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कतर का डोनाल्ड ट्रंप को तोहफा, जानें क्या छुपा रहा है ‘एयर फोर्स वन’ विवाद?

कतर ने ट्रंप को 400 मिलियन डॉलर (लगभग 3300 करोड़ रुपये) की कीमत वाला एक बोइंग 747 विमान तोहफे में देने का प्रस्ताव रखा है। ट्रंप इस विमान को राष्ट्रपति के आधिकारिक विमान “एयर फोर्स वन” के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं।

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Ajit Kumar Pandey
QATAR AND US GIFT NEWS
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला है कतर की शाही परिवार द्वारा दी गई एक शानदार पेशकश का। कतर ने ट्रंप को 400 मिलियन डॉलर (लगभग 3300 करोड़ रुपये) की कीमत वाला एक बोइंग 747 विमान तोहफे में देने का प्रस्ताव रखा है।

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ट्रंप इस विमान को राष्ट्रपति के आधिकारिक विमान “एयर फोर्स वन” के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं। ट्रंप ने इस तोहफे पर हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “कोई मुफ्त में इतना शानदार विमान दे रहा है, तो मैं इतना बेवकूफ नहीं कि इसे ठुकरा दूं।” लेकिन यह “मुफ्त” तोहफा अब अमेरिका में कानूनी, नैतिक और सुरक्षा के सवालों के घेरे में आ गया है। डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स, दोनों ही इस प्रस्ताव पर सवाल उठा रहे हैं।

ऐतिहासिक उदाहरण और संवैधानिक नियम

यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति को विदेशी सरकार से महंगा तोहफा मिलने की बात हो। साल 1839 में राष्ट्रपति मार्टिन वैन ब्यूरन को मोरक्को और ओमान के सुल्तानों ने शेर, मोती और घोड़े भेंट किए थे। लेकिन वैन ब्यूरन ने इन तोहफों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने अमेरिकी संविधान का हवाला देते हुए कांग्रेस से सलाह मांगी। नतीजा यह हुआ कि शेर चिड़ियाघर में भेजे गए और मोती स्मिथसोनियन म्यूजियम में प्रदर्शित किए गए।

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अमेरिकी संविधान का ‘एमोल्युमेंट्स क्लॉज’ स्पष्ट रूप से कहता है कि कोई भी सरकारी पदाधिकारी, जिसमें राष्ट्रपति भी शामिल हैं, बिना कांग्रेस की अनुमति के किसी विदेशी सरकार या शासक से कोई तोहफा स्वीकार नहीं कर सकता। ट्रंप का तर्क है कि अगर यह विमान रक्षा विभाग को सौंपा जाता है, तो यह नियम उन पर लागू नहीं होगा। लेकिन कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह तर्क कमजोर है और इस मामले में कांग्रेस की मंजूरी जरूरी होगी।

सुरक्षा चिंताएं और विशेषज्ञों की राय

राष्ट्रपति की सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ इस प्रस्ताव को लेकर चिंतित हैं। सुरक्षा विशेषज्ञ गैरेट ग्राफ ने चेतावनी दी है कि किसी विदेशी सरकार के नियंत्रण में रहे विमान को “एयर फोर्स वन” के रूप में इस्तेमाल करना जोखिम भरा हो सकता है। उन्होंने इसे “बुद्धिमानी नहीं, बल्कि खतरनाक” करार दिया। विमान में साइबर जासूसी, ट्रैकिंग डिवाइस या अन्य सुरक्षा खामियां हो सकती हैं, जो राष्ट्रपति की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती हैं।

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ट्रंप के मध्य पूर्वी कारोबारी हित

इस प्रस्ताव का समय भी सवालों के घेरे में है। ट्रंप का पारिवारिक व्यवसाय मध्य पूर्व में तेजी से फैल रहा है। सऊदी अरब में ट्रंप टॉवर, कतर में गोल्फ कोर्स और यूएई में 2 अरब डॉलर की क्रिप्टो डील जैसे प्रोजेक्ट्स चर्चा में हैं। विपक्षी डेमोक्रेट्स का आरोप है कि यह तोहफा ट्रंप के कारोबारी हितों से जुड़ा हो सकता है। डेमोक्रेट सांसद डैन गोल्डमैन ने इसे “ट्रंप की भ्रष्ट मानसिकता का नया सबूत” बताया और कहा कि वह राष्ट्रपति पद का इस्तेमाल निजी लाभ के लिए कर रहे हैं।

रिपब्लिकन्स भी असहज

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आश्चर्य की बात है कि इस मामले में ट्रंप के अपने दल के नेता भी उनके साथ नहीं दिख रहे। पूर्व रिपब्लिकन स्पीकर केविन मैकार्थी ने कहा, “अमेरिका के पास अपने विमान बनाने की क्षमता है। हमें किसी विदेशी सरकार से मुफ्त में कुछ लेने की जरूरत नहीं।” यह बयान ट्रंप के “अमेरिका फर्स्ट” के नारे के उलट है, जिसके तहत उन्होंने विदेशी व्यापार और प्रभाव को कम करने की बात कही थी।

जनता और राजनीतिक माहौल

यह विवाद अमेरिकी जनता के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है। सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर तरह-तरह की राय दे रहे हैं। कुछ लोग ट्रंप के इस रवैये को उनकी “बिजनेस माइंडसेट” का हिस्सा मानते हैं, तो कुछ इसे नैतिकता और राष्ट्रीय हितों के खिलाफ बताते हैं। ट्रंप के समर्थक इसे एक स्मार्ट डील के रूप में देख रहे हैं, लेकिन उनके विरोधी इसे “राष्ट्रपति पद की गरिमा का अपमान” बता रहे हैं।

क्या होगा अगला कदम?

अब सवाल यह है कि इस प्रस्ताव का भविष्य क्या होगा। क्या कांग्रेस इस तोहफे को मंजूरी देगी? या फिर ट्रंप इसे स्वीकार करने का कोई और रास्ता निकालेंगे? सुरक्षा एजेंसियां इस विमान की गहन जांच की मांग कर रही हैं। अगर यह विमान स्वीकार किया जाता है, तो यह अमेरिकी इतिहास में एक अनोखा उदाहरण होगा। लेकिन अगर इसे ठुकराया गया, तो यह ट्रंप के लिए एक राजनीतिक झटका हो सकता है।

इस पूरे प्रकरण ने न केवल अमेरिका, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी लोगों का ध्यान खींचा है। कतर का यह “शाही तोहफा” अब सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि नैतिकता, सुरक्षा और राजनीति का एक जटिल सवाल बन गया है।

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