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Supreme Court के वकीलों में सिर फुटोव्वल की नौबत, CJI तक पहुंचा मामला

SCBA में सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले सभी वकील शामिल हैं। इसके लगभग 10 हजार स्थायी सदस्य हैं और 12 हजार अस्थायी। SCAORA एडवोकेट्स ऑन-रिकॉर्ड से बनी एक संस्था है। इसमें लगभग 3 हजार सदस्य हैं।

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Shailendra Gautam
Supreme Court

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के दो धड़े आपस में उलझ गए हैं। इतना कि मामला सीजेआई बीआर गवई के पास तक जा पहुंचा है। दोनों धड़ों ने एक दूसरे पर उनके क्षेत्रों में अतिक्रमण का आरोप जड़ा है। फिलहाल गेंद सीजेआई के पाले में है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) में सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले सभी वकील शामिल हैं। इसके लगभग 10 हजार स्थायी सदस्य हैं और 12 हजार अस्थायी। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) एडवोकेट्स ऑन-रिकॉर्ड से बनी एक संस्था है, यानी वो वकील जो शीर्ष अदालत में मामले दायर करने के हकदार हैं। इसमें लगभग 3 हजार सदस्य हैं।  judiciary of india 

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SCBA के अध्यक्ष विकास सिंह ने लिखी चिट्ठी

SCBA ने SCAORA के कामकाज पर आपत्ति जताई है। SCBA के अध्यक्ष विकास सिंह ने 4 जून को भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई और सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों को एक पत्र लिखकर कहा है कि SCAORA अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा रहा है। विकास सिंह ने अपने पत्र में कहा कि हाल के दिनों में SCAORA ने सामान्य बुनियादी ढांचे, सुविधाओं को लेकर निर्देश जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट बार के सदस्यों से संबंधित मुद्दों पर भी संगठन पत्र जारी कर रहा है। ये विषय उनके अधिकार क्षेत्र में आते हैं। 

विकास सिंह ने कहा कि पूरे बार का प्रतिनिधित्व करने वाली मूल संस्था के रूप में यह SCBA की जिम्मेदारी है कि वह सिस्टम का वकीलों की चिंताओं को उठाकर सुधार की मांग करे। उन्होंने कहा कि SCBA को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन बनाम बीडी कौशिक फैसले से भी मान्यता मिली है। उन्होंने आगे कहा कि गोपाल झा बनाम सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट परिसर में चैंबरों के आवंटन के लिए SCBA की सदस्यता एक शर्त बनी हुई है। उनका कहना है कि SCAORA का सदस्य बनने के लिए SCBA की सदस्यता लेना अनिवार्य है। 

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SCAORA ने भी सीजेआई को पत्र लिखकर किया पलटवार

दिलचस्प बात यह है कि जिस दिन विकास सिंह ने चिट्ठी लिखी, उसी दिन SCAORA के अध्यक्ष विपिन नायर और सचिव निखिल जैन ने सीजेआई बीआर गवई और अन्य जजों को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि SCAORA के सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट परिसर में स्थित आयुष समग्र कल्याण केंद्र में जाने की अनुमति दी जाए। SCAORA ने अपने पत्र में कहा कि इस तरह की सुविधा का लाभ केवल जजों और न्यायालय के कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट के सिस्टम का एक अभिन्न अंग हैं। इसलिए उन्हें भी केंद्र तक समान रूप से पहुंच की अनुमति दी जानी चाहिए।

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