नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । एपल ने 2026 से अमेरिका में बिकने वाले सभी iPhone को भारत में निर्मित करने की योजना बनाई है। यह फैसला हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा वैश्विक स्तर पर टैरिफ बढ़ाने और चीन के साथ व्यापारिक तनाव के बीच लिया गया है। एक प्रमुख अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, एपल इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है।
भारत में हर साल बनेंगे 6 करोड़ से ज्यादा iPhone
एपल लंबे समय से अपनी आपूर्ति श्रृंखला को चीन से बाहर ले जाने की रणनीति पर काम कर रहा है ताकि एक देश पर निर्भरता कम हो। अगर कंपनी इस साल के अंत तक भारत में अपनी असेंबली पूरी तरह स्थानांतरित कर लेती है, तो 2026 से भारत में सालाना 6 करोड़ से अधिक iPhone का उत्पादन शुरू हो जाएगा। यह वर्तमान उत्पादन क्षमता से दोगुना है।
चीन का iPhone उत्पादन पर अभी भी दबदबा
वर्तमान में iPhone के उत्पादन में चीन का बड़ा योगदान है। एक शोध के अनुसार, 2024 में एपल के वैश्विक iPhone शिपमेंट में चीन की हिस्सेदारी करीब 28% थी। अमेरिकी बाजार के लिए iPhone का उत्पादन चीन से बाहर ले जाना एपल को उच्च टैरिफ से बचाने में मदद करेगा।
मार्च 2024-2025: भारत में iPhone उत्पादन में 60% की वृद्धि
मार्च 2024 से मार्च 2025 के बीच भारत में एपल ने 22 अरब डॉलर (लगभग ₹1.88 लाख करोड़) मूल्य के iPhone का उत्पादन किया, जो पिछले साल की तुलना में 60% अधिक है। इस दौरान भारत से 17.4 अरब डॉलर (लगभग ₹1.49 लाख करोड़) के iPhone निर्यात किए गए। अब वैश्विक स्तर पर हर पांच में से एक iPhone भारत में बन रहा है। तमिलनाडु और कर्नाटक की फैक्ट्रियों में यह उत्पादन हो रहा है, जिसमें फॉक्सकॉन, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पेगाट्रॉन जैसी कंपनियां शामिल हैं। फॉक्सकॉन एपल का सबसे बड़ा उत्पादन साझेदार है।
वित्त वर्ष 2024 में 8 अरब डॉलर की बिक्री
वित्त वर्ष 2024 में भारत में एपल के स्मार्टफोन की बिक्री 8 अरब डॉलर तक पहुंच गई, हालांकि बाजार में इसकी हिस्सेदारी केवल 8% थी। भारत के बढ़ते मध्यम वर्ग में iPhone अभी भी एक प्रीमियम ब्रांड है, जिसके कारण बाजार में और वृद्धि की संभावना है।
एपल का भारत पर ध्यान क्यों?
1. आपूर्ति श्रृंखला में विविधता: भू-राजनीतिक तनाव, व्यापार विवाद और कोविड-19 जैसे संकटों के कारण एपल चीन पर निर्भरता कम करना चाहता है। भारत कम जोखिम वाला विकल्प है।
2. लागत में लाभ: भारत में मजदूरी और अन्य लागत चीन की तुलना में कम है। साथ ही, स्थानीय उत्पादन से इलेक्ट्रॉनिक्स पर आयात शुल्क कम होता है।
3. सरकारी प्रोत्साहन: भारत की 'मेक इन इंडिया' और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजनाएं कंपनियों को स्थानीय उत्पादन बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता देती हैं। इससे फॉक्सकॉन और टाटा जैसे साझेदारों ने भारत में निवेश बढ़ाया है।
4. बढ़ता बाजार: भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते स्मार्टफोन बाजारों में से एक है। स्थानीय उत्पादन से एपल की मांग को पूरा करने और बाजार हिस्सेदारी (वर्तमान में 6-7%) बढ़ाने में मदद मिलेगी।
5. निर्यात के अवसर: एपल भारत में बने 70% iPhone का निर्यात करता है। 2024 में भारत से iPhone निर्यात 12.8 अरब डॉलर (लगभग ₹1.09 लाख करोड़) तक पहुंच गया, जो भविष्य में और बढ़ सकता है।
6. कुशल कार्यबल और बुनियादी ढांचा: भारत का कार्यबल अनुभव में चीन से पीछे है, लेकिन इसमें सुधार हो रहा है। फॉक्सकॉन जैसे साझेदार कर्मचारियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं और कर्नाटक में 2.7 अरब डॉलर (लगभग ₹23,139 करोड़) के नए प्लांट जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। apple | china | tarrif |