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नेशनल हेराल्ड केस: सोनिया-राहुल पर ED की चार्जशीट, क्या है इस सियासी तूफान की पूरी कहानी ?

नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया और राहुल गांधी पर ED की चार्जशीट ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के आरोप शामिल हैं। जानिए नेशनल हेराल्ड केस पूरी की अनकही कहानी...

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Ajit Kumar Pandey
SONIA RAHUL GANDHI
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । नेशनल हेराल्ड केस, भारतीय राजनीति का वह तूफानी अध्याय है, जो दशकों से सुर्खियों में छाया हुआ है। यह मामला सिर्फ आर्थिक अनियमितताओं की कहानी नहीं, बल्कि सत्ता, सियासत और जांच एजेंसियों के बीच एक जटिल जंग का प्रतीक है। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं, सोनिया गांधी और राहुल गांधी, के नाम इस केस में उछलने से यह और भी चर्चित हो गया।

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sonia Gandhi | rahul gandhi : प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ताजा चार्जशीट ने इस पुराने विवाद में नया मोड़ ला दिया है, जिसमें आरोपों की गूंज से लेकर राजनीतिक दांवपेच तक सब कुछ शामिल है। आखिर क्या है यह नेशनल हेराल्ड केस? कैसे शुरू हुआ यह विवाद, और क्यों यह आज भी भारत की राजनीति को झकझोर रहा है? आइए, इस कहानी के हर पहलू को रोचक और गहराई से जानते हैं...

नेशनल हेराल्ड केस का इतिहास और शुरुआत

नेशनल हेराल्ड एक अंग्रेजी समाचार पत्र है, जिसकी स्थापना 1938 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इस अखबार को चलाने का जिम्मा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नामक कंपनी के पास था, जो हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज जैसे अन्य प्रकाशनों को भी संचालित करती थी।

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यह अखबार स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस पार्टी के विचारों को जनता तक पहुंचाने का एक प्रमुख माध्यम था। हालांकि, समय के साथ AJL आर्थिक संकट में फंस गई, जिसके कारण इसके प्रकाशन बंद हो गए।

Congress | Congress leader : नेशनल हेराल्ड केस का कानूनी विवाद 2012 में तब शुरू हुआ, जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और वरिष्ठ वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दायर की।

स्वामी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) नामक कंपनी के माध्यम से AJL की संपत्तियों का गलत तरीके से अधिग्रहण किया। उनके अनुसार, यह अधिग्रहण धोखाधड़ी और विश्वासघात का परिणाम था, जिसका उद्देश्य दिल्ली, मुंबई, लखनऊ और अन्य शहरों में AJL की मूल्यवान संपत्तियों, जिनकी कीमत लगभग 2,000 करोड़ रुपये आंकी गई थी, पर कब्जा करना था।

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केस की पृष्ठभूमि और मुख्य आरोप

सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत के अनुसार, AJL को कांग्रेस पार्टी ने समय-समय पर 90.25 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। यह कर्ज कथित रूप से रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1950 के प्रावधानों का उल्लंघन करता था, क्योंकि इस कानून के तहत कोई राजनीतिक दल किसी कंपनी को कर्ज नहीं दे सकता।

2010 में, जब AJL कर्ज चुकाने में असमर्थ थी, तब यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) नामक एक नई कंपनी बनाई गई। इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38% हिस्सेदारी थी, जबकि शेष 24% हिस्सेदारी कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के पास थी।

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स्वामी ने दावा किया कि YIL ने मात्र 50 लाख रुपये का भुगतान करके AJL की पूरी हिस्सेदारी हासिल कर ली, जिसके परिणामस्वरूप AJL की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्तियां YIL के नियंत्रण में आ गईं। इन संपत्तियों में दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस जैसी प्रमुख इमारतें शामिल थीं। स्वामी ने इसे धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला करार दिया, जिसमें कांग्रेस पार्टी के फंड का दुरुपयोग कर संपत्तियों पर कब्जा किया गया।

जांच की शुरुआत और ED की भूमिका

सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत के बाद, 2014 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। ED का उद्देश्य यह पता लगाना था कि क्या AJL और YIL के बीच हुए लेनदेन में कोई वित्तीय अनियमितता या धन शोधन हुआ था। जांच के दौरान, ED ने दावा किया कि YIL ने AJL की संपत्तियों को हासिल करने के लिए गलत तरीकों का सहारा लिया।

ED की जांच में कई महत्वपूर्ण बिंदु सामने आए...

