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पाकिस्तान का खूंखार चेहरा? ट्रंप फैमिली! क्रिप्टो डील्स और क्या है हमास कनेक्शन?

पाकिस्तान पर हमास मॉडल अपनाने का आरोप! ट्रंप से जुड़े बिजनेसमैन, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और क्रिप्टो डील्स के साथ सामने आई चौंकाने वाली रणनीति। क्या ये वैश्विक सुरक्षा को चुनौती है?

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Ajit Kumar Pandey
TRUPM MUNIR CRYPTO PAKISTAN
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पाकिस्तान की सियासत में एक नया मोड़ आया है। डोनाल्ड ट्रंप के करीबी और क्रिप्टो डील्स का गहरा कनेक्शन सामने आया। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की भूमिका पर भी उठ रहे हैं सवाल। क्या पाकिस्तान हमास जैसे मॉडल की ओर बढ़ रहा है? एक रिपोर्ट ने खोले ऐसे राज़, जिनसे हलचल मच गई है।

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हाल ही में एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान क्रिप्टो डील्स और हमास के मॉडल से प्रेरित हो सकता है। इस पूरी साजिश में डोनाल्ड ट्रंप के करीबियों की संलिप्तता और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की भूमिका ने नई बहस को जन्म दिया है। यह खबर पाकिस्तान की आंतरिक रणनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर बड़ा असर डाल सकती है।

ट्रंप परिवार और पाकिस्तान: क्या है कनेक्शन?

रिपोर्ट्स के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप के कुछ करीबी व्यापारिक सहयोगी हाल ही में पाकिस्तान में देखे गए। यह वही समय था जब पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने कुछ अहम बैठकें कीं। सूत्रों का दावा है कि इन बैठकों में क्रिप्टो करेंसी और फंडिंग मॉडल्स पर चर्चा हुई, जो हमास द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली रणनीतियों से मेल खाते हैं।

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क्रिप्टो डील्स: पाकिस्तान की नई चाल?

क्रिप्टो करेंसी का उपयोग आमतौर पर निगरानी से बचने और फंडिंग को छिपाने के लिए होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने कुछ गुप्त क्रिप्टो डील्स की हैं, जिनका मकसद अंतरराष्ट्रीय फंडिंग को खुफिया तरीकों से अंजाम देना है। यह मॉडल हमास जैसे संगठनों द्वारा अपनाया गया है, जिससे पाकिस्तान की नीयत पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

असीम मुनीर की भूमिका पर उठे सवाल

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पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर का इस पूरे घटनाक्रम में नाम आना कोई छोटा संकेत नहीं है। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने इन बैठकों की निगरानी की और रणनीति तय करने में मुख्य भूमिका निभाई। इससे पाकिस्तान की सैन्य और खुफिया एजेंसियों की सक्रियता पर भी अंतरराष्ट्रीय नजरें टिक गई हैं।

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क्या पाकिस्तान हमास मॉडल की ओर बढ़ रहा है?

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पाकिस्तान का इतिहास चरमपंथी संगठनों से संबंधों को लेकर विवादित रहा है। अब अगर वह हमास के मॉडल से प्रेरित होकर क्रिप्टो के ज़रिए फंडिंग और वैश्विक नेटवर्क बनाने की कोशिश कर रहा है, तो यह दुनिया के लिए एक नया खतरा बन सकता है। इस मॉडल के ज़रिए सरकार की भागीदारी को भी छिपाया जा सकता है।

चिंता का कारण

भारत और अमेरिका पहले ही पाकिस्तान की गतिविधियों पर नज़र बनाए हुए हैं। अगर यह खबर सही साबित होती है, तो पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। FATF और अन्य एजेंसियां इस पर कड़ी कार्रवाई कर सकती हैं।

हमास मॉडल यही है...

'बिटक्वाइन शेकर' मॉडल हमास ने शुरू किया था। इसमें क्रिप्टो करेंसी के जरिए धन जुटाना और फिर उसे मनिलॉन्ड्रिग के द्वारा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसी के सामने से बचाना शामिल है। इज्ज-अल-दीन-अल-कसम जैसे आतंकी संगठनों ने बिक्वाइन डोनेशन, डिसेंट्रलाइज, एक्सचेंज, प्राइवेसी क्वाइंस और मिक्सर का उपयोग करके फंडिग के स्रोत छिपाए हैं। 

आपको याद होगा अप्रैल के महीने में एक बड़ी खबर आई थी कि पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल ने अमेरिकी फर्म वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंसियल के साथ एक समझौता किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि अमेरिकी फर्म वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंसियल में ट्रंप के बेटों एरिक और जूनियर डोनाल्ड के साथ साथ उनके दामाद जेरेन कुशनर की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यानि जो एक नियमित फिनटेक साझेदारी होनी चाहिए थी वह अब जियो पॉलिकल विवाद का विषय बन चुकीं हैं। 

दरअसल, डील के वक्त कमरे में पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर मौजूद थे। जनरल आसिम मुनीर की मौजूदगी यह कहती है कि यह महज एक व्यापारिक डील नहीं थी बल्कि यह एक बड़ी रणनीतिक चाल भी हो सकती है। 

WLF-PCC डील के कुछ ही दिनों बाद यानि 22 अप्रैल 2025 को भारत के कश्मीर स्थित पहलगाम में आतंकवादियों ने एक बड़ा हमला कर दिया। जिसमें 26 पर्यटक मारे गए। इस घटना ने भारत पाकिस्तान के तल्खी बढ़ा दी। और भारत की आतंकी शिविरों के नष्ट करने तक ट्रंप प्रशासन का यह दावा कि दोनों देशों का मसला है सुलझा लेंगे। 

फिर अचानक जब भारत भारी पड़ने लगा और इंडियन आर्मी की पहुंच पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों तक पहुंची तो अचानक अमेरिका बीच में कूद गया और यूएस प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप का बयान आया कि युद्ध नहीं व्यापार करो। इस बयान के कई कूटनीतिक और राजनैतिक मायने हैं। और फिर दोनों देशों से बातचीत कर शांति स्थापित करने का दावा किया जा रहा है। और बार बार किया जा रहा है। 

क्या आप इससे सहमत हैं? कमेंट करें और अपनी राय जरूर बताएं।

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