं, बल्कि साइबर और तकनीकी तैयारी भी ज़रूरी है।
क्या आप मानते हैं कि एयरपोर्ट्स की सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त किया जाना चाहिए? नीचे कमेंट में अपनी राय दें।
Drone Attack