कर्ज का हस्तांतरण: कांग्रेस पार्टी द्वारा AJL को दिया गया 90.25 करोड़ रुपये का कर्ज YIL को हस्तांतरित कर दिया गया, जिसके बदले YIL को AJL की 99% हिस्सेदारी मिली।

संपत्तियों का मूल्य: AJL की संपत्तियों की कीमत 2,000 करोड़ रुपये से अधिक थी, लेकिन YIL ने इसके लिए केवल 50 लाख रुपये का भुगतान किया।

फर्जी लेनदेन: ED ने आरोप लगाया कि YIL और AJL ने फर्जी किराए, विज्ञापनों और दान के नाम पर 85 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का हेरफेर किया।

ED ने 2021 में इस मामले में औपचारिक जांच तेज की और 2022 में सोनिया गांधी और राहुल गांधी से कई दौर की पूछताछ की। सोनिया गांधी से 11 घंटे और राहुल गांधी से 50 घंटे तक पूछताछ की गई। इसके अलावा, कांग्रेस के अन्य नेताओं जैसे मल्लिकार्जुन खड़गे, पवन बंसल, डी.के. शिवकुमार और उनके भाई डी.के. सुरेश से भी बयान दर्ज किए गए।

चार्जशीट और हाल के घटनाक्रम

हाल ही में, अप्रैल 2025 में, ED ने नेशनल हेराल्ड केस में एक चार्जशीट दाखिल की, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नाम शामिल हैं। इस चार्जशीट में ED ने दावा किया कि YIL और AJL के बीच हुए लेनदेन में 988 करोड़ रुपये की आपराधिक आय का लॉन्ड्रिंग हुआ। इसमें दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में AJL की 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां और 90.2 करोड़ रुपये के शेयर शामिल हैं।

ED ने 11 अप्रैल 2025 को दिल्ली, मुंबई और लखनऊ के संपत्ति रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर इन संपत्तियों पर कब्जे की प्रक्रिया शुरू की। मुंबई के हेराल्ड हाउस में जिंदल साउथ वेस्ट प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को भी नोटिस भेजा गया, जिसमें कहा गया कि वे किराए की राशि अब ED को जमा करें। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 की धारा 8 के तहत की गई।

इस केस में आरोपी कौन-कौन हैं?

इस मामले में निम्नलिखित व्यक्तियों और संस्थाओं को आरोपी बनाया गया है...

सोनिया गांधी: YIL की प्रमुख शेयरधारक और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष।

राहुल गांधी: YIL के डायरेक्टर और 38% शेयरधारक।

मोतीलाल वोरा (अब दिवंगत): कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और YIL के शेयरधारक।

ऑस्कर फर्नांडीस (अब दिवंगत): कांग्रेस नेता और YIL के शेयरधारक।

सुमन दुबे: पत्रकार और YIL के निदेशक।

सैम पित्रोदा: टेक्नोक्रेट और YIL से जुड़े व्यक्ति।

यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL): AJL की हिस्सेदारी हासिल करने वाली कंपनी।

एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL): नेशनल हेराल्ड अखबार की प्रकाशक कंपनी।

मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस की मृत्यु हो चुकी है, इसलिए अब मुख्य आरोपी सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा हैं।

जांच एजेंसियां और चार्जशीट

1. ED (इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट) की भूमिका

  • ED ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच की।
  • 2022 में, ED ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी के घरों पर छापेमारी की और उनसे पूछताछ की।

हालिया अपडेट (2024): ED ने दिल्ली की एक विशेष अदालत में चार्जशीट (आरोप पत्र) दाखिल की है, जिसमें राहुल गांधी, सोनिया गांधी और कांग्रेस के कई अन्य नेताओं के नाम शामिल हैं।

2. CBI (केंद्रीय जांच ब्यूरो) की जांच

  • CBI ने भी इस मामले में धोखाधड़ी और संपत्ति हड़पने के आरोपों पर जांच की थी।
  • 2015 में, CBI ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YI) नामक कंपनी के खिलाफ केस दर्ज किया, जिस पर आरोप था कि इस कंपनी ने नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों को अवैध तरीके से हासिल किया।

किसने केस दर्ज कराया?

