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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । तमिलनाडु राज्य का दावा- केंद्र ने रोकी 2,291 करोड़ की शिक्षा राशि। केंद्र की चुप्पी पर भड़की डीएमके, सुप्रीम कोर्ट में ठोंकी याचिका। बच्चों की पढ़ाई पर असर, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ से जोड़ने पर ऐतराज़। अब उठ रहा सवाल- क्या शिक्षा फंड पर भी राजनीति हो रही है?
तमिलनाडु सरकार ने केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि केंद्र ने समग्र शिक्षा योजना के तहत राज्य को मिलने वाली 2,291 करोड़ रुपये की राशि जारी नहीं की। डीएमके ने इसे बच्चों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ बताया है और आरोप लगाया कि इस राशि को केंद्र सरकार जानबूझकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) से जोड़कर रोके हुए है, जबकि यह कानूनन और नैतिक रूप से गलत है।
क्या है समग्र शिक्षा योजना और विवाद की जड़?
समग्र शिक्षा योजना भारत सरकार की एक प्रमुख स्कीम है, जिसके तहत राज्यों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए फंड दिया जाता है। लेकिन तमिलनाडु सरकार का कहना है कि उन्हें इस योजना के तहत मिलने वाली फंडिंग पिछले कई महीनों से अटकी हुई है। राज्य का यह भी दावा है कि फंड रोकने का कारण राज्य की NEP को न अपनाने की नीति है।
डीएमके का सीधा आरोप: बच्चों के भविष्य से खेल रही है केंद्र सरकार
डीएमके प्रवक्ता सरवनन अन्नादुरई ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, “शिक्षा एक मौलिक अधिकार है और उसे किसी भी राजनीतिक एजेंडे से जोड़ना असंवैधानिक है। यह पैसा राज्य की स्कूली व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए है, न कि किसी नई नीति को लागू करने के लिए।” उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार संविधान के संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रही है।
#WATCH | Chennai, Tamil Nadu | Tamil Nadu Government has filed a petition before the Supreme Court against the Union Government for allegedly withholding funds under the Samagira Sikha Scheme
— ANI (@ANI) May 21, 2025
DMK spokesperson Saravanan Annadurai says, "The Tamil Nadu Government has filed a suit… pic.twitter.com/LgPgffs3ZO
राजनीति बनाम शिक्षा: असल नुकसान किसका?
सवाल यह उठता है कि इस तरह की खींचतान का असर आखिर किस पर पड़ता है? जवाब साफ है- स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चे, शिक्षक और शिक्षा व्यवस्था। अगर फंड जारी नहीं हुआ तो कई स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव हो सकता है। ऐसे में, शिक्षा का अधिकार सिर्फ कागज़ों में रह जाएगा।
क्या सुप्रीम कोर्ट से मिलेगा समाधान?
अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं। तमिलनाडु सरकार ने कोर्ट से गुज़ारिश की है कि वह केंद्र सरकार को तुरंत फंड रिलीज़ करने का आदेश दे। अगर अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लिया, तो यह मामला अन्य राज्यों के लिए भी नज़ीर बन सकता है, जो NEP के खिलाफ हैं।
राज्यों और केंद्र के बीच बढ़ता तनाव
यह मामला केवल तमिलनाडु तक सीमित नहीं है। केरल और कुछ अन्य राज्य भी NEP पर अपनी आपत्ति दर्ज करा चुके हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और अधिक राजनीतिक रंग ले सकता है, जो 2026 के चुनावी माहौल को भी प्रभावित कर सकता है।
क्या शिक्षा के पैसों पर भी राजनीति होनी चाहिए? यह सवाल आज हर माता-पिता और शिक्षक के मन में उठ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतज़ार है, लेकिन तब तक शिक्षा के इस संघर्ष पर देश की निगाहें टिकी रहेंगी।
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