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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । 14 साल की उम्र में वैभव सूर्यवंशी ने जिस तरह का कोहराम मचाया उससे समूचा क्रिकेट जगत हैरान है। क्रिकेट के दिग्गज पहले से मान रहे थे कि ये लड़का कुछ खास है लेकिन वैभव ने उनकी सोच से कहीं ज्यादा आगे जाकर खुद को जिस तरह से साबित किया वो हैरान करने वाला है। वैभव ने 35 गेंदों पर सैंकड़ा ठोककर दिखा दिया कि वो सबसे अनूठा है। इतिहास को टटोलें तो कम उम्र में ऐसा ही कारनामा क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर और चैंपियन आलराउंडर कपिल देव ने भी किया था। दोनों को जब टीम में जगह मिली तो उनसे किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं थी लेकिन उन्होंने भी अपने ही अंदाज में विरोधी टीमों को तहस नहस कर दिया।
ध्यान रहे कि मौजूदा IPL सीजन में राजस्थान रायल्स और गुजरात टाइटंस के बीच खेला गए मुकाबले में वैभव सूर्यवंशी ने सिर्फ 35 गेंदों में शतक ठोक दिया। खास बात है कि उनकी ये इनिंग ऐसे मैच में आई जब करो या मरो की स्थिति बन रही थी। गुजरात टाइटंस ने राजस्थान रायल्स के सामने 209 रनों का पहाड़ जैसा लक्ष्य रखा था। माना जा रहा था कि मैच रोमांचक होने वाला है। लेकिन 14 साल के वैभव ने 17 गेंद खेलकर ही पासा पलट दिया। इस दौरान वो 50 रन ठोक चुके थे। वैभव यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने अपने कातिलाना अंदाज में बल्लेबाजी करते हुए 35 गेंदों में शतक ठोक दिया। यह किसी भी भारतीय का आईपीएल इतिहास में सबसे तेज शतक है।
सचिन तेंदुलकर ने जब कादिर को कर दिया था भौचक
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर की डेब्यू सीरिज 1989 में थी। उनको पाकिस्तान के दौरे पर ले जाया गया था। वो महज 16 साल के थे। घरेलू क्रिकेट में वो लाजवाब रहे थे। लेकिन पाकिस्तान की सीरिज काफी टफ मानी जा रही थी। वजह था उनका बालिंग अटैक। पेस अटैक की बात करें तो इमरान खान के साथ स्विंग के सुल्तान के नाम से मशहूर वसीम अकरम और उस समय दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज माने जा रहे वकार यूनुस उनकी टीम थे। स्पिन का दारोमदार अब्दुल कादिर पर था।
वकार यूनुस ने सचिन की नाक पर मारी थी बाउंसर
सचिन तेंदुलकर को पाकिस्तान के खिलाफ खेलना का मौका टेस्ट मैच में मिला। पहले ही मैच में वो कुछ खास नहीं कर पाए। वकार की तेज बाउंसर उनके चेहरे पर लगी और खून बहने लगा। लगा कि ये उनका पहला और आखिरी मैच होगा। टीम मैनेजमेंट चाहता था कि सचिन रिटायर्ट हर्ट होकर कुछ देर के लिए पैवेलियन में आ जाएं। लेकिन उन्होंने बोला, मैं खेलेगा। चोट लगने के बाद भी वो बल्लेबाजी करते रहे। स्कोर बड़ा नहीं बना सके लेकिन उनके हौसले की सभी ने तारीफ की।
एक्जिबिशन मैच में कादिर को छक्के मारकर मचा दिया था कोहराम
सचिन पहली बार स्टार या कहें सुपर स्टार एक ऐसे मैच से बने जो वास्तव में आईसीसी के खाते में दर्ज नहीं होना था। ये वन डे मैच था। 16 दिसंबर 1989 को ये मैच पेशावर में खेला गया। ये वन डे मैच था लेकिन खराब रोशनी की वजह से इसे एक्जिबिशन मैच में तब्दील कर दिया गया। पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी की और 20 ओवरों में 157 रन बनाए। भारत की शुरुआत ठीक नहीं रही। जब तेंदुलकर क्रीज पर आए तब रन रेट आसमान पर था। उनके साथ विस्फोटक और सीरिज में भारत के कप्तान क्रिस श्रीकांत खेल रहे थे। तेंदुलकर ने मैच जीतने की कोशिश के तहत मुश्ताक अहमद को आगे निकलकर छक्का मार दिया। उसके बाद कादिर बालिंग करने आए तो उन्होंने उनसे कहा कि वो उनकी गेंद को हिट करके दिखाएं। 16 साल के सचिन ने उसके बाद कादिर के ओवर में 4 छक्के मारे। भारत वो मैच 4 रनों से हार गया। लेकिन 18 बालों में 53 रन बनाकर सचिन ने दुनिया को दिखा दिया कि अभी वो बहुत कुछ करने वाले हैं। उस एक मैच ने सचिन को सुपस्टार बना दिया।
कपिल देव ने भी पाकिस्तान के खिलाफ मचाया था कोहराम
हालांकि वैभव सूर्यवंशी और सचिन तेंदुलकर के उलट डेब्यू मैच में कपिल देव कुछ ज्यादा ही उम्र के थे। पाकिस्तान के दौरे पर जब उन्होंने पहला मैच खेला तब उनकी उम्र 19 साल की थी। पहले टेस्ट मैच में वो कोई खास असर नहीं डाल पाए। दूसरा टेस्ट 27 नवंबर से लाहौर में खेला गया। इस टेस्ट से कपिल देव ने महान बनने की तरफ अपने कदम बढ़ाए थे। मैच की दूसरी पारी में पाकिस्तान खेलने आई तो माजिद खान और मुदस्सर नजर ओपनिंग करने आए। कपिल के हाथ में बाल थी। दोनों ओपनर्स ने हेलमेट नहीं लगा रखे थे। कपिल की पहली गेंद बाउंसर थी। माजिद खान गेंद की गति से इतना सहम गए कि उन्होंने अगली गेंद खेलने से पहले हेलमेट मंगाया। दूसरी गेंद उनके हेलमेट पर लगी। कपिल ने दिखाया कि विश्व क्रिकेट को उन्हें गंभीरता से लेना होगा। लेकिन अभी कहानी बाकी है।
नाइट वाचमैन के तौर पर गए थे, 2 ओवरों में ठोक दिए 43 रन
दूसरी पारी में भारत दोपहर बाद खेलने उतरी तो खेल खत्म होने से पहले जमे हुए बल्लेबाज चेतन चौहान और सुरिंदर अमरनाथ आउट हो गए। गुंडप्पा विश्वनाथ क्रीज पर थे। कप्तान विशन सिंह बेदी ने कपिल को नाइट वाचमैन के तौर पर भेजा। हिदायत थी कि रोककर खेलना है, क्योंकि 2 ओवर का खेल बाकी था। कपिल ने दोनों ओवर खेले। जब वो पैवेलियन लौटे तो 43 रन पर नाबाद थे। उनके तेवरों से सभी हतप्रभ थे। बेदी ने उनको वापस लौटने पर कहा कि रोकना था, हनुमान क्यों बन गए। नवजोत सिंह सिद्धू ने ये किस्सा कपिल शर्मा शो पर सुनाया तो कपिल का जवाब था रोकना आता ही नहीं था। उस मैच के बाद विश्व क्रिकेट को एक धाकड़ आलराउंडर मिला। cricket |
-शैलेंद्र गौतम