इस मामले की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और वकील सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा की गई थी। उन्होंने दिल्ली की एक अदालत में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कांग्रेस नेताओं ने नेशनल हेराल्ड अखबार की संपत्तियों का गैरकानूनी उपयोग किया और करोड़ों रुपये का घोटाला किया।

आरोप क्या हैं?

संपत्ति का अवैध हस्तांतरण

  • आरोप है कि कांग्रेस नेताओं ने नेशनल हेराल्ड अखबार की संपत्तियों को यंग इंडियन कंपनी के नाम पर ट्रांसफर कर दिया, जिसमें उनका नियंत्रण था।
  • यह कार्य कंपनी अधिनियम और आयकर कानूनों का उल्लंघन माना जा रहा है।

धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग)

  • ED का दावा है कि करोड़ों रुपये की अवैध लेनदेन हुई और काले धन को सफेद बनाने की कोशिश की गई।

ऋण की धोखाधड़ी

  • कांग्रेस पार्टी ने अखबार को दिए गए ऋण का उपयोग यंग इंडियन कंपनी को ट्रांसफर कर दिया, जो कि एक गैर-कानूनी लेनदेन माना जा रहा है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

कांग्रेस पार्टी का पक्ष

कांग्रेस ने आरोपों को "राजनीतिक प्रतिशोध" बताया है। राहुल गांधी ने कहा कि "यह मोदी सरकार द्वारा विपक्ष को डराने की कोशिश है।"  पार्टी का दावा है कि नेशनल हेराल्ड का मामला पुराना है और इसे राजनीतिक रूप से प्रचारित किया जा रहा है।

भाजपा का पक्ष

भाजपा नेता अनुग्रह ठाकुर और रविशंकर प्रसाद ने कहा कि "कानून अपना काम कर रहा है, कांग्रेस को जवाब देना चाहिए।" सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि "यह भ्रष्टाचार का मामला है, न कि राजनीतिक दमन।"

आगे की कार्रवाई

अदालत ने ED की चार्जशीट को स्वीकार कर लिया है। अब आरोपियों को जवाब देना होगा और यदि दोष सिद्ध होता है, तो जुर्माना और सजा का प्रावधान है। कांग्रेस नेता कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

कांग्रेस ने लगाए यह आरोप

कांग्रेस पार्टी ने इस मामले को राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा करार दिया है। पार्टी का कहना है कि नेशनल हेराल्ड एक गौरवशाली अखबार है, जो स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा रहा है।

कांग्रेस नेताओं, जैसे रणदीप सिंह सुरजेवाला और अभिषेक मनु सिंघवी, ने दावा किया है कि AJL की संपत्तियों का कोई हस्तांतरण नहीं हुआ और YIL केवल अखबार को पुनर्जनन के लिए बनाई गई थी। उन्होंने ED की कार्रवाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और BJP की साजिश बताया, जिसका मकसद कांग्रेस नेताओं को बदनाम करना है।

फिर गरमाया मामला, अदालत में चुनौती देगी कांग्रेस!

नेशनल हेराल्ड केस में कई कानूनी लड़ाइयां लड़ी गई हैं। 2015 में, सोनिया और राहुल गांधी को पटियाला हाउस कोर्ट ने जमानत दे दी थी। 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया, लेकिन आरोपियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट दी। 2018 में, दिल्ली हाई कोर्ट ने AJL को हेराल्ड हाउस खाली करने का आदेश दिया, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित कर दिया।

हाल के ED के कदमों ने इस मामले को फिर से गरमा दिया है। चार्जशीट और संपत्तियों पर कब्जे की प्रक्रिया से यह स्पष्ट है कि जांच अब निर्णायक मोड़ पर है। हालांकि, कांग्रेस ने इसे अदालत में चुनौती देने का ऐलान किया है।

नेशनल हेराल्ड केस एक जटिल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामला है, जो भारत की दो प्रमुख पार्टियों—कांग्रेस और BJP—के बीच टकराव का प्रतीक बन चुका है। सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत से शुरू हुआ यह विवाद ED की जांच और हाल की चार्जशीट के साथ नए आयाम ले चुका है।

सोनिया और राहुल गांधी जैसे प्रमुख नेताओं का नाम इसमें शामिल होना इसे और भी चर्चा का विषय बनाता है। जहां ED इसे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला मानती है, वहीं कांग्रेस इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताती है। आने वाले समय में इस मामले का कानूनी और राजनीतिक परिणाम क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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