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"न भारत का हुआ न पाकिस्तान का, अब वो जाएं तो जाएं कहां ?"

फारूक अब्दुल्ला ने पीओके पर कहा कि यह प्रधानमंत्री का फैसला है और उनकी राय मानने के लिए तैयार नहीं होते। उन्होंने पीएम की जिम्मेदारियों को भी रेखांकित किया।

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Ajit Kumar Pandey
FAROOQ ABDULLAH
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नई दिल्ली, आईएएनएस ।जम्मू-कश्मीर की सियासत में फारूक अब्दुल्ला का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी पहचान हमेशा से चर्चा में रही है। अब्दुल्ला अपने बेबाक बयानों और तीखी आलोचनाओं के लिए जाने जाते हैं, खासकर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ। उनके बयान अक्सर विवादों को जन्म देते हैं, और उन्हें "जहर उगलने वाला" कहकर आलोचक निशाना साधते रहे हैं। 

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क्या पीओके को भारत वापस ले सकता है? इस सवाल पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, "यह देश के प्रधानमंत्री का फैसला होगा और इसमें फारूक अब्दुल्ला उनको कोई राय नहीं दे सकता है, क्योंकि वह हमारी राय मानने के लिए तैयार नहीं होते हैं।"

प्रधानमंत्री के हाथ में देश सुरक्षित होने के सवाल पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "अगर देश पीएम के हाथों में सुरक्षित नहीं होता, वह पीएम नहीं होते। आज प्रधानमंत्री को हर एक नागरिक का ख्याल रखना है और वो ऐसा कर भी रहे हैं।" 

पाकिस्तानियों को भारत से बाहर निकाले जाने पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "लोग पिछले 50 साल से यहां रह रहे हैं और यहां उन्होंने शादी की और उनके बच्चे भी यहीं हुए हैं। मगर, अब उनको पाकिस्तान भेज दिया जा रहा है, लेकिन पाकिस्तान उनको कबूल कर नहीं रहा है। 

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पाक नागरिकों पर बेबाक राय

वह लोग बॉर्डर पर बैठे हुए हैं और पाकिस्तान ने बॉर्डर बंद कर दिया है। वह लोग न यहां के रहे और न ही वहां के रहे। आप क्या इंसाफ कर रहे हैं? आप उनको कहां भेजेंगे। अगर पाकिस्तान लेने के लिए तैयार नहीं है तो वह क्या करेंगे। मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री को इसे लेकर फैसला करना पड़ेगा कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं।"

वक्फ मुद्दे को पहलगाम हमले से जोड़े जाने के आरोपों को उन्होंने निराधार बताया। उन्होंने कहा, "वक्फ का मुद्दा और पहलगाम की घटना दोनों अलग-अलग हैं। हम इन दोनों को एक साथ नहीं जोड़ सकते। वक्फ का मामला सुप्रीम कोर्ट में है और हम उम्मीद करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले को अच्छे तरीके से देखेगा।"

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पानी रोकने पर बोले फारूक अब्दुल्ला

साथ ही उन्होंने पानी रोकने के भारत सरकार के फैसले पर कहा, "हम इस ट्रीटी को लेकर कई सालों से कह रहे हैं कि इसको री-नेगोशिएट करना चाहिए। हम उस पानी से पावर तो बना रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उनके लोग आकर यहां देखते हैं। पानी हमारा है और हम लोगों का भी इस पर पूरा हक है। हमारे यहां पहले से ही पानी की कमी है और जम्मू में भी पानी की कमी है। आज मैं समझता हूं कि बेहतरीन वक्त है, इस पानी के मसले पर काम किया जाए, ताकि जम्मू-कश्मीर को पानी मिले। हमारा ही पानी और हम लोग ही इस्तेमाल नहीं करते हैं। अब इस ट्रीटी को री-नेगोशिएट करना पड़ेगा।"

फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा, "अभी उंगलियां उठाने का वक्त नहीं है, इससे भारत मजबूत नहीं होगा, क्योंकि दोनों मुल्क लड़ाई की तरफ बढ़ रहे हैं। इस मामले के शांत होने के बाद जब हम उन्हें पकड़ लेंगे, तो कमीशन बैठना चाहिए और इस पर बात होनी चाहिए कि किसकी गलती है। मेरा मानना है कि किसी पर इल्जाम लगाने की जरूरत नहीं है बल्कि एक्शन होना चाहिए।"

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जाति जनगणना पर क्या बोले...

जाति जनगणना के सवाल पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जाति जनगणना बहुत अच्छी बात है, दलित कितने हैं, मुसलमान कितने हैं, सिख कितने हैं। सबको पता लगेगा और यह देश सबका है। यह दुनिया को पता लगेगा कि भारत कई रंगों का देश है और इस रंग में कितने लोग रहते हैं। इसकी मांग तो बहुत वक्त से है और जाति जनगणना होनी चाहिए। 

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