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Goa में E-Bus क्रांति: अब सवारियां हुईं दोगुनी से ज्यादा

गोवा की इलेक्ट्रिक बसें बदल रहीं शहरी परिवहन की दिशा। पणजी में यात्रियों की संख्या 1 साल में दोगुनी से ज्यादा हुई। अब ई-बसें पर्यावरण और सुविधा दोनों के लिए बनीं पहली पसंद। ये हरित पहल देश के लिए बनी मिसाल।

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Ajit Kumar Pandey
GOA E-BUS STAND NEWS
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।गोवा की सड़कों पर एक हरित क्रांति दौड़ रही है। इलेक्ट्रिक बसों ने आम लोगों की जिंदगी में नई रफ्तार भर दी है। अब यात्री पारंपरिक बसों की जगह ई-बस को प्राथमिकता देने लगे हैं। पणजी की सड़कों पर चलती ये बसें अब भीड़भाड़ नहीं, सुविधा और पर्यावरण की मिसाल बन गई हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि गोवा अब देश में हरित सार्वजनिक परिवहन की पहचान बनता जा रहा है।

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गोवा में इलेक्ट्रिक बसों ने शहरी परिवहन की तस्वीर बदल दी है। पणजी में 'इमेजिन पणजी स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट' प्रोजेक्ट के तहत शुरू हुई ई-बस सेवा अब जनता की पहली पसंद बन चुकी है। मार्च 2024 में जहां 49,000 यात्रियों ने इन बसों में सफर किया था, वहीं मार्च 2025 में ये संख्या 1.2 लाख से ज्यादा हो चुकी है। यह इजाफा न सिर्फ पर्यावरण जागरूकता को दर्शाता है, बल्कि गोवा की बदलती सोच और टिकाऊ गतिशीलता की दिशा में मजबूती से बढ़ते कदम को भी उजागर करता है।

गोवा की सड़कों पर दौड़ती भविष्य की उम्मीद

गोवा, जो अब तक समुद्र और पर्यटन के लिए जाना जाता था, अब हरित क्रांति की वजह से भी चर्चा में है। इलेक्ट्रिक बसों की बढ़ती मांग से यह साफ है कि लोग अब पर्यावरण को लेकर ज्यादा जागरूक हो रहे हैं। कदंब ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा संचालित ये बसें न सिर्फ सुविधा देती हैं, बल्कि प्रदूषण मुक्त भी हैं।

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ई-बसें बनीं यात्रियों की पहली पसंद

पणजी और आसपास के इलाकों में इन ई-बसों की संख्या बढ़ने के साथ ही सवारी की संख्या में भी तेजी आई है। यात्रियों को ठंडी, आरामदायक और समय पर पहुंचने वाली ये बसें अब प्राइवेट व्हीकल्स पर भारी पड़ रही हैं। ये बसें टिकाऊ गतिशीलता के साथ-साथ किफायती सफर का बेहतरीन विकल्प बन चुकी हैं।

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'इमेजिन पणजी' का सपना ले रहा आकार

‘इमेजिन पणजी स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट’ के तहत चल रही इस पहल का मकसद सिर्फ ट्रैफिक कम करना नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ और सुरक्षित परिवेश देना है। स्मार्ट टिकटिंग, लो-फ्लोर बसें और जीपीएस ट्रैकिंग जैसी सुविधाएं इस सेवा को और भी एडवांस बना रही हैं।

परिवर्तन की रफ्तार बनी मिसाल

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मार्च 2024 में जहां मासिक यात्री संख्या 49,000 थी, वहीं मार्च 2025 में यह 1.2 लाख से अधिक हो गई। यह दिखाता है कि ई-बसें केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि लोगों की जरूरत बन चुकी हैं। बढ़ती संख्या ये साबित करती है कि गोवा में टिकाऊ परिवहन का भविष्य उज्ज्वल है।

पर्यावरण के प्रति बढ़ती समझदारी

ई-बसें न सिर्फ ध्वनि और वायु प्रदूषण को कम करती हैं, बल्कि कार्बन फुटप्रिंट भी घटाती हैं। यह बदलाव गोवा को न केवल एक स्मार्ट सिटी की ओर ले जा रहा है, बल्कि एक जिम्मेदार सिटीजनशिप की मिसाल भी बन रहा है।

गोवा की ये ई-बस पहल अब सिर्फ शहर की पहचान नहीं रही, बल्कि देश के लिए एक मॉडल बन चुकी है। 

क्या आपका शहर भी ऐसी हरित पहल के लिए तैयार है? अपनी राय कमेंट में ज़रूर बताएं।

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