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महिला वकील को देखते ही जज का रूंध गया गला, जानिए वो क्यों हुए भावुक

वकील के हलफनामे के अनुसार उसके कॉलेज के दिनों के साथी ने चुपके से उनके अंतरंग पलों को रिकॉर्ड कर लिया था। सालों बाद तस्वीरें और वीडियो ऑनलाइन प्रसारित होने लगे।

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Shailendra Gautam
Karnataka High Court

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः मद्रास हाईकोर्ट में एक अजीबोगरीब नजारा देखने को मिला। एक मामले की सुनवाई के दौरान वकील को देखते ही जज का गला रूंध गया। भावुक जज बोले कि अगर आपकी जगह मेरी बेटी होती तो...। भावुक माहौल के बीच मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को आदेश दिया कि महिला वकील की निजी तस्वीरें और वीडियो ऑनलाइन प्रसारित होने से तत्काल रोके।

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वकील के साथी ने धोखे से उसकी तस्वीरें वायरल कीं

वकील के हलफनामे के अनुसार उसके कॉलेज के दिनों के साथी ने चुपके से उनके अंतरंग पलों को रिकॉर्ड कर लिया था। वर्षों बाद में तस्वीरें और वीडियो ऑनलाइन प्रसारित होने लगे। उसने 1 अप्रैल को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उसके पूर्व साथी और एक व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन का नाम था। 18 जून को उसने आईटी मंत्रालय को एक ज्ञापन देकर सामग्री को हटाने के लिए सभी उपलब्ध तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल करने का आग्रह किया।
सुनवाई के दौरान वकील अबुदु कुमार राजरथिनम ने तर्क दिया कि दिल्ली हाईकोर्ट के अप्रैल 2023 के आदेश के बावजूद मंत्रालय त्वरित कार्रवाई करने में विफल रहा। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि हमने अपनी महिलाओं को इस तरह की चोट से बचाने के लिए कोई व्यवस्था किए बिना ही इंटरनेट और सोशल मीडिया जैसे राक्षस पैदा कर दिए हैं। उन्होंने अदालत से तमिलनाडु पुलिस को केंद्र सरकार के साथ तालमेल बिठाकर ऐसी शिकायतें मिलने पर तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया।

सुनवाई के दौरान ही भावुक हो गए जज वेंकटेश

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जज एन आनंद वेंकटेश ने खुली अदालत में रुंधे हुए स्वर में कहा कि मैं बस यही सोच रहा था कि अगर यह महिला वकील मेरी बेटी होती तो क्या होता। उन्होंने कहा कि वह पीड़ित वकील से अपने चैंबर में मिलकर उसे सांत्वना देंगे, क्योंकि उन्हें खुद को तैयार करना होगा ताकि वे टूट न जाएं। जज वेंकटेश ने कहा कि याचिकाकर्ता की भीतर धैर्य उसके कानूनी प्रशिक्षण से आया है। उन्होंने कहा कि सौभाग्य से वह इस पेशे में है और उसे हम सभी का समर्थन है। उन मूक पीड़ितों का क्या होता है जो लड़ने का साहस नहीं जुटा पाते? उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के सम्मान के मौलिक अधिकार की रक्षा करना सरकार और अदालतों का संवैधानिक कर्तव्य है।

कोर्ट ने सरकार के साथ पुलिस को लगाई फटकार, कहा- वो करेंगे ठोस फैसला

अदालत ने डीजीपी को निर्देश दिया कि वो पुलिस अधिकारियों को अलर्ट करें और मंत्रालय के साथ तालमेल स्थापित करें ताकि आपराधिक शिकायत दर्ज होने पर ऐसी अश्लील सामग्री को तुरंत हटाया जा सके। जज ने यह भी कहा कि वह रिट को लंबित रखेंगे। वो मानते हैं कि ऐसे मामलों में कुछ पुख्ता उपाय करने की जरूरत है। जज ने मंत्रालय को 48 घंटों के भीतर तस्वीरों और वीडियो का पता लगाने, उन्हें ब्लॉक करने और हटाने का निर्देश दिया। 14 जुलाई तक ये रिपोर्ट तलब की है। अदालत ने तस्वीरों के वायरल होने और बार-बार अपलोड होने पर कहा  किमहिला बहुत मानसिक पीड़ा से गुज़र रही है।

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Madras High Court, Judges got emotional, obscene pictures of lawyer, Judge Venkatesh 

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