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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत मौसम विभाग ने अपनाया 'भारत फोरकास्ट सिस्टम'। अब पंचायत स्तर तक मिलेगा मौसम का अपडेट, किसानों से लेकर आम नागरिक तक को मिलेगा बड़ा फायदा!
भारत मौसम विभाग (IMD) ने 'भारत फोरकास्ट सिस्टम' (BFS) को लागू किया है, जिससे अब मौसम की भविष्यवाणी पंचायत स्तर तक की जा सकेगी। यह सिस्टम 3 से 7 दिन की शॉर्ट व मीडियम टर्म फोरकास्ट देगा, जिससे ग्रामीण भारत को मिलेगा बड़ा लाभ।
भारत मौसम विभाग (IMD) ने 26 मई 2025 को एक बड़ा ऐलान करते हुए ‘भारत फोरकास्ट सिस्टम’ (Bharat Forecast System - BFS) को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया है। यह अत्याधुनिक प्रणाली देशभर के गांव-गांव तक बारिश और मौसम से जुड़ी जानकारी को ज्यादा सटीकता से पहुंचाएगी। खास बात यह है कि अब यह सिस्टम पंचायत स्तर तक मौसम का अलर्ट दे सकेगा, जो पहले सिर्फ ब्लॉक स्तर तक सीमित था।
कैसे काम करता है भारत फोरकास्ट सिस्टम?
भारत फोरकास्ट सिस्टम को भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे ने विकसित किया है, जो पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अधीन आता है। BFS मॉडल पुराने 12 किलोमीटर की ग्रिड को घटाकर अब 6 किलोमीटर के ग्रिड में बांटता है, जिससे सटीकता चार गुना बढ़ जाती है।
इस तकनीक में 'ट्रायएंगुलर-क्यूबिक-ऑक्टाहेड्रल' (TCO) ग्रिड स्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया गया है, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ज्यादा रिजॉल्यूशन देता है—यही वो क्षेत्र हैं जहां मौसम में सबसे ज्यादा बदलाव होता है।
भारत बना पहला देश जिसने अपनाई इतनी हाई-रेजोल्यूशन प्रणाली
IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया, “भारत अब दुनिया का पहला देश है जो 6x6 किलोमीटर रिजॉल्यूशन पर ऑपरेशनल मौसम पूर्वानुमान प्रदान करेगा। पहले हम 5 दिन पहले तक ब्लॉक स्तर का पूर्वानुमान दे पाते थे, अब पंचायत स्तर पर भी ऐसा संभव हो सकेगा।”
यह प्रणाली खासतौर पर ग्रामीण किसानों, स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन एजेंसियों के लिए वरदान साबित होगी, जहां थोड़े से अंतर में भी मौसम की स्थिति भिन्न हो सकती है।
डेटा, AI और सुपरकंप्यूटिंग का कमाल
BFS की सफलता का सबसे बड़ा कारण है इसकी अत्याधुनिक कंप्यूटिंग ताकत। पुणे स्थित IITM में 'अर्का' नाम का हाई परफॉर्मेंस सिस्टम है, जिसमें 11.77 पेटाफ्लॉप्स की क्षमता और 33 पेटाबाइट्स स्टोरेज है। वहीं, दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF) में 'अरुणिका' नामक सिस्टम है, जिसकी क्षमता 8.24 पेटाफ्लॉप्स है।
साथ ही, AI और मशीन लर्निंग के लिए 1.9 पेटाफ्लॉप्स का अलग से डेडिकेटेड सिस्टम भी तैनात किया गया है। ये सब मिलकर BFS को इतना ताकतवर बनाते हैं कि यह 3 से 7 दिन की शॉर्ट व मीडियम टर्म भविष्यवाणी बेहद सटीकता से दे सकता है।
लंबे समय की भविष्यवाणी पर अभी भी सीमित असर
हालांकि यह सिस्टम अभी लंबे समय की भविष्यवाणी यानी एक महीने पहले की मौसम संबंधी जानकारी देने में ज्यादा कारगर नहीं है। इसके लिए अलग मॉडल्स का विकास किया जा रहा है। वहीं, अचानक आने वाले तेज आंधी-तूफान के लिए अलग से 34 डॉप्लर वेदर रडार लगाए जा रहे हैं, जो मौजूदा 53 रडारों में जुड़ेंगे।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
केंद्रीय विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, “यह पूरी तरह भारतीय तकनीक है। इसे भारतीयों ने बनाया है और इसका लाभ भी भारतीयों को ही मिलेगा। यह असली आत्मनिर्भरता का उदाहरण है।”
इस तकनीक से न केवल भारत को बल्कि अन्य उष्णकटिबंधीय देशों को भी लाभ मिलेगा, जो समान रूप से जटिल मौसमीय परिस्थितियों का सामना करते हैं।
किसानों के लिए संजीवनी, प्रशासन के लिए मार्गदर्शन
अब जब ग्रामीण क्षेत्रों में भी इतनी बारीकी से मौसम की जानकारी मिलने लगेगी, तो यह किसानों को समय पर फसल की बुआई, कटाई और बचाव के उपाय करने में बेहद मददगार होगा। साथ ही, प्रशासन भी किसी आपदा की स्थिति में पहले से तैयारी कर सकेगा।
मौसम की समझ अब गांव-गांव तक
भारत मौसम विभाग की यह पहल न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से एक क्रांतिकारी कदम है, बल्कि यह ग्रामीण भारत को मौसम से होने वाले नुकसान से बचाने की दिशा में एक अहम मोड़ है। पंचायत स्तर तक पूर्वानुमान की सुविधा भारत को मौसम विज्ञान के क्षेत्र में विश्व पटल पर अग्रणी बना रही है।
क्या आप मानते हैं कि यह सिस्टम ग्रामीण भारत के लिए गेमचेंजर साबित होगा? नीचे कमेंट करके बताएं!
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