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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः कुछ अरसा पहले दिल्ली के दो आईएएस अफसरों की कहानी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही थी। दोनों का तबादला जम्मू कश्मीर में किया गया था। लेकिन वो वहां जाने से गुरेज कर रहे थे। महीनों तक वो बेवजह की छुट्टियां लेकर नई पोस्टिंग से बचते रहे। गृह मंत्री अमित शाह तक ये मामला पहुंचा तो उन्होंने साफ कर दिया कि छुट्टियां कितनी भी ले लो लेकिन जाना तो वहीं पड़ेगा। इस सारे मामले में एक बात जो निकलकर सामने आई वो थी कि सरकारी अफसर (ब्यूरोक्रेट) कश्मीर की पोस्टिंग मिलते ही सकते में आ जाते हैं।
मप्र हाईकोर्ट के जज को भेजा गया था कश्मीर
हालांकि ये बात केवल ब्यूरोक्रेट्स तक सीमित नहीं है। इसमें न्यायिक अधिकारी भी बराबर के शामिल हैं। कश्मीर की पोस्टिंग मिलते ही उनको ऐसे ऐसे बहाने याद आने लगते हैं जो शायद पहले उनको भी नहीं पता थे। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक जज के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।
बेटी का जिक्र कर करने लगे तबादले की मांग
मध्य प्रदेश के जस्टिस अतुल श्रीधरन को अप्रैल 2023 में मध्य प्रदेश से जम्मू और कश्मीर स्थानांतरित कर दिया गया था। लेकिन जैसे ही तबादला हुआ वो कालेजियम के सामने तर्क रखने लगे कि उन्हें फिर से क्यों वापस भेजा जाए। जस्टिस ने स्वयं अपनी बेटी के मध्य प्रदेश में वकालत शुरू करने के आधार पर स्थानांतरण की मांग की थी। हालांकि उनकी बार बार की डिमांड से टाप कोर्ट के जज भी आजिज आ गए। सुप्रीम कोर्ट कालेजियम ने सोमवार को अतुल श्रीधरन का छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में तबादला करने की सिफारिश की। अब गेंद सरकार के पाले में है। सब कुछ ठीक रहे तो श्रीधरन मप्र तो नहीं पर इसके बेहद नजदीक पहुंच ही जाएंगे। छत्तीसगढ़ पहले मप्र का ही हिस्सा था।
2016 में हाईकोर्ट के जज बने थे अतुल श्रीधरन
कालेजियम ने 25 और 26 अगस्त को हुई अपनी बैठकों में यह निर्णय लिया। जस्टिस श्रीधरन 1992 में दिल्ली में वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम के चैंबर में शामिल हुए थे। 1997 तक वो उनके ही साथ रहे।
उन्होंने 2001 में इंदौर जाने से पहले 1997 से 2000 तक दिल्ली में स्वतंत्र रूप से वकालत की। वरिष्ठ अधिवक्ता सत्येंद्र कुमार व्यास के साथ मिलकर वो काम करते रहे। उन्होंने मप्र हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में मध्य प्रदेश राज्य के लिए पैनल एडवोकेट और सरकारी वकील के रूप में भी काम किया। उन्हें 7 अप्रैल, 2016 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया। वो मार्च 2018 में परमानेंट हुए।
Atul Shridharan, MP High Court, Jammu and Kashmir, Amit Shah