Advertisment

पाकिस्तानी गोलाबारी से तबाह गांव पहुंचे राहुल गांधी, पीड़ित परिवारों से मिले

राहुल गांधी ने पुंछ के गोलाबारी प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर सुरक्षा, राहत और पुनर्वास की ज़रूरतों को उठाया। दौरा सियासी नहीं, मानवीय बताया जा रहा है।

author-image
Ajit Kumar Pandey
RAHUL GANDHI POONCH
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । जम्मू-कश्मीर के पुंछ में राहुल गांधी का दौरा – संघर्ष के साये में बसी ज़िंदगी की सच्चाई से रूबरू हुए। आंखों में आंसू, दिल में सवाल लिए पहुंचे कांग्रेस नेता।

Advertisment

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले का दौरा किया, जहां हाल ही में पाकिस्तान की ओर से सीमा पार गोलीबारी में कई परिवार प्रभावित हुए हैं। राहुल ने जमीनी हकीकत का जायजा लिया और पीड़ितों से सीधा संवाद किया। इस दौरे को सियासी नहीं, मानवीय संवेदना की मिसाल बताया जा रहा है।

सांत्वना की राजनीति नहीं, ज़मीनी हकीकत में राहुल

राहुल गांधी का यह दौरा सिर्फ़ एक नेता की यात्रा नहीं, बल्कि संकट की घड़ी में साथ खड़े होने का संदेश था। पुंछ के सीमावर्ती गांवों में जब वे पहुंचे, तो आंखों में डर, होठों पर शिकायतें और दिलों में उम्मीद लिए सैकड़ों लोग उनका इंतज़ार कर रहे थे।

Advertisment

राहुल गांधी ने सीमा पार गोलीबारी से घायल बच्चों, विधवाओं और बेघर हुए परिवारों से व्यक्तिगत मुलाकात की। उनका ये संवाद राजनीति से परे, एक मानवीय प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

राहुल बोले: "सीमा पर गोलियां नहीं, शांति चाहिए"

राहुल गांधी ने मीडिया से कहा, "यह सिर्फ़ सीमा की सुरक्षा का सवाल नहीं है, बल्कि सीमावर्ती लोगों की ज़िंदगी का भी सवाल है। इन परिवारों को न सुरक्षा मिल रही है, न सम्मान।"

Advertisment

उन्होंने सरकार से अपील की कि इन गांवों को बंकर, स्वास्थ्य सुविधा और पुनर्वास योजना जल्द उपलब्ध कराई जाए।

पुंछ में डर की ज़िंदगी, राहत का इंतज़ार

Advertisment

सीमावर्ती पुंछ में हर रात गोलियों की आवाज़, बच्चों की चीखें और अधूरी नींदों से गुजरती है। लोग अपने खेत छोड़कर स्कूलों में पनाह लेने को मजबूर हैं। राहुल गांधी का यह दौरा इन आवाज़ों को दिल्ली तक पहुंचाने का जरिया बन सकता है।

राजनीति नहीं, राहत की ज़रूरत

स्थानीय लोगों का कहना है कि "हमें नेताओं के भाषण नहीं, हमारे घर चाहिए। हमारे बच्चों के लिए स्कूल चाहिए, न कि बंकर।"

राहुल गांधी का यह मानवीय रुख भविष्य की राजनीति की नई दिशा बन सकता है।

क्या बदलेगा कुछ? या फिर दौरे तक सीमित रह जाएगी संवेदना? अब सवाल है – क्या इस दौरे के बाद सरकार हरकत में आएगी? क्या सीमावर्ती गांवों की सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य पर नीति बदलेगी?

क्या आप मानते हैं कि राहुल गांधी का यह दौरा केवल राजनीति नहीं, एक ज़रूरी पहल है? कमेंट में अपनी राय ज़रूर दें। 

rahul gandhi | jammu kashmir |

jammu kashmir rahul gandhi
Advertisment
Advertisment