नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । सोलापुर की इंडस्ट्री में लगी आग ने आठ जिंदगियां निगल लीं। 17 घंटे तक जलती रही फैक्ट्री, चीख-पुकार से गूंजा इलाका। दमकलकर्मी भी झुलसे, पर बचाव कार्य में नहीं डगमगाए। फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों की भारी अनदेखी का शक। अब सवाल उठ रहा है- क्या सिस्टम सो रहा था?
17 घंटे की जद्दोजहद, 8 मजदूरों की मौत, लापरवाही की जांच शुरू
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के MIDC क्षेत्र में एक फैक्ट्री में लगी भीषण आग ने 8 मजदूरों की जान ले ली। आग पर काबू पाने में 17 घंटे लगे और इस दौरान कई दमकलकर्मी भी घायल हुए। हादसे के बाद फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों की अनदेखी और प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठ रहे हैं। घटना के बाद जांच शुरू हो गई है।
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में रविवार को एक भयावह हादसा हो गया। MIDC क्षेत्र की एक केमिकल इंडस्ट्री में सुबह आग लग गई, जो 17 घंटे तक धधकती रही। इस घटना में 8 मजदूरों की मौत हो गई जबकि कई अन्य घायल हो गए, जिनमें दमकल विभाग के कर्मी भी शामिल हैं। हादसे ने राज्यभर में सनसनी फैला दी है।
घटना के वक्त फैक्ट्री में 20 से ज्यादा लोग काम कर रहे थे। अचानक हुए धमाके और धुएं के गुबार के बाद भगदड़ मच गई। कुछ लोग बाहर निकलने में कामयाब रहे, लेकिन 8 कर्मचारी आग की चपेट में आ गए। दमकल विभाग के अधिकारी राकेश सालुंके ने बताया कि आग पर काबू पाने में 17 घंटे लग गए। बचाव अभियान के दौरान कई दमकलकर्मी भी झुलस गए।
सुरक्षा मानकों की अनदेखी?
स्थानीय लोगों और फैक्ट्री के पूर्व कर्मचारियों का आरोप है कि इस इंडस्ट्री में पहले भी छोटे-मोटे हादसे होते रहे हैं। वहां फायर सेफ्टी उपकरणों की हालत बेहद खराब थी। सवाल यह भी है कि क्या फैक्ट्री को सभी जरूरी सरकारी अनुमतियाँ मिली थीं या नहीं?
प्रशासन की सुस्ती पर सवाल
घटना के बाद राहत-बचाव कार्य में देर होने का आरोप भी प्रशासन पर लग रहा है। चश्मदीदों के मुताबिक, शुरुआती आधे घंटे तक कोई मदद नहीं पहुंची। दमकल की गाड़ियां दूर-दराज से बुलाई गईं, जिससे आग ने और विकराल रूप ले लिया।
क्या सिस्टम ने सबक नहीं सीखा?
इससे पहले भी महाराष्ट्र में भिवंडी, ठाणे और पुणे जैसी जगहों पर इसी तरह की आग की घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कई जानें जा चुकी हैं। बावजूद इसके इंडस्ट्रियल इलाकों में सेफ्टी ऑडिट को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।
जांच के आदेश, पर क्या बदलेगा कुछ?
राज्य सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं। लेकिन आम जनता का भरोसा अब टूट रहा है। हर हादसे के बाद वही जांच, वही बयान और फिर सबकुछ भुला दिया जाता है।
क्या आपको लगता है कि फैक्ट्रियों में लापरवाही की कीमत मजदूरों की जान से चुकाई जा रही है? नीचे कमेंट करें और अपनी राय जरूर दें।
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